Tuesday, October 1, 2013

DUA


दुआ

बुजुर्गों  की  दुआ  से  रौशनी  जीवन  में  होना   है 
इन्हें ना बोझ तुम समझो जिसे दिन रात ढोना है 

खता  क्या  हो  गई इन से बना  लीं दूरियां तुमने  
ना दिल में अब जगह कोई न घर में एक कोना है 

लुटाई हर ख़ुशी  अपनी तेरी मुस्कान की खातिर 
तेरा खुशहाल रहना ही तो अब इनका खिलौना है 

कहाँ  तहज़ीब  ले आई  ये  कैसी  आधुनिकता  है 
कि  उनका साथ रहना भी ना अब मंज़ूर होना है

तेरा  अस्तित्व जिनसे  है उन्हें  ऐसे  न ठुकराओ 
तुझे भी एक दिन आखिर किसी का बाप होना है 

Sunil_Telang/01/10/2013

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