Tuesday, April 23, 2013

SUNWAAI





सुनवाई 

अब    डराने   लगे   पेज    अखबार   के 
टेलीवीज़न की  हर  न्यूज़ से लगता डर 
हो  गया  है  पतन  कितना  इंसान  का 
आ गई शक की नज़रों में सबकी नज़र 

कितने  मासूम  बचपन  जवां  ना  हुये 
कुछ  दरिंदों   का   कैसा  ये  टूटा  कहर 
खौफ  के  साये  में  जी   रही  ज़िन्दगी 
रात  का  हो  समय  या  सुबह  दोपहर 

आम लोगों  की  सरकार  का  राज  है 
फिर भी तेरी नहीं है किसी को फिकर 
तेरी   सुनवाई  कोई   ना   होगी  कहीं 
तेरी  हस्ती  नहीं  ख़ास  है कुछ अगर 

Sunil _Telang /23/04/2013

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