Thursday, October 31, 2013

TYOHAAR



त्यौहार 

उजालों    की   चमक   में  ग़म   के  अँधेरे  छुपाते   हैं 
बने   हैं   बोझ   ये   त्यौहार  हम  फिर  भी  मनाते हैं  

बिगाड़ा   है   बजट    घर   का  हुई  कैसी  ये  मंहगाई  

बढ़ी   रौनक   बाज़ारों   की   मगर  सब   हैं तमाशाई 
महज़  कीमत  ही  बस  हम पूछकर घर लौट आते हैं

बनी  मेहमां- नवाजी  भी  महज़  इक औपचारिकता 
वो हर्षोल्लास अपनापन भी उतना अब नहीं दिखता
ये   झूठी  शानो-शौकत  का  नज़ारा  सब  दिखाते  हैं

इलेक्ट्रॉनिक्स  ने  कितने  गरीबों   को   रुला   डाला    

दिये   बाती   हुये    कम  आ  गईं  हैं चायनीज़ माला 
मिठाई  छोड़कर  अब   ड्राई   फ्रूट  बादाम   लाते   हैं 

ज़रुरत  आ  पड़ी  है  खर्च  पर  अब कुछ  नियंत्रण हो 
पटाखों  का चलन  हो  कम हवा  में  कम  प्रदूषण हो
रहे   खुशहाल   जग   सारा   ये   उम्मीदें    जताते  हैं  

Sunil_Telang/31/10/2013





Wednesday, October 30, 2013

HASRATEN



हसरतें

तमाम हसरतें  यूँ  ही  तमाम  हो गईं 
शिकायतें कुछ और तेरे नाम  हो गईं 
यकीन  करते  रहे  तेरे  झूठे वादों पर 
मोहब्बतें भी हुस्न की ग़ुलाम हो गईं 

Sunil_Telang






Monday, October 28, 2013

DEEWALI



ज़िक्र अपना रात दिन चलता रहेगा 

गुमशुदा  बचपन यूँ ही पलता  रहेगा 
हम गरीबों की  प्रगति की आड़ लेकर 
घर किसी  का  फूलता  फलता रहेगा 

दीवाली

मिल जायें  जो  दो  रोटी  तो अपनी दीवाली है 
घर   तुमने  भरे   होंगे   ये    पेट  तो  खाली   है 

क्या होती  हैं  ये  खुशियां कैसे  अभी बतलायें 

हमने  तो   ग़मों   में   ही  ये  उम्र  निकाली   है 

दीपों  की  चमक  में   ये   रंगीन  हुई    दुनिया 

पीछे   भी   जरा   देखो   तस्वीर  ये   काली  है 

रहते   हैं   अकेले   
हम  त्यौहार  हों   या   मेले   
कहते   हैं    गरीबों    की  सरकार   निराली  है 

है आसमां छत अपनी बिस्तर ये ज़मीं अपना
दुनिया  से  अलग हमने दुनिया ये बना ली है 

Sunil_Telang/28/10/2013







Sunday, October 27, 2013

YAKEEN



यकीं 

यकीं हमने किया है, एक दिन दुनिया को आयेगा 
यही आम आदमी अब, ख़ास बन  के राज पायेगा 

कभी जो  ख्वाब देखे थे,, हकीकत  बन रहे  हैं अब

नहीं  कोई  तेरा सानी,  यहाँ  पर कह  रहे   हैं  सब 
तेरी  हिम्मत ,  तेरा  ये   हौसला  बदलाव लायेगा  

Sunil _Telang/27/10/2013







Wednesday, October 23, 2013

MAQSAD


मकसद 

खुशी  को  भूल कर हर शख्स क्यों  अपना रहा  है ग़म 
मिला तो है बहुत तुझको मगर लगता है फिर भी कम 

भुला   डाले   सभी   रिश्ते   फ़क़त  दौलत  कमाने   मैं
अकेला  बैठ  कर  अब  आँख  अपनी रोज़  करता नम 

बनाये   हैं  महल   किसके  लिये,  है   कौन   अब  तेरा 
मुसीबत   में    ना    कोई   बांटने   आयेगा   तेरा   ग़म 

नहीं  कोई  जगह  माँ  बाप  की   जब  रह  गई  घर  में
रहेगा   चैन    कैसे    फिर   तेरे   परिवार    में   कायम  

समझ   लेना  हुआ   पूरा  तेरे   जीने   का  ये   मकसद 
किसी  की आँख रहती   है  अगर  तेरे   लिये   पुर-नम 

