Friday, October 11, 2013

ASHAAR



अशआर 

मेरे  अशआर  से   मैं  अपने  दिल की बात कहता हूँ 
मैं   तुझसे   दूर   होकर  भी   तेरे   ही पास  रहता  हूँ 

मेरी यादों को जब भी अपने दिल से तुम मिटाते हो 
तेरी  पलकों  के  कोने  से  मैं  बन के अश्क बहता हूँ 

कभी  फुर्सत  मिले  तो  हाल अपना भी समझ लेना 
तेरी खुशियों की खातिर रोज़ कितना  दर्द सहता हूँ 

ज़माने   के    लिये   ये   शायरी  तस्कीन है दिल की 
ज़रा तू  भी तो  पढ़  के देख तुझसे क्या मैं कहता  हूँ 

(अशआर -Couplets,Sher, तस्कीन- Satisfaction )

Sunil_Telang/11/10/2013

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