Monday, December 31, 2012

DUAA



दुआ 

ना तो हैं कोई उमंगें, ना ख़ुशी का दौर है 
साल आते हैं नये,ये साल कोई और है 

किस कदर छाई हुई मनहूसियत इस रात में 
कैसे कोई मुस्कुराये आज के हालात में 
हर किसी को फ़िक्र कल की,बात काबिलेगौर है 

होंठ देते हैं मुबारकबाद,दिल है ग़म ज़दा
ऐसा लगता है सभी पे आई है ये आपदा 
एक स्थल पर जुटे हैं, अब कहीं ना ठौर है 

शायद उसकी आत्मा को शान्ति मिल जायेगी 
जश्न और खुशियाँ मनाने की घडी फिर आयेगी 
आज पूरी हो दुआ तो  बात ही  कुछ  और  है 

Sunil_Telang/31/12/2012



Sunday, December 30, 2012

KYA LIKHEN




क्या लिखें

क्या लिखें अब कलम खो गई है 
चुप  रहें , दामिनी सो गई  है

भावनाओं का तूफां  है उमड़ा  
पर ज़ुबां बेज़ुबां हो गई है 

एक माँ-बाप के जीते देखो 
उन की बेटी जुदा हो गई  है 

संस्कारों को अब भूल जायें 
राजनीति  रवां   हो  गई  है 

लड़ते जाना ज़रूरी है लेकिन 
सब की गैरत कहाँ सो गई  है 

Sunil_Telang/30/12/2012








INTEHAA


इन्तेहा 

हर कोई स्तब्ध है, निःशब्द है, बेज़ार है 
अब नतीजा ना मिला ,तो ज़िन्दगी बेकार है 

अब न कोई दामिनी दुष्कर्म की वेदी चढ़े 
हो व्यवस्था इस तरह ये पाप ना आगे बढे 
संविधानों को बदल डालो अगर ये भार है 

फिर नया इक हादसा ये देश ना सह पायेगा 
बेबसी के आंसुओं में हर कोई बह जायेगा 
है सबर की इन्तेहा अब देर ना स्वीकार है 

उसकी कुर्बानी जेहन में आग इक सुलगा गई 
जाते जाते हर किसी को रास्ता दिखला गई 
अब अगर ये लौ बुझी तो हर किसी की हार है 

Sunil_Telang/30/12/2012

Saturday, December 29, 2012

BE-ASAR


बे-असर 

इनपे ना होगा असर, ये लोग बहरे तो नहीं 
जो नज़र आते हैं इनके असली चेहरे तो नहीं 
सामने आके  नहीं करते हैं हमदर्दी बयां 
कैसे आ जाये यकीं ,दो पल भी ठहरे तो नहीं 

Inpe na hoga asar, Ye log bahre to nahi
Jo nazar aate hain inke asli chehre to nahin
Saamne aake nahin karte hain humdardi bayaan
Kaise aa jaaye yakin, Do pal bhi thahre to nahin 

Sunil _Telang /29/12/2012

KURBAANI


कुर्बानी 

बुझ गया वो इक दिया, सब  लोग शर्मसार हैं 
सिर्फ वो  छः ही नहीं, हम सब भी गुनहगार हैं

रोज़ की तरहा न क्यों ये सुबह आई आज की 
पंछियों  की  चहचहाहट  थी  नये  अंदाज़  की 
आज बदली है फिजा,खामोशियाँ हर द्वार  हैं 

इक खबर देखी, सुनी,ग़मगीन सबको कर गई 
देश  की  बेटी  ,चहेती,  लाडली  इक  मर  गई 
बज्र  सा  टूटा जिगर पर ,आंसुओं की  धार  हैं 

क्रोध से उन्मत्त होकर देश ने की प्रतिक्रिया 
आज भी इन्साफ़ ना दे पाये तो फिर क्या दिया 
अब  ना  कोई आश्वासन , वायदे  दरकार हैं 