Sunil_Telang/23/10/2013

Tuesday, October 22, 2013

HAWA



हवा 

हकीकत  और  है  लेकिन जुबां  कुछ और कहती  है 
हँसी चेहरे  से  उनके  आज कल  कुछ   दूर  रहती है 
निगाहों   में   है   बेचैनी,  जुबां   भी  लडखडाती   है 
हवा दिल्ली की पहले"आप"को छू कर के बहती है 

Sunil _Telang /23/10/2013

Monday, October 21, 2013

VOTE DENGE



वोट  देंगे

वोट की तू अहमियत पहचान ले 
वोट    देना   है   ज़रूरी  जान   ले 

जिंदगी    तेरी   अगर   दुश्वार   है 

सोच  इसका  कौन  जिम्मेदार है 
वोट तेरा जन्मसिद्ध अधिकार है 
वोट   है   हथियार  तेरा  मान  ले 

वोट देने  से  बनेगी तेरी किस्मत 

तेरी  मर्ज़ी  से  चलेगी ये  हुकूमत  
वोट  तेरा  लोकशाही  की ज़रुरत 
वोट  देंगे,  आज  मन  में  ठान  ले  

Sunil_Telang/21/10/2013





Sunday, October 20, 2013

KISMAT



किस्मत

चलिये  किसी   से  अपनी  किस्मत बदल  के देखें 
लगते जो  खुश   हैं  उनके  घर  पे  भी चल  के देखें 

यूँ तो मिला बहुत कुछ पर फिर भी लगता कम है 
इन  हसरतों  की   ज़द   से  बाहर  निकल  के देखें 

लड़ता  है  हर   इक   इन्सां  अपनी  अलग  लड़ाई
क्यों  रश्क   करें, उसकी  सूरत  को  जल  के  देखें  

है  महल,  शानो -शौकत फिर भी  वो  गमज़दा हैं 
अपनों से  मिले   उनके   जख्मों  को चल  के देखें 

आया   है   फिर   सबेरा   ये   एक   पल   है   तेरा 
खुशियाँ  मिलेंगी  उनको  सपने जो  कल के देखें 

Sunil_Telang/20/10/2013



AAINA



आईना 

जो  हो  बात अपनी  तो सब बोलते हैं 
मगर  ज़ुल्म  पर  ना  जुबां  खोलते हैं 

तेरे  दुःख  दरद  में  वो क्या साथ देंगे 
मुसीबत  तेरे  सर   पे  जो   ढोलते  हैं 

बचें   जाति   धर्मों   के  सौदागरों   से 
जो नफरत का  मीठा ज़हर घोलते हैं 

बस इक बार आईना उनको दिखाओ 
तेरा  वोट  नोटों    से  जो   तोलते   हैं 

Sunil_Telang/19/10/2013


Saturday, October 19, 2013

UMMEED



उम्मीद

रोज़  करता  हूँ  मैं  उम्मीद  तेरे  आने  की 
रोज़ पाता  हूँ सज़ा  तुमसे दिल लगाने की 
जान अटकी है  ये  हसरत कभी होगी पूरी 
तू भी सुन पाये  कभी आह इस दीवाने की 

Sunil _Telang /18/10/2013

Friday, October 18, 2013

NAUTANKI



नौटंकी

ज़मीनी   हकीकत  समझिये  जनाब 
अंधेरों  से  बाहर   निकलिये  जनाब 

ये  जनता  है , सबको समझती है ये 
गलतफहमियों  में  न पलिये जनाब 

तेरे   हर  करम  पे  है  उस की  नज़र 
न पैसों  के  दम पर उछलिये जनाब 

किया  क्या  है  बस घोटालों के सिवा 
ना  अब  देश को और छलिये जनाब 

बहुत उड़ चुके, अब तो गिरना है तय 
अगर  हो   सके  तो संभलिये जनाब

ये     झूठी   खुशामद,  ये  आंसू   तेरे 
लगे  सिर्फ  नौटंकी,  चलिये  जनाब  

Sunil_Telang/18/10/2013

Wednesday, October 16, 2013

SANTAAP



संताप 

जो  अभी  भी सोचते  हैं वोट क्यों दें "आप" को 
वो   निमंत्रण  दे   रहे  हैं   उम्र   भर  संताप   को 

फिर उन्हें कोई ना हक होगा गिला शिकवा करें 

है  नियति उनकी यूँ ही घुट घुट  के वो जीयें मरें 
झेलते   जायेंगे    भ्रष्टाचार    के   अभिशाप   को 

होंगे   वो   बेफिक्र  अपनी  संपदा   को  देख  कर 

सोचते  होंगे   पड़ेगा उनपे  ना  कुछ   भी  असर
पर ये  दीमक नष्ट कर देगा हर  इक परताप को  

