दुआ
बुजुर्गों की दुआ से रौशनी जीवन में होना है
इन्हें ना बोझ तुम समझो जिसे दिन रात ढोना है
खता क्या हो गई इन से बना लीं दूरियां तुमने
ना दिल में अब जगह कोई न घर में एक कोना है
लुटाई हर ख़ुशी अपनी तेरी मुस्कान की खातिर
तेरा खुशहाल रहना ही तो अब इनका खिलौना है
कहाँ तहज़ीब ले आई ये कैसी आधुनिकता है
कि उनका साथ रहना भी ना अब मंज़ूर होना है
तेरा अस्तित्व जिनसे है उन्हें ऐसे न ठुकराओ
तुझे भी एक दिन आखिर किसी का बाप होना है
Sunil_Telang/01/10/2013
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