Thursday, May 30, 2013

AMAN



अमन 

जान पे बन आई अब तो चेत जाओ 
यूँ समस्याओं को ना आगे बढ़ाओ 

जीते जी जब हो गया मुश्किल गुज़ारा 
ले रहे वो आज हिंसा का सहारा 
अब दमन से राह मत टेढ़ी बनाओ 

बात कोई आन की ना शान की है 
बात मुद्दे की फकत पहचान की है 
कुछ झुको तुम और कुछ उनको झुकाओ 

जिसने भी इंसानियत पे कहर ढाया 
व्यर्थ हिंसा से कभी कुछ भी ना पाया 
अब अमन के रास्ते पर पग बढ़ाओ 

Sunil_Telang/30/05/2013

Tuesday, May 28, 2013

KAUN HOON MAIN





कौन हूँ मैं 

मुझको नहीं पता है कि कौन हूँ मैं क्या हूँ 
कहते हैं लोग मुझसे दुनिया से मैं जुदा हूँ 

लिखता हूँ मैं वही जो कहता ज़मीर मेरा 
लोगों को  ऐसा लगता है उनकी मैं ज़ुबां हूँ 

टूटे हुये  दिलों को मिल जाये  कुछ सहारा 
तन्हाइयों  में  उनके  दुःख दर्द की दवा हूँ 

लाचार हैं जो बेबस चुपचाप ज़ुल्म सह के 
हक के लिये तड़पते  दिल से उठी सदा हूँ 

दिल में फरेब,लब पे रखते हैं जो तबस्सुम   
उनके  लिए  मैं  अच्छा  होते  हुये  बुरा  हूँ 

KAUN HOON MAIN

Mujhko nahi pata hai ki Kaun hoon Main kya hoon
Kahte hain log mujhse Duniya se main juda hoon 

Likhta hoon main wahi Jo kahta zameer mera
Logon ko aisa lagta hai Unki main zubaan hoon

Toote huye dilon ko mil Jaaye kuchh sahara 
Tanhaiyon me unke Dukh dard ki dawa hoon 

Laachar hain jo bebas Chupchap zulm sah ke
Hak ke liye tadapte Dil se uthi sada hoon 

Dil me fareb Lab pe Rakhte hain jo tabassum
Unke liye main achchha Hote huye bura hoon 


Sunil_Telang/28/05/2013



















JAB TAK HAIN HAATH



जब तक हैं हाथ

ये महलो शानो - शौकत अपनी नहीं ज़रुरत 
दो रोटियां मिलें तो हम अपना पेट भर लें 

तन ढाँकने को कपडा और सर पे छत का साया 
मिल जाये बस तो फिर हम दुनिया की भी खबर लें 

इतने बड़े जहां में खुद का नहीं ठिकाना 
परिवार क्यों बढा  कर कुछ लोग दर्दे-सर लें 

बेकारी और ग़रीबी किस्मत नहीं हमारी 
जब तक हैं हाथ कायम इज्ज़त से जी लें मर लें

Sunil_Telang/28/05/2013

Monday, May 27, 2013

AAM AADMI



आम आदमी 

बोझ  से  अपने  दबा  सहमा  हुआ  आम आदमी 
भूख,  मंहगाई,  गरीबी   से   घिरा  आम  आदमी 

रोज़  कल  की  फ़िक्र  में डूबा  हुआ आम आदमी 
दूसरों  के चैन  की  खातिर  बिका  आम  आदमी 

अपनी मेहनत का पसीना पोंछता आम  आदमी 
ख़ास  लोगों  की  ख़ुशी  का  रास्ता आम  आदमी 

हुक्मरानों की नज़र में  तुच्छ  सा  आम आदमी 
वक़्त  आयेगा ,  बनेगा    बादशा   आम  आदमी 

Bojh se apne daba Sahma hua Aam Aadmi
Bhookh ,Menhgaai,Gharibi se ghira Aam Aadmi

Roz kal ki fikr me Dooba hua Aam Aadmi
Doosron ke chain ki Khaatir bika Aam Aadmi

Apni mehnat ka pasina Ponchhta Aam Aadmi
Khaas logon ki khushi Ka Raasta Aam Aadmi

