मेरी शायरी
दर्द की दास्ताँ है मेरी शायरी
तेरी मेरी जुबां है मेरी शायरी
कितने भूखे गरीबों की आँखों में इक
रौशनी का दिया है मेरी शायरी
जो हैं भटके जहां में निराशा लिये
मंजिलों का पता है मेरी शायरी
कालिखों में घिरे इस वतन के लिये
एक उजली सुबहा है मेरी शायरी
पूछते हैं सभी मुझसे किसके लिये
रोज़ तू लिख रहा है मेरी शायरी
जो मोहब्बत में हैं चोट खाये हुये
उनके दिल की दवा है मेरी शायरी
कुछ तो हलचल है कुछ तो हुआ है असर
हर कोई पढ़ रहा है मेरी शायरी
Sunil_Telang/17/12/2012
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