Wednesday, October 23, 2013

MAQSAD


मकसद 

खुशी  को  भूल कर हर शख्स क्यों  अपना रहा  है ग़म 
मिला तो है बहुत तुझको मगर लगता है फिर भी कम 

भुला   डाले   सभी   रिश्ते   फ़क़त  दौलत  कमाने   मैं
अकेला  बैठ  कर  अब  आँख  अपनी रोज़  करता नम 

बनाये   हैं  महल   किसके  लिये,  है   कौन   अब  तेरा 
मुसीबत   में    ना    कोई   बांटने   आयेगा   तेरा   ग़म 

नहीं  कोई  जगह  माँ  बाप  की   जब  रह  गई  घर  में
रहेगा   चैन    कैसे    फिर   तेरे   परिवार    में   कायम  

समझ   लेना  हुआ   पूरा  तेरे   जीने   का  ये   मकसद 
किसी  की आँख रहती   है  अगर  तेरे   लिये   पुर-नम 

Sunil_Telang/23/10/2013

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