Hukmranon ki nazar me Tuchchh sa Aam Aadmi
Waqt aayega banega Baadsha Aam Aadmi

Sunil _Telang /27/05/2013

Sunday, May 26, 2013

DUHAAI



दुहाई 

खुल गई है आँख जब खुद पे बन आई 
दे    रहे    अब   लोकतंत्र    की   दुहाई 

वक़्त  रहते  ना  सुनी  फ़रियाद कोई 

ना ही समझे  उनके हक की है लड़ाई 

टालने  से   ये  समस्या  और  बढ़ी  है 
बात  इतनी  सी समझ में आज आई 

कब तलक शोषण सहे इंसान अपना
आग  ये   विद्रोह  की  किसने  लगाईं 

रास्ता हिंसा का चुनकर कुछ ना पाया
मिल गये हैं ख़ाक में सब आततायी  

Sunil_Telang/26/05/2013



   








BAZAAR





बाज़ार 

भांजे   दामाद   रिश्तेदार    ऐसे 
देश के धन के हों हिस्सेदार जैसे 

हर समय चेहरे पे रहती मुस्कुराहट 
जेब में इनके पड़ी सरकार जैसे 

काम हो छोटा बड़ा हो कर रहेगा 
आप की सेवा में हैं तैयार ऐसे 

शर्म क्या, गैरत है क्या,छोडो ये बातें 
झूठ पर कायम हुआ व्यापार जैसे 

ये तो सदियों से चली आई प्रथा है 
होंगे ग्राहक तो चलें  बाज़ार ऐसे    

Sunil_Telang




BAHSHEEYAT



बह्शीयत 

जो हुआ अच्छा नहीं था सबको ग़म  है 
हादसा ये देख सबकी आँख नम है 
है हताशा और दमन का ये नतीजा 
क्यों हुआ इंसान इतना बेरहम है 

ये ज़माने के सताये  लोग अपराधी नहीं 
लड़ रहे हैं न्याय की खातिर ये उन्मादी नहीं 
आज हिंसा पे उतारू हो गये  हैं क्यों यहाँ 
बन गई क्यों बह्शीयत जो इनका ग़म है 

Sunil_Telang

Saturday, May 25, 2013

HE MANMOHAN



हे मन मोहन 

बदल गया है ज़माने का चलन                   
किस मुंह से गायें हम जन गण मन 

भावना देश प्रेम की ना रही 
घर में मेहमां बन के बैठे दुश्मन 

नाते  रिश्ते  भी सब बोझ बने 
दूर  हुये  अपने अपनों के कारन 

भाग दौड़ जारी है चारों तरफ 
इज्ज़त की बात हुआ काला धन 

हम भी चुपचाप देखते है बस 
कुछ तो बोलो जुबां से हे मन मोहन 

Sunil_Telang





PAISE KE LIYE


पैसे के लिये 

गिर गया  है किस कदर, इंसान पैसे के लिये 
बिक गया है दीन  और  ईमान पैसे के लिये 

ना कोई पछतावा है , ना चेहरे पे कोई शिकन 
हँसते हँसते कर रहा अभिमान पैसे के लिये 

हम भी तो हिस्सा बने हैं, लूट के इस तंत्र का 
रोज़ सहते जा रहे अपमान पैसे के लिये 

कर लिया स्वीकार हमने, गर्त का ये रास्ता 
दुर्जनों  का हो रहा सम्मान पैसे के लिये

मूक बनकर कब तलक देखेंगे,अब तो डर है ये
बिक ना जाये  देश हिन्दुस्तान पैसे के लिये

Gir gaya hai kis kadar Insaan paise ke liye
Bik gaya hai Deen aur Imaan paise ke piye 

Na koi pachhtawa hai Na chehre pe koi shikan
Hanste hanste kar raha Abhimaan  paise ke liye

Hum bhi to hissa bane hain Loot ke is tantr ka
Roz sahte ja rahe Apmaan paise ke liye

Kar liya sweekar humne Gart ka ye raasta
Durjanon ka ho raha Samman paise ke liye

Mook ban kar kab talak Dekhenge,Ab to dar hai ye
Bik na jaaye desh Hindustan paise kle liye

