Saturday, October 5, 2013

DAAG



दाग़

दाग़ लोगों के जो दिखाते है 
अपनी तस्वीर को छुपाते हैं 

वो भी इंसान हैं खुदा तो नहीं 
बात इतनी सी भूल जाते हैं 

नई शुरुआत से डर लगता है 
तंत्र पर उंगलियाँ उठाते हैं

इस कदर भी गुरुर ठीक नहीं
दिन बहारों के भी रुलाते हैं

भीड़ से जो निकल के चलते हैं
अपनी तकदीर खुद बनाते हैं 

Sunil_Telang/04/10/2013

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