Sunday, October 20, 2013

AAINA



आईना 

जो  हो  बात अपनी  तो सब बोलते हैं 
मगर  ज़ुल्म  पर  ना  जुबां  खोलते हैं 

तेरे  दुःख  दरद  में  वो क्या साथ देंगे 
मुसीबत  तेरे  सर   पे  जो   ढोलते  हैं 

बचें   जाति   धर्मों   के  सौदागरों   से 
जो नफरत का  मीठा ज़हर घोलते हैं 

बस इक बार आईना उनको दिखाओ 
तेरा  वोट  नोटों    से  जो   तोलते   हैं 

Sunil_Telang/19/10/2013


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