Saturday, March 9, 2013

MEHMAAN


मेहमान 

क्या अभी तक आप कुछ भूले नहीं हैं 
क्यों गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे  हो 
आये हैं मेहमान अपने देश में 
आप फिर भी रोब झाडे जा रहे हो 

हमने माना जो हुआ अच्छा नहीं था 
हमको भी उस बात का ग़म है अभी 
सैनिकों की ज़िन्दगी क्या मौत है क्या 
बेवजह का क्यों ये मातम है अभी 

है अभी माहौल अच्छा  दोस्ताना 
आप क्यों इसको बिगाड़े जा रहे हो 

कम न हो जाये कहीं मेहमानवाजी 
हमको है सारे ज़माने की फिकर 
हादसों का क्या है होते ही रहेंगे 
क्या नहीं अब तक सलामत तेरा घर 

छोडिये धरना प्रदर्शन चुप भी रहिये 
आप नाहक मुँह  को फाड़े जा रहे हो 

Sunil_Telang/09/03/2013











                             



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