सिर्फ  कानूनी  ना  खोजें रास्ता इस मर्ज़ का 
कुछ करें अहसास हम भी अपने अपने फ़र्ज़ का 
अब  भी  ना जागे तो  ये  कुर्बानियां बेकार हैं 

Sunil_Telang /29/12/2012 

KURBAANI

Bujh gaya wo ik diya, Sab log sharmsaar hain
Sirf wo chhah hi nahin, Hum sab bhi gunahgaar hain

Roz ki tarha na kyon ye subah aai aaj ki
Panchhiyon ki chahchahahat thi alag andaaz ki
Aaj badli hai fiza, khamoshiyan har dwaar hain 

Ik khabar dekhi, suni, Ghamgin sabko kar gai
Desh ki beti, Chaheti ,Laadli ik mar gai
Bajra sa toota jigar par , Aansuon ki dhaar hain

Krodh se unmatt hokar desh ne ki pratikriya
Aaj bhi insaaf na de paaye to fir kya diya
Ab na koi aashwasan ,Vaayde darkaar hain

Sirf kaanooni na khojen,Raasta is marz ka
Kuchh karen ahsaas hum bhi apne apne farz ka 
Ab bhi naa jaage to ye kurbaaniyan bekaar hain

Sunil_Telang/29/12/2012

Friday, December 28, 2012

NAV VARSH

नव वर्ष 

आ गया नव वर्ष, हम कैसे मनायें 
ज़ख्म ताज़े हैं , निशां  कैसे मिटायें 

कट गया पिछला वरस भी हँसते रोते 
कुछ ख़ुशी के पल थे,कुछ आँखें भिगोते 
अश्क आँखों के कहाँ तक पीते जायें 

अब नहीं निभते कोई दस्तूर हमसे 
कोई अपना सा हुआ है दूर हमसे 
कैसे उसकी याद हम दिल से भुलायें 

सिर्फ हैप्पी न्यू इअर इक बार कहना 
रोक देगा क्या सभी अश्कों का बहना 
दिल पे पत्थर रख के क्या खुशियाँ मनायें 

ये समय का चक्र चलता ही रहेगा 
दीप आशा का तो जलता ही रहेगा 
बस सलामत आप हों देते दुआयें 

Sunil_Telang/27/12/2012

NAV VARSH

Aa gaya Nav Varsh,Hum kaise manayen
Zakhm taaze hain, Nishaan kaise mitayen

Kat gay pichhla varas bhi hanste rote
Kuchh khushi ke pal the kuchh aansoo bhigote 
Ashq aankhon ke kahan tak peete jaayen

Ab nahin nibhte koi dastoor humse
Koi apna sa hua hai door humse
Kaise uski yaad dil se hum bhulayen

Sirf HAPPY NEW YEAR ik baar kahna
Rok dega kya sabhi ashqon ka bahna 
Dil pe patthar rakh ke kya khushiyan manayen 

Ye samay ka chakr chalta hi rahega
Deep aasha ka to jalta hi rahega 
Bus salaamat aap hon dete duayen 

Sunil_Telang/27/12/2012











Thursday, December 27, 2012

SAB THEEK HAI



सब ठीक है 

हादसे यूँ ही भुलाते रहिये 
सिर्फ आंसू ना बहाते रहिये 

वो कोई गैर था, तेरा तो नहीं 
बस यही खैर मनाते रहिये 

और भी काम ज़रूरी हैं अभी 
सोच के आँख चुराते रहिये 

कौन रोकेगा मुक़द्दर में लिखा 
यूँही दिल को समझाते रहिये 

वो भी गंभीर हैं इस मुद्दे पर
उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहिये 

