AAFAT
आफत
जान की आफत बनी बैठी है बारिश
और कहीं पर ले के आई है ये राहत
सोचने पर हो गया मजबूर इन्सां
ये प्रकृति का है कहर या कोई नेमत
हो रहे खुश संपदाओं को मिटाकर
आ गई है सामने देखो हकीकत
क्या सबक लेगा कभी इंसान कोई
क्यों तबाही बन गई देखो मुसीबत
Sunil _Telang /18/06/2013
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