जायें कहाँ
दास्ताँ किसको सुनायें कौन है अपना यहाँ
कौन है जिसको दिखायें दिल के ज़ख्मों के निशाँ
हर कोई तन्हा यहाँ पे हर कोई है ग़मज़दा
हर किसी के पास देखा बस दुखों का कारवाँ
लुट गये सपने किसी के , खो गई सारी ख़ुशी
हर तरफ आती नज़र उजड़े घरों की बस्तियां
कैसी ये दाता की नगरी , कैसा है तेरा करम
अब तू ही बतला दे तुझको छोड़कर जायें कहाँ
Sunil_Telang /30/06/2013
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