Sunil _Telang /25/05/2013


Thursday, May 23, 2013

SHUKRIYA




SHUKRIYA


Mujhko to maaloom na tha Haisiyat meri hai kya
Aap ke jazbaat padh ke  Pyar khud se ho gaya 

Aap   itne   door  hokar  bhi   Dilon  me   bus  gaye 
Kaise lafzon me ada kar Paaunga  main shukriya

Koi apna ho jahaan me Is se badh kar aur kya 
Aap ki nazar-e-inaayat Bus rahe kaayam sada 


शुक्रिया 

मुझको तो मालूम ना था, हैसियत मेरी है क्या 
आप  के  जज़्बात  पढ़ के  प्यार खुद से हो गया 

आप  इतने  दूर  हो  कर  भी  दिलों में बस गये 
कैसे  लफ़्ज़ों  में  अदा कर  पाऊंगा  मैं  शुक्रिया 

कोई अपना हो जहां में इस से बढ़ कर और क्या 
आपकी   नज़रे   इनायत  बस  रहे  कायम  सदा 

Sunil_Telang/23/05/2013





  

SAPNA



SAPNA

Chalo sabhi muddon ko bhool jaayen
Zindagi ko Tension Free hum banayen

Band kar den TV aur Akhbaar padhna 
Hone do achchha bura Kyon sar khapayen 

Haal apno ka bhi Kuchh maaloom kar len
Milna julna Doston se fir badhayen

Is shahar ke Shorgul se door hokar
Aashiyana ik naya Apna banayen

Do ghadi unki Tabiyat poochh len hum
Zindagi bhar dete Rahte jo duaayen

Dekhte rahte hain Bus ye roz sapna 
Par hakikat hum Ise kaise banayen

सपना 
चलो    सभी   मुद्दों    को    भूल   जायें 
ज़िन्दगी   को   टेंशन  फ्री   हम बनायें 

बंद  कर  दें  टीवी  और अखबार पढना 
होने दो अच्छा  बुरा  क्यों  सर खपायें 

हाल अपनों का भी कुछ मालूम कर लें 
मिलना  जुलना  दोस्तों से फिर बढायें 

दो  घड़ी  उनकी  तबीयत  पूछ लें हम  
ज़िन्दगी  भर  देते  रहते  जो   दुआयें 

देखते  रहते   हैं  बस   ये  रोज़  सपना 
पर   हकीकत  हम   इसे  कैसे  बनायें 

Sunil_Telang/23/05/2013





Wednesday, May 22, 2013

KIS LIYE



Apni mehfil,Raag apna,Ab tujhe kya chaahiye
Bus  kami  itni  hai,  Koi  sunne wala chaahiye 

KIS LIYE

अपनी   महफ़िल, राग  अपना, अब  तुझे क्या चाहिये 
बस   कमी   इतनी   है ,  कोई  सुनने    वाला   चाहिये 

किस लिये 

कुछ खबर उनको नहीं , गर्वित  हैं  वो  किस  बात  पर 
रौशनी  उनको   मिली , पर  बुझ   गये   कितने   दिये 

आंकड़ों   में   हो   रही   है   फिर   तरक्की   देश   की 
दे   ना   पाये    रोटियाँ    बस   पेट   भरने   के    लिये 

लूट ,  घोटालों    की    चर्चा   होगी    बेमतलब   यहाँ 
ये   तरीके    कारगर    हैं    राज    करने     के    लिये 

Wi - Fi     और    कंप्यूटर      से     घिर    बैठा   युवा 
मिल   सकी   ना   रोजगारी   काम  करने   के    लिये

मिल   गया   आबादी   पे   कन्ट्रोल   का   रस्ता  नया 
आम  जनता   रह    गई   जीते   जी   मरने   के  लिये  

Sunil_Telang/22/05/2013






Tuesday, May 21, 2013

PRAHARI


प्रहरी 

वो नहीं दिखता हमे, जो हो  रहा है 
देश का स्तम्भ चौथा, सो रहा है 

रोज़ करते हैं मनोरंजन सुबह से रात तक 

पर ज़रूरी मामलों पर ना उठाते बात तक 
देश का प्रहरी सजग पहचान अपनी खो रहा है 

Sunil_Telang/21/05/2013

KHUDAAI



खुदाई  

पूछ   अपने   आप   से   इक   बार,  भाई 
क्या हिकारत और ग़रीबी तुझको भायी (हिकारत-Insult)
कब   तलक   ये   झोपडी   और चारपाई 
क्यों  नहीं  लड़ता  है  तू  मिलकर लड़ाई 