अपनी औलादों की खातिर सोच  कर देखो ज़रा 

इस सुअवसर को भुना ले  किसलिये  तू  है डरा 
राजनीति  को  बदल  दें  खत्म  कर  दें पाप  को 

Sunil_Telang/16/10/2013







Tuesday, October 15, 2013

KARNI


करनी

देने   में   जो  खुशी   है  पाने  में ना  मिलेगी 
लोगों  के  काम आ के लब पे हँसी   खिलेगी 
तेरी   हर  एक   करनी  को  देख रहा  है रब 
दीनों के दुःख मिटा के जन्नत तुझे मिलेगी 

Dene  me  jo khushi hai Paane me na milegi
Logon ke kaam aa ke Lab  pe hansi khilegi 
Teri  har  ek karni  ko Dekh   raha hai Rab 
Deeno ke dukh mita ke Jannat tujhe milegi 

Sunil_Telang.15/10/2013

Monday, October 14, 2013

RAAZ


राज़

कोई   राज़  उसका   छुपा  तो  नहीं  है 
है    इंसान  वो   भी,  खुदा   तो  नहीं है 

शिकायत  न  तेरी  कभी  ख़त्म  होगी 

है   आदत   तुम्हारी,  खता  तो नहीं है

ना अच्छाई देखो, मगर इतना समझो 

बुराई   से   भी    वास्ता   तो   नहीं   है 

ये  घबराना  तेरा  जुबां  पे  ये  तल्खी

हकीकत  से  तू   भी  डरा  तो  नहीं  है  


Sunil_Telang/14/10/2013

Sunday, October 13, 2013

DUSSEHRA PARV


दशहरा   पर्व

Chalo buraai par achchhai kar den bhaari
Karen Dussehra Parv manane ki taiyari  

Raavan ko har saal jalaane se kya hoga 
Fir ik daanav naye vesh me paida hoga 
Laaj bachaye kab tak Sita roopi naari

Door rakhen vyasno se tan aur man ko apne
Poore karen bade boodhon ke man ke sapne
Apne ghar me rahe na koi Maa dukhiyari 

Ant karen paapon ka apne paap mita kar 
Chalo badhayen prem Irshya bhaav bhula kar 
Deti hai sandesh yahi Sanskriti humari 

Sunil_Telang

चलो  बुराई  पर  अच्छाई  कर  दें  भारी 
करें   दशहरा   पर्व  मनाने   की   तैयारी

रावण को हर साल जलाने से क्या होगा
फिर  इक  दानव नये  वेश में पैदा होगा
लाज बचाये  कब  तक  सीता रुपी नारी 

दूर रखें व्यसनों से तन और मन को अपने 
पूरे   करें   बड़े   बूढों   के   मन  के  सपने 
अपने घर में  रहे  ना  कोई  माँ दुखियारी 

अंत करें पापों का मन के पाप मिटा कर 
चलो   बढ़ायें  प्रेम   ईर्ष्या  भाव भुलाकर 
देती   है  सन्देश  यही  संस्कृति  हमारी 

Sunil_Telang/13/10/2013









BAHAAR


बहार 

ये  दौर-ए -खिजां  गुज़रेगा  फिर बहार होगी 
तेरे  ग़मों  के  बीच  खुशी   भी  शुमार  होगी 

माना कि  ज़िन्दगी  का  आसां नहीं सफ़र है 
उम्मीद  फिर भी मंजिल की बार बार होगी 

थक   हार   के  जो   बैठा  उसने  वजूद खोया

चलते  अगर  रहोगे  मुश्किल  ये  पार होगी 

ये  ख़्वाब  तेरे  लड़ कर बन पायेंगे  हकीकत 
ये कायनात इक दिन तुझ  पर निसार होगी 

तू  मुश्किलों  को मंजिल की सीढियां बनाले  
फिर  जीत  तेरी   उतनी  ही  शानदार  होगी 

Sunil_Telang/13/10/2013













Saturday, October 12, 2013

JAZBAA



जज्बा 

तुझे  नादां  समझने  वाले  खुद  नादान होंगे 
फलक पे  उड़ने वाले लोग  कब इन्सान होंगे

कभी  देखी  न  जिसने भूख लाचारी  गरीबी 
तेरे  दुःख  दर्द  से तो लोग वो अनजान होंगे 

वो   दिन  आयेगा   काले  धन   के   दम  पर 
हुकूमत  करने  वाले  जेल  के मेहमान होंगे 

