इस कदर भी ज़ुल्म कोई ना करे
तोड़ कर दिल, प्यार से देखा करे
दूर रह कर वस्ल की ख्वाहिश करे
घर बुला के सामने पर्दा करे (वस्ल -मिलन)
धडकनों में बस गया वो इस कदर
फिर भला अब काम कोई क्या करे
क्या क़यामत है,अजब हालात हैं
हो के वो मेरा मुझे रुसवा करे (रुसवा -बदनाम )
बेरुखी ये फिर जुनूं पैदा करे
इस कदर खामोशियाँ अच्छी नहीं
बात कोई हो जो दिल हल्का करे
भूल पाना उसको अब मुमकिन नहीं
याद उसकी रोज़ दिल तन्हा करे
Sunil _Telang /23/01/2013
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