इस  ज़मीं  पर, हर कोई  जब  है  बराबर 
क्यों   ग़रीबों   और  अमीरों  में  है अंतर 
कब  तलक  डाका   डलेगा   तेरे  हक पर 
ये   दमन   की   नीतियां  किसने  बनाई 

जाग, अपनी अहमियत  पहचान  ले तू 
तेरा   भी  अस्तित्व   है  ये मान   ले  तू 
दो  घडी  के  चैन  और  लालच  के बदले 
तूने   अपने   वोट   की   कीमत   लगाईं 

खोल   आँखें   कोई   तेरे  दर   पे   आया 
"आप"  ने   तेरे   लिये   रस्ता   बनाया  
अब  ना  समझेगा कोई  तुझको पराया 
"आप" की  तू  थाम  ले  बस  रहनुमाई (रहनुमाई-Leading)

"आप"  के  अब  साथ  है  सारी  खुदाई  (खुदाई-World)

Sunil_Telang/21/05/2013







LAACHARGI



लाचारगी

इस कदर मायूसी और लाचारगी है ताज पर 
हर किसी को है शिकायत आपके अंदाज़ पर 
जल  रहा है देश फिर भी ये जुबां खुलती नहीं 
किसने  ये  बंदिश लगाईं आपकी आवाज़ पर 

Sunil_Telang/21/05/2013



Monday, May 20, 2013

FIXING



फिक्सिंग 

जब से I P L फिक्सिंग  में  घिरा 
देख T V हर किसी का सर फिरा 
हर  तरफ  सेटिंग  का ही खेल है 
और  बढ़ता  जा  रहा  है दायरा

मीडिया  में  अब  कोई मुद्दे नहीं
देश  में  अपराध  का  स्तर गिरा
देखता जा तू तमाशा, खुश हैं वो 
कितने घोटालों पे अब पानी फिरा 

Sunil_Telang







Sunday, May 19, 2013

CHAUTHA STAMBH





चौथा स्तम्भ 

रोज़  पढ़कर  सुर्खियाँ  अखबार  की 
लोग  करते  किरकिरी सरकार  की 

हादसे    हैं,   लूट     अत्याचार    है 
है  ज़रूरी इक  खबर व्यभिचार  की 

झूठ  का  व्यापार  है, सच्चाई  ग़ुम 
रीत  ये   कब  से   हुई   संसार   की 

ज़िक्र ना  उनका  कभी  होगा  यहाँ 
बात जो  अपनी  करें  अधिकार की 

कैसा   है   स्तम्भ  चौथा   मीडिया 
करता रहता  है  बहस   बेकार  की 

Sunil_Telang/20/05/2013





SUPRABHAAT



SUPRABHAAT

जब अँधेरा हो घना  तू  ग़म न  करना 
मुश्किलों में भी ये आँखें नम न करना 
रोज़ सूरज की किरण कहती है तुझसे 
ज़िन्दगी में हौसले  को कम न करना

Sunil_Telang/19/05/2013 


Saturday, May 18, 2013

AAM AADMI


आम आदमी

तुम हो इक आम आदमी, डरते रहो 
रात दिन अपनी फिकर , करते रहो 

जिंदगी  में   सैकड़ों   ग़म   हैं  यहाँ 

सोचने   के   वास्ते   हम   हैं   यहाँ 
तुम   यूँ   ही जीते  रहो, मरते  रहो 

दीन दुनिया  की तुझे है फ़िक्र क्यों 

लब  पे भ्रष्टाचार  का  है ज़िक्र क्यों 
जो  मिला है उस से दम भरते रहो 

तुम हो जनता, नापो अपना रास्ता 

राजनीति   से   तेरा   क्या  वास्ता 
आँख   में  चाहे   लहू    भरते  रहो 

कब  तलक  बेबस  रहे  आम आदमी 
ज़ुल्म को कब तक सहे आम आदमी 
जग  गया तो ख़ास है  आम आदमी 
देश  का   विश्वास  है   आम आदमी 

