AAINA
आईना
जो हो बात अपनी तो सब बोलते हैं
मगर ज़ुल्म पर ना जुबां खोलते हैं
तेरे दुःख दरद में वो क्या साथ देंगे
मुसीबत तेरे सर पे जो ढोलते हैं
बचें जाति धर्मों के सौदागरों से
जो नफरत का मीठा ज़हर घोलते हैं
बस इक बार आईना उनको दिखाओ
तेरा वोट नोटों से जो तोलते हैं
Sunil_Telang/19/10/2013
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