हमदर्दी
किसे बहला रहे हैं आज हमदर्दी यूँ दिखला के
अजब हालात हैं उन को गुनाहों की हुई चिन्ता
उड़ाते रोज़ परखच्चे जो इस न्यायिक व्यवस्था के
लुटी है आम जनता की कमाई ग़म नहीं कोई
कोई पूछे तो धन वापस करेंगे क्या ये लौटा के
हुई है जीत ये आम आदमी के सब्र और हक की
कि अब ना लोग बहकेंगे किसी की बातों में आ के
बहुत अब हो गया संभलो ज़रा पहचान लो इनको
जो भूले हैं धरम अपना सियासत में जगहा पा के
Sunil_Telang/03/10/2013
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