फ़िक्र मत करना,है सब ठीक यहाँ 
ये यकीं दिल को दिलाते रहिये 

Sunil_Telang/27/12/2012

Haadse yun hi bhulate rahiye
Sirf aansoo na bahate rahiye

Wo koi gair tha tera to nahi
Bus yahi khair manate rahiye

Aur bhi kaam zaroori hain yahan
Soch kar aankh churate rahiye

Kaun rokega mukaddar me likha
Yun hi dil ko samjhate rahiye

Wo bhi gambhir hain is mudde par
Unki haan me haan milate rahiye

Fikr mat karna hai sab theek yaha
Ye yakin dil ko dilate rahiye 

Sunil_Telang

Wednesday, December 26, 2012

SHAHADAT






SHAHADAT

Sach to parde ke peechhe khada
Jhooth ka silsila chal pada

Wo shahadat tamasha hui 
Mudda-a mil gaya hai bada

Jo bhi dekha hua be-asar
Jo kaha wo hi sach ban pada 

Sil gaye honth sab chup huye
Rukh hua unka jabse kada

Baat seedhi samajhta nahi
Kaisa kaanoon hai nakchada

Jhooth sach me badal jaaye na
Taaj hai motiyon se jada

Sunil_Telang/05/01/2013

शहादत 

सच तो परदे के पीछे खड़ा 
झूठ का सिलसिला चल पड़ा 

वो  शहादत  तमाशा  हुई
मुद्दआ मिल गया है बड़ा 

जो भी देखा , हुआ बेअसर 
जो कहा, वो ही सच बन पड़ा 

सिल गए होंठ, सब चुप हुये 
रुख हुआ जबसे उनका कड़ा 

बात सीधी  समझता नहीं 
कैसा  क़ानून है नकचढ़ा 

झूठ सच में बदल जाये ना 
ताज है मोतियों से जड़ा 

Sunil_Telang/26/12/2012



HAADSA



हादसा 

हादसे  का  असर क्या    हुआ 
हर   तरफ   रोज़   चर्चा   हुआ 

इतने   आये    बयां   पर   बयां 
सुन  के   क़ानून  बहरा   हुआ 

दर्द    की    इन्तेहा    हो    गई 
ज़ख्म  दिन ब दिन गहरा हुआ 

सबको है अपनी अपनी फिकर 
बस    हकीकत   पे   पर्दा   हुआ

हादसे  का  शिकार आज फिर 
राजनीति   का   मोहरा   हुआ 

Sunil _Telang 



Monday, December 24, 2012

MARHAM


मरहम 

ग़म तो हम को भी बहुत है ,सिर्फ तुझको  ग़म नहीं 
ये  घडी  मनहूसियत  की,  मौत  से  कुछ कम  नहीं 

साथ में तेरे खड़ा है, देश का हर इक युवा 
कौन है ऐसा कि जिसकी आँख अब तक नम नहीं 

मर मिटेंगे, सींच देंगे अब लहू से ये  ज़मीं   
फिर किसी नारी पे अत्याचार, मतलब हम नहीं 

इक बुरा सपना समझ कर हादसा ये भूल जा 
वक़्त से बढ़कर कहीं कोई बड़ा मरहम नहीं 

ज़ख्म ये तेरे, वतन पर दाग हैं इक बदनुमा 
अब गुनाहगारों को हो फांसी से कुछ भी कम नहीं 

Sunil_Telang/24/12/2012

MARHAM

Gham to humko bhi bahut hai, Sirf tujhko gham nahi
Ye ghadi manhoosiyat ki , Maut se kuchh kam nahi

Saath me tere khada hai, Desh ka har ik yuva
Kaun hai aisa ki jiski, Aankh ab tak nam nahi

Mar mitenge, ab lahoo se seench denge ye zameen
Fir kisi naari pe atyachar , Matlab hum nahin

Ik bura sapna samajhkar, Haadsa ye bhool ja 
Waqt se badhkar bada, Koi kahin Marham nahin

Zakhm ye tere, watan par daag hain ik badnuma
Ab gunahgaaron  ko ho Faansi se kuchh bhi kam nahi

Sunil_Telang/24/12/2012




Sunday, December 23, 2012

GUNAHGAAR


GUNAHGAAR

Lo gunahgaaron me shaayad naam apna aa gaya
Hanste hanste dhang jeene ka kahar barpaa gaya

Dard se rote, sisakte , Kaat lete zindagi
Zabt karne ka hunar logon ka dil tadpa gaya

