Monday, December 17, 2012

MERI SHAAYARI



मेरी शायरी 

दर्द की दास्ताँ है मेरी शायरी 
तेरी मेरी जुबां है मेरी शायरी 

कितने भूखे गरीबों की आँखों में इक  
रौशनी का दिया है मेरी शायरी 

जो हैं भटके जहां में निराशा लिये 
मंजिलों का पता  है मेरी शायरी 

कालिखों में घिरे इस वतन के लिये  
एक उजली सुबहा है मेरी शायरी 

पूछते हैं सभी मुझसे किसके लिये 
रोज़ तू लिख रहा है मेरी शायरी 

जो मोहब्बत  में हैं चोट खाये  हुये 
उनके दिल की दवा है मेरी शायरी 

कुछ तो  हलचल है कुछ तो हुआ है असर 
हर कोई पढ़ रहा है मेरी शायरी 

Sunil_Telang/17/12/2012



No comments:

Post a Comment