उठा हर नौजवां लेकर शहादत का ये जज्बा 
वतन पे मिटने वाले ही वतन की शान होंगे 

Sunil_Telang/12/10/2013

Friday, October 11, 2013

ASHAAR



अशआर 

मेरे  अशआर  से   मैं  अपने  दिल की बात कहता हूँ 
मैं   तुझसे   दूर   होकर  भी   तेरे   ही पास  रहता  हूँ 

मेरी यादों को जब भी अपने दिल से तुम मिटाते हो 
तेरी  पलकों  के  कोने  से  मैं  बन के अश्क बहता हूँ 

कभी  फुर्सत  मिले  तो  हाल अपना भी समझ लेना 
तेरी खुशियों की खातिर रोज़ कितना  दर्द सहता हूँ 

ज़माने   के    लिये   ये   शायरी  तस्कीन है दिल की 
ज़रा तू  भी तो  पढ़  के देख तुझसे क्या मैं कहता  हूँ 

(अशआर -Couplets,Sher, तस्कीन- Satisfaction )

Sunil_Telang/11/10/2013

Wednesday, October 9, 2013

IMTIHAAN


इम्तिहान

अभी   सफ़र  ये  शुरू  हुआ   है  अभी    कई   इम्तिहान    होंगे
वो  दिन  भी  आयेगा तेरी  मुट्ठी  में   ये  ज़मीं   आसमान  होंगे 

अभी   तेरा  ना   वजूद   कोई  मगर  हकीकत  बनेगी इक दिन  
तेरे   रकीबों  की  भी  जुबां  से  तेरे    ही    चर्चे    बखान    होंगे

अँधेरे  में   इक   शमा   जली   है   तेरी   कवायद   ये   रंग लाई 
तेरी    सच्चाई    जवां -दिली   से   डरे   सभी   हुक्मरान   होंगे 

न  होगी  शिक्षा की अब तिजारत ना जात धर्मों की अब लड़ाई 
ना  कोई  शासक  न  कोई  सेवक   बड़े  या   छोटे  समान होंगे 

बनेगी जनता खुद अपनी मालिक न कोई अब होगा भ्रष्टाचारी
स्वराज   के   पूरे   होंगे   सपने   नये   विधि  के  विधान  होंगे 

(तिजारत -Business,वजूद-Existence, रकीब-Competitor)

Abhi    safar   ye    shuru    hua   hai  Abhi     kai      imtihaan     honge
Wo  din  bhi  aayega  Teri  mutthi  me Ye  zameen  aasmaan   honge 

Abhi   tera   na   wajood   koi    Magar      hakeekat     banegi    ik    din
Tere  raqeebon  ki  bhi jubaan se Tere hi charche  bakhaan  honge 

Andhere    me    ik   shama    jali   hai   Teri   kawayad   ye   rang   laai 
Teri   sachchai   Jawan - Dili    se   Dare    sabhi    hukmraan   honge 

Na   hogi  shiksha  ki  ab  tijaarat  Na   jaati   dharmon   ki   ab  ladaai 
Na  koi  shaasak  Na   koi  sewak  Bade  ya  chhote  samaan  honge 

Banegi  janta  khud  apni   maalik  Na   koi  ab  hoga   bhrashtachari 
SWARAAJ  ke  honge  poore  sapne  Naye vidhi  ke vidhaan honge 

Sunil_Telang/09/10/2013 

Monday, October 7, 2013

RUKH



रुख 

यकीं  उनको न अब तक आ रहा है 
हवा  का  रुख़  बदलता  जा  रहा है 

फलक  पे  आज तक जो उड़ रहे थे  
सितारा  उनका  ढलता जा  रहा है 

कवायद का  असर  ऐसा  हुआ   है 
लहू  सबका  उबलता  जा   रहा  है

हक़ीकत  रास ना  आयेगी  उनको
नतीजा  अब  बदलता  जा  रहा है 

कोई  गुमराह अब ना  कर सकेगा  
ये जन मानस संभलता जा रहा है 

Sunil_Telang/07/10/2013





KALYUG




कलयुग 

बोलना सच मना है यहाँ 
झूठ पर ये टिका है जहां 

रोज़ करके नमन अपने भगवान का 
देके भाषण सुबह दीन-ओ -ईमान का
घर से बाहर निकलते ही भूले वचन
हर घडी में बदलती जुबां

कैसा सीखा है लोगों ने जीने का ढंग
बन गया झूठ जीवन का आवश्यक अंग
लोग कहते हैं कुछ, दिल में है और कुछ
ना रहा सच का नाम-ओ-निशां

झूठ मिल जुल के सब बोलते इस कदर
कितने घोटाले देखो हुय़े  बेअसर
जो भी सरकार बाहर निकल कर कहे
बस वही सच की है दास्तां