Hum to hain Aam aadmi, kyon maang baithe apna hak
Hukmraanon se gila karna , Kayaamat dha gaya

Goonge, Bahron ki ye basti, kya kahen aur kya sune
Leek se hatkar kadam rakhna unhen garma gaya

Bheed me chalta raha jo, Bheed me hi kho gaya
Jo chala khud raah apni, Raasta dikhla gaya

Sirf sona jaagna, Hoti nahin hai zindagi
Jo jiya gairon ki khaatir, Usko jeena aa gaya

Sunil_Telang/23/12/2012



गुनाहगार 

लो गुनाहगारों में शायद नाम अपना आ गया 
हँसते हँसते ढंग जीने का कहर  बरपा गया 

दर्द से रोते , सिसकते, काट लेते ज़िन्दगी 
ज़ब्त करने का हुनर लोगों का दिल तड़पा  गया 

हम तो हैं आम आदमी , क्यों मांग बैठे अपना हक़ 
हुक्मरानों से गिला करना , क़यामत ढा  गया 

गूंगे बहरों की ये बस्ती, क्या कहें और क्या सुनें 
लीक से  हटकर  कदम रखना उन्हें गरमा गया 

भीड़ में चलता रहा जो, भीड़ में ही खो गया 
जो चला खुद राह अपनी , रास्ता दिखला गया 

सिर्फ सोना जागना , होती नहीं है ज़िन्दगी 
जो जिया गैरों की खातिर उसको जीना आ गया 

Sunil_Telang/23/12/2012

Saturday, December 22, 2012

AAKROSH


आक्रोश 

यूँ    तो    हैं   आक्रोश    में  दोनों   जहां 
सिलसिले थमते  नहीं  फिर  भी  यहाँ 

नारियां   बस   भोग्य  बस्तु  रह  गईं 
मानसिकता की विकृति सब कह गई  
क्या   पुरुष  के  दंभ  का  है  ये  निशां 

ये  दमन  का  चक्र  सदियों   से चला 
पर  पुरुष   को  दंड  ना   कोई  मिला 
रोज़   लिखते   हैं  नई    इक  दास्ताँ 

बेटियां, माँ  और बहन  हर  घर में  है 
आज क्यों गुमसुम सी इतने  डर में है 
देखता   कब    तक    रहेगा   नौजवां 

Sunil_Telang/22/12/2012




Friday, December 21, 2012

MAAFI NAHIN




माफ़ी नहीं 

रो लिये  हैं हम बहुत, उनको रुला  कर अब दिखाओ 
कुछ   सज़ा   दुष्कर्म  करने  के  लिये   ऐसी   बनाओ  

हैं   बहुत  सी  खामियां   इस  देश   के   क़ानून  में 
कितने मुजरिम बच  निकलते हैं सज़ा से, खून में 
जो मदद करते जुलम में उनपे भी ना रहम खाओ 

रोकना हो  गर कोई अपराध  तो  खुद  को सुधारों 
अपनी औलादों की हर गलती पे गुस्से को उतारो 
नारियों की वो करें इज्ज़त,  कसम उनको दिलाओ 

सिर्फ   होना  सख्त  ही  क़ानून  का  काफी   नहीं 
हो  सज़ा  हर  हाल  में  उनको  मिले  माफ़ी  नहीं 
गर ज़रूरत  हो  तो  संविधान  को  फिर से बनाओ 

Sunil _Telang/21/12/2012

MAAFI NAHIN 

Ro liye hain hum bahut, Unko rula kar ab dikhaao
Kuchh Sazaa dushkarm karne ke liye aisi banaao

Hain bahut si khaamiyan is desh ke kaanoon me 
Kitne muzrim bach nikalte hain sazaa se , khoon me 
Jo madad karte zulam me unpe bhi na raham khaao

Rokna ho gar koi apraadh to khud ko sudhaaro
Apni aulaadon ki har ghalti pe gusse ko utaaro
Naariyon ki wo karen izzat, Kasam unko dilaao

Sirf hona sakht hi kaanoon ka kaafi nahin
Ho sazaa har haal me, Unko mile maafi nahin
Gar zaroorat ho to Samvidhaan ko fir se banaao

Sunil_Telang/21/12/2012










21/12




21/12

Aa gaya 21/12 , Bhor ne di fir Salaami
Na to koi Jaljala hai, na koi aai Sunaami
Kal ki chintaaon me ghir kar kyon hua maayoos hai 
Aaj me jeevan jiye ja, Waqt ki na kar Ghulami.