Sunil_Telang/18/05/2013











Thursday, May 16, 2013

AA GAYA MAUKA



आ गया  मौका 

इतने घोटाले निकलते हैं यहाँ  
भूल जाते  लोग क्या है माजरा 
पहले होता था अचम्भा किस कदर 
अब किसी को फर्क ना  पड़ता ज़रा 

हर कोई बेबस है और लाचार है 
मान बैठे है नहीं रस्ता कोई
सबको देखा आजमाकर, बिक रहा 
कोई मंहगे दाम पर, सस्ता कोई 

किसकी खातिर कर रहे दौलत जमा 
एक दिन रह जायेगा यूँ ही धरा 

उनको है उम्मीद ये जनतंत्र भी 
एक दिन पैसे के दम पर आयेगा 
भूल कर ज़ुल्मो सितम की दास्ताँ 
उनको ही ये ताज फिर पहनायेगा 

लोग आपस में बंटे हैं इस कदर 
पायेंगे ना रहनुमा कोई दूसरा 

वक़्त है अब अपने  मन में ठान लो 
अपनी ताकत को ज़रा पहचान लो 
हैसियत उनकी तुम्हारे दम से है 
वोट की अब अहमियत तुम जान लो 

आ गया मौका सबक सिखलाने का 
उठ गया आम आदमी,जो था डरा 

Sunil_Telang/16/05/2013







Wednesday, May 15, 2013

JAANE DEEJIYE


जाने दीजिये 

शोर मत करिये ,कमाने दीजिये 
कितनी मंहगाई है,जाने दीजिये 

आप क्यों करते हैं यूँ शिकवा गिला
कितनी मेहनत से ये पद हमको मिला
है सभी को भूख, खाने दीजिये 

बात क्यों ईमान की करते यहाँ 
लोग अब सच्चाई  से डरते यहाँ 
नित नये  झूठे बहाने कीजिये

आप का घर बार है, परिवार है 
हम पे तो फिर देश भर का भार है 
इस कदर ना हमको ताने दीजियें 

Sunil _Telang 






Tuesday, May 14, 2013

FAZIHAT



फजीहत

हमे  तो  फजीहत  की  आदत  पड़ी  है 
मगर आज कल कुछ मुसीबत बड़ी है 
सड़क पे है जनता का डर, तो घरों  में 
लिये   हथकड़ी   सी बी आई  खड़ी  है

Sunil_Telang







Monday, May 13, 2013

UNKO HAI BHAROSA



उनको  है भरोसा 

उनको  है भरोसा  वो  ही सत्ता में रहेंगे 
अपनी भी जिद है और नहीं दर्द सहेंगे 

उनको है भरोसा कि ये जनता है भुलक्कड़ 
घोटालों  के  अवशेष  ना  यादों में रहेंगे 

उनको है भरोसा नहीं उनका कोई विकल्प 
अब  के  नयी  इबारत लिखवा  के रहेंगे 

उनको है ग़लतफ़हमी मालिक हैं वो जहां के 
कदमो पे सर उन्ही का झुकवा के रहेंगे 

अब आप  पर टिका है दारोमदार पूरा 
अब  आप की हुकूमत हम ला के रहेंगे 

Sunil_Telang

NASEEBA


नसीबा 


चिलचिलाती धूप में जलता है कोई 
चांदनी  के  साये  में  पलता है कोई 

ऐ  मुकद्दर कब तलक तुझको संवारें 
रोज़ ही तकदीर को छलता है कोई  

सात पुश्तों तक खुला उनका नसीबा 
देख कर बस हाथ को मलता है कोई 

ये  प्रगति इस देश की  कैसी हुई  है 
बैठे   बैठे   फूलता-फलता  है  कोई 

उम्र गुजरी ना मिली मंजिल किसी को 
छीन के  हक रास्ता चलता है  कोई  


Chilchilati dhoop me jalta hai koi
Chaandni ke saaye me palta hai koi

Ae mukaddar kab talak tujhko sanwaaren
Roz hi takdeer ko chhalta hai koi

Saat pushton tak khula unka naseeba
Dekh kar bus  haath ko malta hai koi

Ye pragati is desh ki kaisi hui hai
Baithe baithe foolta-falta hai koi 

Umr guzri na mili manzil kisi ko 
Chheen ke hak raasta chalta hai koi  

Sunil_Telang/13/05/2013






Sunday, May 12, 2013

KYON KI



क्यों कि


माँ से है अस्तित्व तेरा इस जहां में 
माँ से बढ़कर कौन धरती आसमां में 
जिसके सर पर आज भी है माँ का साया 
खुशनसीब इंसान है वो इस जहां में 

