Tuesday, June 18, 2013

AAFAT



आफत

जान की आफत बनी बैठी है बारिश 
और कहीं पर ले के आई है ये राहत 
सोचने पर हो गया मजबूर इन्सां 
ये प्रकृति का है कहर या कोई नेमत 

हो रहे खुश संपदाओं को मिटाकर 
आ गई है सामने देखो हकीकत 
क्या सबक लेगा कभी इंसान कोई 
क्यों तबाही बन गई  देखो मुसीबत 

Sunil _Telang /18/06/2013



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