Sunil_Telang/21/12/2012

Wednesday, December 19, 2012

BANDAGI




बन्दगी

मोल अस्मत का है बस दो चार लम्हों की ख़ुशी 
जाने किसको क्या मिला  लेकर किसी की ज़िन्दगी 

क्या खता थी जो हुये  सपने सुहाने ग़मज़दा 
लुट गयी खुशियाँ, न जाने चोट ये कैसी लगी 

जिनके हाथों में नहीं , दे पायें जीने की ख़ुशी 
उनको हक किसने दिया है वो मिटा दें ज़िन्दगी 

ऐ खुदा उनको समझ दे बहशियत  से जो घिरे
छीन कर खंज़र थमा दे उनको अपनी बन्दगी 

Sunil _Telang /19/12/2012

Tuesday, December 18, 2012

AAJ HUM HAIN SHARMSAAR


आज हम हैं शर्मसार 

जो हुआ,अच्छा नहीं था,आज हम हैं शर्मसार 

आज नारी जात के अस्तित्व पर है ये कुठार 

क्या घडी मनहूस आई ,छिन गया अस्मत का मोती 
रह गयी दुनिया नज़ारा देखकर आँखें भिगोती 
कुछ दरिंदों ने किया है आबरू को तार तार

सिर्फ दो संवेदना के शब्द ही काफी नहीं 
पाशविकता की है हद जिसकी कोई माफ़ी नहीं
और कब तक जुल्म ये होता रहेगा बार बार 

वक़्त है संघर्ष का,संकल्प का,कुछ कर दिखायें 
एक दिन तो सब गिले,शिकवे, शिकायत भूल जायें 
दें सज़ा ऐसी कि सुन के मौत रो दे एक बार 

AAJ HUM HAIN SHARMSAAR

Jo hua, achchha nahin tha, aaj hum hain sharmsaar
Aaj naari jaat ke astitwa par hai ye kuthaar

Kya ghadi manhoos aai, chhin gaya asmat ka moti
Rah gai duniya nazaara dekhkar aankhen bhigoti
Kuchh darindon ne kiya hai aabroo ko taar taar

Sirf do samvedna ke shabd hi kaafi nahin
Paashwikta ki hai had jiski koi maafi nahin
Aur kab tak zulm ye hota rahega baar baar

Waqt hai sangharsh ka, sankalp ka , kuchh kar dikhaayen
Ek din to sab gile, shikwe, shikaayat bhool jaayen
Den sazaa aisi ki sun ke maut ro de ek baar 


Sunil _Telang /18/12/2012

  