याद कर बचपन के वो दिन 
हर खता तेरी वो लेती अपने सर 
जागती थी तेरी खातिर रात भर 
गोद में अपनी वो रख के तेरा सर 

क्योंकि तेरी माँ थी वो 


आज उसकी उम्र जब ढलने लगी है 

तेरे घर पर अब तेरी चलने लगी है 
तेरी औलादें भी जब पलने लगी हैं 
उसकी अब मौजूदगी खलने लगी है

फिर भी तेरी मां  है वो 

हैसियत उसकी हुई  सामां की तरह 
उसकी घर में अब नहीं है कोई जगह 
रोज़ होती चार बातें बेवजह की 
फिर भी वो चाहेगी तुझसे हो सुलह 

क्योंकि तेरी माँ है वो 


है कहाँ भगवान या रब का ठिकाना 
आज तक अब तक कोई भी ये ना जाना 
पर ये सच है माँ के क़दमों में है जन्नत 
उसके लब पर बस दुआओं का खजाना 

क्यों कि तेरी माँ है वो 

Sunil _Telang 



Saturday, May 11, 2013

MAZAAL




मजाल 

सुनो उमर का भी अपनी ज़रा ख़याल करो 
यूँ बुढ़ापे में देश का न ऐसा हाल करो 

बहुत मिला है तुझे उम्र भर कमाने को 
मगर अभी भी तू तैयार बैठा खाने को 
कहाँ ले जायेगा, खुद से कभी सवाल करो 

तरस रहे हैं लोग  कितने रोटियों के लिये
तुझे फिकर ना हुई,वो कभी मरे या जिये 
किसी का छीन के हक ना उन्हें बेहाल करो 

किसी के बंधनों में भी  तू कैसे जीता है 
हो के आज़ाद, गुलामी का ज़हर पीता है 
कभी तो दिल की सदा सुनने की मजाल करो 

Sunil_Telang/11/05/2013

Friday, May 10, 2013

BULBULA


BULBULA

Bulbula ek hai ye paani ka
Kya bharosa hai zindgani ka

Tu muqaddar lahoo se likhta ja
Naam rah jayega  jawaani ka

Ye khushi baant ke to dekh zara
Haath ooncha raha hai daani ka

Uska jeena bhi koi jeena hai
Jisme jazba na ho Qurbani ka

Kabhi apni nazar me na girna 
Maan le tu bhi kaha Naani ka 

Sunil_Telang

CHIRAAG


चिराग

कर लिये लाखों जतन, ना  काम आये 
कब  तलक  झूठी  सफाई  सच छुपाये 
पाप  का  जब  भी  घड़ा  भरने पे आये  
घर का ही चिराग  खुद का घर जलाये 

फजीहत


हमे  तो  फजीहत  की  आदत  पड़ी  है 
मगर आज कल कुछ मुसीबत बड़ी है 
सड़क पे है जनता का डर, तो घरों  में 
लिये   हथकड़ी.   सी बी आई  खड़ी  है

Sunil_Telang




Tuesday, May 7, 2013

ASAR


असर 

उनपे अब होता नहीं कुछ भी असर
बन  गये  हैं  बोझ  अब ये  देश  पर 
हर सुबह  करते तमाशा इक नया 
शाम  को  सब साथ आते  हैं नज़र 

Sunil _Telang 

वन्दे मातरम 

लब पे  वन्दे  मातरम  का गान ना  हो 
राष्ट्र भाषा  का  जहां  सम्मान  ना  हो  
जिनको संविधान का भी ज्ञान  ना हो 
देश उनका फिर ये  हिन्दुस्तान ना हो 

