Sunday, January 27, 2013

KARMCHAARI

क्या करें कोई नहीं सुनता हमारी 
रोती  है  रोती  रहे जनता  बेचारी 
ये कोई मजबूरी है या इक बीमारी




कर्मचारी

जब से शासन के हुये हम कर्मचारी

देश हित में ही रही सेवा हमारी 

आ गया कमजोरियां हमको छुपाना
लब पे आया रोज़ झूठा इक बहाना
आम जनता पर पड़ें हम रोज़ भारी

हम तो हैं सरकारी नौकर देख लो 
चाहे हमको आजमाकर देख लो 
काम होगा ,कुछ  करो तीमारदारी 

फाइलों का ढेर टेबल पर लगाकर 
अपना सर हरदम रखें नीचे झुकाकर 
काम करते हैं जो होता लाभकारी 

Sunil _Telang /27/01/2013

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