क्या करें हम गिला ज़िन्दगी से कभी
जिसको चाहा दिल- ओ- जान से उम्र भर
मेरी उल्फत का देते रहे वो सिला
वो भी हमको मिले अजनबी से अभी
जिसको चाहा दिल- ओ- जान से उम्र भर
वो ना वाकिफ़ हुये आशिकी से कभी
मेरी उल्फत का देते रहे वो सिला
बेरुखी से कभी, बेबसी से कभी
रोज़ महफ़िल में हमको बुलाया मगर
वो ना आगे बढे दिल्लगी से कभी
लोग कहते रहे पर न आया समझ
दिल लगाना नहीं अब किसी से कभी
Sunil_Telang/16/12/2012
रोज़ महफ़िल में हमको बुलाया मगर
वो ना आगे बढे दिल्लगी से कभी
लोग कहते रहे पर न आया समझ
दिल लगाना नहीं अब किसी से कभी
Sunil_Telang/16/12/2012
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