अशआर
मेरे अशआर से मैं अपने दिल की बात कहता हूँ
मैं तुझसे दूर होकर भी तेरे ही पास रहता हूँ
मेरी यादों को जब भी अपने दिल से तुम मिटाते हो
तेरी पलकों के कोने से मैं बन के अश्क बहता हूँ
कभी फुर्सत मिले तो हाल अपना भी समझ लेना
तेरी खुशियों की खातिर रोज़ कितना दर्द सहता हूँ
ज़माने के लिये ये शायरी तस्कीन है दिल की
ज़रा तू भी तो पढ़ के देख तुझसे क्या मैं कहता हूँ
(अशआर -Couplets,Sher, तस्कीन- Satisfaction )
Sunil_Telang/11/10/2013
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