Monday, October 7, 2013

KALYUG




कलयुग 

बोलना सच मना है यहाँ 
झूठ पर ये टिका है जहां 

रोज़ करके नमन अपने भगवान का 
देके भाषण सुबह दीन-ओ -ईमान का
घर से बाहर निकलते ही भूले वचन
हर घडी में बदलती जुबां

कैसा सीखा है लोगों ने जीने का ढंग
बन गया झूठ जीवन का आवश्यक अंग
लोग कहते हैं कुछ, दिल में है और कुछ
ना रहा सच का नाम-ओ-निशां

झूठ मिल जुल के सब बोलते इस कदर
कितने घोटाले देखो हुय़े  बेअसर
जो भी सरकार बाहर निकल कर कहे
बस वही सच की है दास्तां

कोई पछतावा है न कोई शर्म है
झूठ कहना ही सबसे बड़ा धर्म है
सत्य के मार्गी इक अजूबा बने
है ये कलयुग, सुनो मेहरबां

झूठ पर ये टिका है जहां 

Sunil_Telang

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