कोई पछतावा है न कोई शर्म है
झूठ कहना ही सबसे बड़ा धर्म है
सत्य के मार्गी इक अजूबा बने
है ये कलयुग, सुनो मेहरबां

झूठ पर ये टिका है जहां 

Sunil_Telang

Sunday, October 6, 2013

DIYE
























समझा न कोई रब ने किस्मत में लिखा क्या है 
उस  की  रज़ा  के  आगे  सब  हाथ  मल   रहे  हैं 

  ( In the memory of a beautiful & noble soul..Renu Bais , Who lost her life in a Fatal Road Accident in M.P.Nagar,Bhopal on 04.10.2013.May her  soul rest in peace!! )

दिये

चेहरे  पे   ख़ुशी  लेकर  घर  से  निकल  रहे हैं 
ये    हादसों   के  साये   भी  साथ  चल  रहे हैं 

दो  पल  ना  ठहरती  है  रौनक  ये बहारों की 

ग़मगीन   अँधेरों   में   दिन  रात  ढल  रहे हैं 

ख़्वाबों के सिवा अपने  हाथों में भला क्या है 
उम्मीद  लगाये   बस  ये  दिल  बहल  रहे  हैं 

कुछ लोग  बिछड़कर भी दिल के करीब होंगे 
यादों  के दिये अब तक आँखों  में जल  रहे हैं 

Sunil_Telang/06/10/2013













Saturday, October 5, 2013

DAAG



दाग़

दाग़ लोगों के जो दिखाते है 
अपनी तस्वीर को छुपाते हैं 

वो भी इंसान हैं खुदा तो नहीं 
बात इतनी सी भूल जाते हैं 

नई शुरुआत से डर लगता है 
तंत्र पर उंगलियाँ उठाते हैं

इस कदर भी गुरुर ठीक नहीं
दिन बहारों के भी रुलाते हैं

भीड़ से जो निकल के चलते हैं
अपनी तकदीर खुद बनाते हैं 

Sunil_Telang/04/10/2013

Thursday, October 3, 2013

HUMDARDI


हमदर्दी 


बहुत   मायूस  लगते   हैं  नुमाइंदे   ये   जनता   के
किसे  बहला  रहे  हैं  आज  हमदर्दी  यूँ  दिखला  के 

अजब  हालात  हैं उन को  गुनाहों  की  हुई  चिन्ता
उड़ाते रोज़ परखच्चे जो इस न्यायिक व्यवस्था के

लुटी  है  आम  जनता  की  कमाई  ग़म  नहीं  कोई
कोई  पूछे  तो  धन  वापस करेंगे  क्या  ये लौटा के 

हुई  है  जीत  ये  आम आदमी  के  सब्र और हक की
कि अब ना लोग बहकेंगे  किसी  की बातों में आ के 

बहुत अब  हो गया संभलो ज़रा पहचान लो इनको
जो  भूले  हैं धरम अपना सियासत में जगहा पा के 

Sunil_Telang/03/10/2013




Wednesday, October 2, 2013

RAASTA



रास्ता 


रास्ता    सबके    लिये    बस    रास्ता  है 
तू   भटक  जाये   तो  ये   तेरी   खता  है 

ये  तो   स्थिर    है  सदा ,   ग़म   या  खुशी  हो 
धूप   और   छाँव   से   इसका    वास्ता  है 

मुश्किलें    इसमें   नज़र   आती    किसी     को 
और     कोई     अपनी    मंजिल  देखता  है 

चलते   रहना   ज़िन्दगी   की   है  निशानी
रुक   गया  जो  नाम   उसका   लापता  है 

Sunil_Telang/02/10/2013 


Tuesday, October 1, 2013

DUA


दुआ

बुजुर्गों  की  दुआ  से  रौशनी  जीवन  में  होना   है 
इन्हें ना बोझ तुम समझो जिसे दिन रात ढोना है 

खता  क्या  हो  गई इन से बना  लीं दूरियां तुमने  
ना दिल में अब जगह कोई न घर में एक कोना है 

लुटाई हर ख़ुशी  अपनी तेरी मुस्कान की खातिर 
तेरा खुशहाल रहना ही तो अब इनका खिलौना है 

कहाँ  तहज़ीब  ले आई  ये  कैसी  आधुनिकता  है 
कि  उनका साथ रहना भी ना अब मंज़ूर होना है

तेरा  अस्तित्व जिनसे  है उन्हें  ऐसे  न ठुकराओ 
तुझे भी एक दिन आखिर किसी का बाप होना है 

Sunil_Telang/01/10/2013