नौटंकी
ज़मीनी हकीकत समझिये जनाब
अंधेरों से बाहर निकलिये जनाब
ये जनता है , सबको समझती है ये
गलतफहमियों में न पलिये जनाब
तेरे हर करम पे है उस की नज़र
न पैसों के दम पर उछलिये जनाब
किया क्या है बस घोटालों के सिवा
ना अब देश को और छलिये जनाब
बहुत उड़ चुके, अब तो गिरना है तय
अगर हो सके तो संभलिये जनाब
ये झूठी खुशामद, ये आंसू तेरे
लगे सिर्फ नौटंकी, चलिये जनाब
Sunil_Telang/18/10/2013
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