ग़म ज्यादा कम ख़ुशी
हादसों से भरी ज़िन्दगी हो गई
ग़म हैं ज्यादा, कहाँ ये ख़ुशी खो गई
लोग रहते हैं घर में डरे किस कदर
जब से उनकी जवां लाडली हो गई
कैसे पहचान हो अब गुनहगार की
राजनीति भी अब मज़हबी हो गई
कम हुआ हुक्मरानों में जनता का डर
आन्दोलन थमा, "दामिनी" सो गई
याद रखना ज़हन में ये कुर्बानियां
फिर कवायद ये अब लाज़मी हो गई
(कवायद-Drill, लाज़मी-Essential)
Sunil_Telang/27/01/2013
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