मेहमान
क्या अभी तक आप कुछ भूले नहीं हैं
क्यों गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हो
आये हैं मेहमान अपने देश में
आप फिर भी रोब झाडे जा रहे हो
हमने माना जो हुआ अच्छा नहीं था
हमको भी उस बात का ग़म है अभी
सैनिकों की ज़िन्दगी क्या मौत है क्या
बेवजह का क्यों ये मातम है अभी
है अभी माहौल अच्छा दोस्ताना
आप क्यों इसको बिगाड़े जा रहे हो
कम न हो जाये कहीं मेहमानवाजी
हमको है सारे ज़माने की फिकर
हादसों का क्या है होते ही रहेंगे
क्या नहीं अब तक सलामत तेरा घर
छोडिये धरना प्रदर्शन चुप भी रहिये
आप नाहक मुँह को फाड़े जा रहे हो
Sunil_Telang/09/03/2013
No comments:
Post a Comment