Friday, January 11, 2013

SABAK

सबक 

क्यों भला हम सह रहे हैं ये शरारत  बार बार 
अब  तलक दो सर  कटे हैं और कितना इंतज़ार

हो नहीं सकती है ये नापाक हरकत भूल  से  
काफिले चलते नहीं  हैं जो नियम और उसूल से 
उनको कितनी बार माफ़ी, क्यों नहीं  होता प्रहार 

लाल  खोये हैं  जिन्होंने , ऐसी माँओं  को नमन 
गर्व करती  हैं शहादत  पर , नहीं कोई शिकन 
कब कोई समझेगा उनके मन की पीड़ा  एक  बार 

कब तलक बातों का मौसम , कब कदम होंगे कड़े 
सैनिकों के  वेश में ये  आततायी हैं  खड़े 
अब सबक इनको सिखाओ चाहे रण हो एक बार 

Sunil _Telang /10/01/2013

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