मसीहा
दूरियां बढ़ने लगी हैं आम जनता के लिये
उनको अब फुर्सत नहीं है आम जनता के लिये
क्या यही सरकार है जो पांच वर्षों के लिये
आम जनता ने चुनी है आम जनता के लिये
कल तलक माँ बाप भाई और बहन करते थे जो
आज वो सब अजनबी हैं आम जनता के लिये
हमने तो हमराज़ समझा अपने दुःख और दर्द का
उनकी नज़रें फिर गई हैं आम जनता के लिये
लोग जीते हैं यहाँ हर रोज़ बस ये सोच कर
क्या कहीं सुनवाई भी है आम जनता के लिये
कब तलक ये ज़ुल्म अत्याचार होगा,याद रख
इक मसीहा और भी है आम जनता के लिये
Sunil _Telang
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