बहार
ये दौर-ए -खिजां गुज़रेगा फिर बहार होगी
तेरे ग़मों के बीच खुशी भी शुमार होगी
माना कि ज़िन्दगी का आसां नहीं सफ़र है
उम्मीद फिर भी मंजिल की बार बार होगी
थक हार के जो बैठा उसने वजूद खोया
चलते अगर रहोगे मुश्किल ये पार होगी
ये ख़्वाब तेरे लड़ कर बन पायेंगे हकीकत
ये कायनात इक दिन तुझ पर निसार होगी
तू मुश्किलों को मंजिल की सीढियां बनाले
फिर जीत तेरी उतनी ही शानदार होगी
Sunil_Telang/13/10/2013
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