Sunil _Telang 












TAAKAT


TAAKAT

AAP ne rasta dikhaya AAP ki hi aas hai
Ek din badlega Bharat AAP par vishwas hai

Ye ladaai hai kathin Dushman nahi koi yahaan
Bus chalen sabko jagaate Neend me soya jahaan
Yaad rakhna vote ki Taakat humare paas hai

Sunil_Telang/25/04/2013

Sunday, May 5, 2013

BAAD MUDDAT



BAAD MUDDAT

Raat dhalti hai To dhalne deejiye
Dum nikalta hai Nikalne deejiye

Umr bhar chaaha jise Wo mil gaya

Ab zara dil ko Machalne deejiye

Chhup ke baitho Chaand Taaro tum kahin

Aaj aanchal sar se Dhalne deejiye

Bhool kar Sharm-o-Haya Mil kar gale

Pyaar ka ehsaas Palne deejiye

Roz aankhon se piyunga,Aaj to

Maikashee ka daur Chalne deejiye

Baad muddat ke Mili tanhaaiyan

Rooh ki garmi Pighalne deejiye 

बाद मुद्दत

रात  ढलती   है  तो   ढलने  दीजिये 
दम निकलता  है  निकलने दीजिये 


उम्र भर चाहां जिसे  वो  मिल  गया 
अब ज़रा  दिल को मचलने दीजिये 

छुप  के बैठो  चाँद  तारो  तुम  कहीं 
आज  आँचल  सर  से ढलने दीजिये 

भूल कर शर्म-ओ-हया, मिल कर गले 

प्यार   का  एहसास  पलने   दीजिये 

रोज़   आँखों  से    पियूँगा, आज तो 
मयकशी  का  दौर   चलने   दीजिये 

बाद   मुद्दत   के  मिली   तन्हाइयां 

रूह   की   गर्मी    पिघलने   दीजिये 

Sunil_Telang/05/05/2013


DASTOOR



दस्तूर

ग़म   ज्यादा   हैं,   ख़ुशी   काफूर  है 
आदमी    लाचार    है,   मजबूर    है 

ख्वाब कितने दफ़न होकर रह गये 

मिल   गया  जो  बस  वही मंज़ूर है 

दर्द    तेरा    कौन   समझेगा   यहाँ 

हर  कोई   सत्ता   के   मद  में चूर है 

न्याय का मंदिर भी अब बेबस हुआ 

लूट    भ्रष्टाचार    तो      दस्तूर    है 

या  इलाही,  अब   तेरा  ही   आसरा 

तेरे   करमों   से   जहां   में   नूर   है 

Gham zyada hain Khushi kaafoor hai
Aadmi    laachar   hai   Majboor   hai

Khwaab kitne  dafan hokar rah gaye
Mil   gaya   jo  bus wahi manzoor hai

Dard  tera  kaun   samjhega   yahan
Har  koi  satta  ke mad me choor hai

Nyay  ka  mandir  bhi  ab bebas hua
Loot   Bhrashtachar  to   dastoor hai

Ya   ilaahi     ab     tera     hi    aasra
Tere karmon se jahaan me noor hai 

Sunil_Telang/05/05/2013











Saturday, May 4, 2013

PAAK DAAMAN


PAAK DAAMAN 

Boliyon se Uchch pad bikte jahaan
Aam janta ko milega kya wahaan

Fikr koi kyon karega ab teri 

Uske oopar har koi hai meharbaan

Baat karte ho yahaan Imaan ki 

Na zameen tere liye na aasmaan

Poochhne ki kyon koi zehmat kare

Paak daaman kaun baitha hai yahaan

Tantr soya,Taaj soya,dekh le 

Tu bhi so ja Theek hai sab kuchh yahaan

Sunil_Telang

पाक दामन 

बोलियों से उच्च पद बिकते जहां 
आम जनता को मिलेगा क्या वहाँ 

फ़िक्र कोई क्यों करेगा अब तेरी 

तू भी बन जायेगा इक दिन दास्ताँ  

बात  करते  हो  यहाँ  ईमान  की 

ना  ज़मीं  तेरे  लिये  ना  आसमां 

पूछने की क्यों कोई ज़हमत करे  

पाक  दामन  कौन  बैठा  है यहाँ 

तंत्र  सोया, ताज  सोया, देख ले 

तू भी सो जा, ठीक है सब कुछ यहाँ 

Sunil_Telang/04/05/2013



TAMAASHA


तमाशा 

कोई   घोटाला  तूल  पकड़ा   है 
फिर तमाशा कोई खड़ा कर दो 
मीडिया चुप  ना   बैठने  पाये 
कोई  मुद्दा  उसे  भी लाकर दो 