Monday, December 17, 2012

MERI SHAAYARI



मेरी शायरी 

दर्द की दास्ताँ है मेरी शायरी 
तेरी मेरी जुबां है मेरी शायरी 

कितने भूखे गरीबों की आँखों में इक  
रौशनी का दिया है मेरी शायरी 

जो हैं भटके जहां में निराशा लिये 
मंजिलों का पता  है मेरी शायरी 

कालिखों में घिरे इस वतन के लिये  
एक उजली सुबहा है मेरी शायरी 

पूछते हैं सभी मुझसे किसके लिये 
रोज़ तू लिख रहा है मेरी शायरी 

जो मोहब्बत  में हैं चोट खाये  हुये 
उनके दिल की दवा है मेरी शायरी 

कुछ तो  हलचल है कुछ तो हुआ है असर 
हर कोई पढ़ रहा है मेरी शायरी 

Sunil_Telang/17/12/2012



Sunday, December 16, 2012

WAQIF



वाकिफ़ 

क्या करें हम गिला ज़िन्दगी से कभी 
वो भी हमको मिले अजनबी से अभी

जिसको चाहा दिल- ओ- जान से उम्र भर 
वो ना वाकिफ़  हुये  आशिकी  से कभी  

मेरी  उल्फत का  देते रहे वो सिला  
बेरुखी  से  कभी, बेबसी  से  कभी 

रोज़ महफ़िल में हमको बुलाया मगर 
वो ना  आगे बढे  दिल्लगी  से कभी

लोग कहते रहे पर न आया समझ  
दिल लगाना नहीं अब किसी से कभी 

Sunil_Telang/16/12/2012
















Friday, December 14, 2012

TERI SOORAT



इस कदर छाये हुये हो दिल पर, कोई शै दिल नहीं बहलाती है 
अपनी तस्वीर देखता हूँ जब, तेरी सूरत ही नज़र आती  है 

Sunil_Telang /14/12/2012

LAUT AAO GHAR



लौट आओ घर 

कब तक तोड़ोगे "सचिन " जनता का विश्वास 
पूछ रहे सब लोग बस , कब लोगे  संन्यास 
करते हैं उम्मीद लगाओ कोई सैकड़ा 
पर अब तो दस रन का स्कोर भी बड़ा 
तुम महान , बल्लेबाजी के रहे सिकंदर 
बचा रहे सम्मान , लौट कर आ जाओ घर 

Sunil _Telang /14/12/2012

LAUT AAO GHAR

Kab tak todoge "Sachin", Janta ka vishwas 
Poochh rahe sab log bus kab loge sanyaas 
Karte hain ummeed lagaao koi sainkda 
Par ab to dus run ka score bhi bada 
Tum mahaan, ballebaaji ke rahe Sikandar
Bacha rahe samman, laut kar aa jaao ghar 

Sunil_Telang/14/12/2012








Thursday, December 13, 2012

UJLI SUBAH





उजली सुबह

छंट गए बादल, सुबह उजली हुई है,जान ले

तू अँधेरे से निकल कर रौशनी पहचान ले 

रात कितनी भी हो गहरी रोक ना पाये सहर 

ज़िन्दगी गम और ख़ुशी का मेल है तू मान ले 

सुनील_तैलंग /13/12/2012

Tuesday, December 11, 2012

TRAGEDY KING


ट्रेजेडी किंग

ट्रेजेडी किंग कहें तुमको या अभिनय सम्राट 
आज तक कोई ना पैदा कर पाया तेरी काट 
ज़िन्दगी भर दिल बहलाते रहे तेरे अंदाज़ 
लो जनमदिन पे बधाई हम सब  देते हैं आज  

Sunil _Telang 

FIR AARAKSHAN


फिर आरक्षण

आरक्षण की आंच में फिर न देश जल जाये 
देखो ये सरकार फिर  नया   दांव खिलवाये  
नयी   व्यवस्था  में  प्रमोशन  हो  आरक्षित 
करे  योग्यता को फिर उसके हक से वंचित 
वोट   बैंक   की   चिंता   में   डूबे  सारे  दल 
आरक्षित   क्यों   नहीं   करें  ये  मंत्री मंडल 

Sunil_Telang

Sunday, December 9, 2012

KUCHH ALAG





कुछ अलग 

काम दुनिया से अलग कर के दिखाओ                                                                                                                
रंग   अम्बर  में  नया भर के दिखाओ 

चल रहे हैं लोग सब सीधी डगर पर 
लीक से हट कर कदम धर के दिखाओ 

दूर  कर  दे  तू  निराशा  के ये बादल 
जोश जज्बातों में कुछ भर के दिखाओ 

जो मिला है आज , कुछ कुर्बानियां हैं 
उन शहीदों को नमन कर के दिखाओ 

अपनी नादानी से कुछ सर चढ़ गये हैं 
रास्ते उनको ज़रा  घर के दिखाओ 

वक़्त आया है कठिन, आराम तजकर 
अब ज़रा इस देश पर मर के दिखाओ 

Sunil_Telang/09/12/2012