मकसद
खुशी को भूल कर हर शख्स क्यों अपना रहा है ग़म
मिला तो है बहुत तुझको मगर लगता है फिर भी कम
भुला डाले सभी रिश्ते फ़क़त दौलत कमाने मैं
अकेला बैठ कर अब आँख अपनी रोज़ करता नम
बनाये हैं महल किसके लिये, है कौन अब तेरा
मुसीबत में ना कोई बांटने आयेगा तेरा ग़म
नहीं कोई जगह माँ बाप की जब रह गई घर में
रहेगा चैन कैसे फिर तेरे परिवार में कायम
समझ लेना हुआ पूरा तेरे जीने का ये मकसद
किसी की आँख रहती है अगर तेरे लिये पुर-नम
Sunil_Telang/23/10/2013
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