यूँ तो जनता बड़ी भुलक्कड़ है 
ज़ख्म भूला कोई हरा कर दो 
चार दिन को तो ध्यान भटकेगा 
सरहदों पर कोई झगडा कर दो 

आम जनता सड़क पे ना आये
कोई जनहित का फैसला कर दो

ये विपक्षी दलों की साज़िश है 
मामले को रफा दफा कर दो 

Sunil_Telang/04/05/2013








Friday, May 3, 2013

SHAHAADAT



SHAHAADAT

Zindagi ki aas Wo karta raha 
Roz jeene ke Liye marta raha

Hum mahaj rishte Nibhaate rah gaye 
Zahar ka pyaala Koi bharta raha

Baad marne ke Fikar sabko hui
Jeete ji bus YaachikaKarta raha

Sarkatee laashon se Kitne prashn ubhre
Apna uttar sirf Kaayarta raha

Fir shahaadat ye Tamaasha ban na jaaye
Sochkar har shakhs Bus darta raha 

शहादत

ज़िन्दगी की आस वो करता रहा 
रोज़  जीने  के  लिये  मरता रहा 

हम महज़ रिश्ते निभाते रह गये 
ज़हर का प्याला कोई भरता रहा 

बाद मरने के फिकर सब को हुई
जीते  जी  बस याचिकाकर्ता रहा 

सरकटी लाशों से कितने प्रश्न उभरे 
अपना उत्तर सिर्फ कायरता रहा 

फिर शहादत ये तमाशा बन न जाये 
सोच कर हर शख्स बस  डरता रहा 

Sunil_Telang/04/05/2013




LAACHAARGI



लाचारगी

ज़िन्दगी तेरी सिवा लाचारगी के कुछ न थी 
बंदगी अपनी तुम्हारे काम कुछ ना आ सकी 

कोसते हम रह गये बस हुक्मरानों के उसूल 
ये सियासत की लड़ाई ज़ख्म ना सहला सकी 

छुप   गई   इंसानियत  बेशर्म   पर्दों  में   कहीं 
जाने कैसी वह्शीयत थी जो कहर बरपा सकी 

ऐ गुनाहगारो, संभल जाओ,खुदा से कुछ डरो 
आपसी रंजिश कभी खुशहालियां ना ला सकी 

Sunil_Telang/03/05/2013

LAACHAARGI 

Zindagi teri siwa laachaargi ke kuchh na thi
Bandagi apni tumhare kaam kuchh na aa saki

Koste hum rah gaye bus hukmraano ke usool
Ye siyasat ki ladaai zakhm na sahla saki

Chhup gai insaaniyat besharm pardon me kahin
Jaane kaisi wahshiyat thi jo kahar barpa saki

Ae gunahgaro, sambhal jaao, Khuda se kuchh daro
Aapsi ranzish kabhi khushhaaliyan na la saki 

Sunil_Telang 










Wednesday, May 1, 2013

MAKSAD


मकसद

ज़िन्दगी का अब कोई मकसद बनाओ 
हाथ  में  आया  सुअवसर  ना  गंवाओ 

अपने अपने फायदे की फ़िक्र सबको 
दूसरों के ग़म  को भी अपना बनाओ 

उसका अनशन तुमको लगता है तमाशा 

एक दिन भूखे ज़रा रह के दिखाओ 

वो भी इक इंसान है रब तो नहीं है 

भूल कर कमियाँ यकीं उस पर दिखाओ 

तेरी  मंजिल  देखती   है  राह  तेरी   
एक दिन भय से ज़रा निजात पाओ 

AAP का गर साथ हो फिर बात क्या है 
इक नयी शम्मा अँधेरे में जलाओ 

Sunil _Telang