औलाद
आज क्यों महसूस होती है ज़रुरत आपकी
जीते जी तो कर न पाये, हम कदर माँ बाप की
जो मिला हमको उसे हम, मान बैठे अपना हक
किसने अपना पेट काटा, ये ना सोचा आज तक
देख ना पाये कभी उभरी शिकन संताप की
दे ना पाये मान इज्ज़त, बोझ तुमको मानकर
कायदे क़ानून घर के भूल कर, थे बेखबर
बचपना था,ना समझ थी पुण्य की, ना पाप की
वक़्त कैसा आ गया, अब हर कोई स्वच्छंद है
अपनी मर्जी, अपनी दुनिया में जवानी बंद है
एक दिन समझायेगी औलाद उनकी आप की
Sunil _Telang /16/06/2013
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