क़ानून क्या करेगा
उनको है शायद पता, क़ानून मैं कुछ दम नहीं
होगी छोटी सी सज़ा, जिसका उन्हें कुछ ग़म नहीं
देखते हैं वो, गुनाहगारों का, कुछ होता नहीं
घूमते स्वच्छंद हो कर वो, कोई रोता नहीं
ज़ख्म कितना भी बड़ा हो, अब तलक मरहम नहीं
हैं बहुत पेचीदगी, इस देश के क़ानून में
और फिर ईमानदारी, भी रही ना खून में
जुर्म कोई रोक पाये, तंत्र ये सक्षम नहीं
दो पलों की भूख तेरी, क्या ग़ज़ब ढा जायेगी
ये हवस तेरी, किसी की, ज़िन्दगी खा जायेगी
पाप कर के देखना, तडपेगा तू भी कम नहीं
Sunil_Telang/26/04/2013
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