Wednesday, December 30, 2015

SUKOON


SUKOON

सुकूं  भी  पास  है अपने  ग़मों का काफिला भी  है 
लबों से कुछ नहीं कहते मगर दिल में गिला भी है

सुनायें  किसको  अपना  दर्द  कोई  राज़दां तो  हो 

खुशी आँखों में है पर आंसुओं का सिलसिला भी है  

Sunil_Telang/30/12/2015






Thursday, November 26, 2015

NAYE SAPNE



NAYE SAPNE

नये   सपने  सजायें , अपने कुछ  अंदाज़   को   बदलें               
बदल जायेगा अपना कल  अगर  हम आज को बदलें                          

वतन अपना है हिन्दुस्तां तो हिन्दू और मुस्लिम क्या 
यहां   इंसानियत  से  बढ़  के  ना  हो फिर कोई जज़्बा 
बनायें    कुछ   नये   ऐसे   तराने ,  साज़    को   बदलें 

जहां  में   प्रेम  हो,  सदभाव   हो   और  भाई  चारा  हो
रहे    अब    ना   कोई   भूखा   न   कोई   बेसहारा   हो 
करें मेहनत सफल अंजाम तक,  आग़ाज़   को   बदलें 

किसी ने क्या कहा. किसको कहा. क्या फर्क  पड़ता है 
समर जीवन  का  हर  इंसान  अपने  दम  पे लड़ता है 
अगर  छूना  है  हमको  आसमां, परवाज़   को   बदलें 

Sunil_Telang/ 26/11/2015


Saturday, November 7, 2015

TERA CHEHRA



TERA CHEHRA

कुछ अलग ख़ास है तेरा चेहरा 
शोख एहसास है तेरा चेहरा 

दूर है तू मगर मैं तन्हा नहीं 
हर घडी पास है तेरा चेहरा 

तेरी फुरकत में जलते तन के लिये 
सर्द  मधुमास है तेरा चेहरा 

इश्क में चारागर नहीं कोई 
इक अमलतास है तेरा चेहरा 

क्या तुझे मेरी याद आई है 
आज क्यों उदास है तेरा चेहरा 

Sunil_Telang/07/11/2015

Sunday, September 13, 2015

SUBAH



SUBAH

सुबह तो रोज़ आती है 
सदा हंसती है गाती है 
तेरी मुस्कान से ही तो 
ये  दुनिया मुस्कुराती है 

जो होना है वो होना है 
ये किस्मत का लिखा तय है 
तुझे क्यों रात दिन चिंता 
ज़माने की सताती है

चले पंछी नये पथ पर
फ़िकर  है आबो-दाने की 
कोई तूफां कोई मुश्किल 
ना उनको रोक पाती है 

उमंगों से तू दिल भर ले 
कदम तू भी बढ़ाता चल 
जो ग़म से ना डरा दुनिया 
उसी के गीत गाती है


Sunil_Telang/13/09/2015








Wednesday, August 12, 2015

MAUSAM


MAUSAM

हर  तरफ   हैं  बस  वही  ग़म  के  फ़साने 
अब  कहां  वो  खो   गये   मौसम  सुहाने 

उन के  आने  से  तो ना आना  ही अच्छा 

दिल   दुखाते    और   पुर्सिश   के  बहाने 

हर  तरफ  हावी  है  बस  मतलब परस्ती 

अजनबी   से   हो   गये    अपने    बेगाने 

जब   भी  होता  है कलंकित  कोई दामन 
दूसरों    के    पाप    लगते    हैं    गिनाने 

गुमशुदा     सी     हो    गई     ईमानदारी 

हर   कोई   बैठा   है  सच   को  आजमाने 

अपने   ही   घर    में    हुये   जैसे   पराये 
देश   की   खातिर   मिटे  हैं  जो   दिवाने 

Sunil_Telang/12/08/2015

Thursday, July 30, 2015

PAYAAM




PAYAAM


रूठकर दूर वो चला तो गया 
मेरी सूरत ना भूल  पाई  है 
हिचकियां  दे रहीं पयाम मुझे 
याद उसको  भी मेरी आई है 

Sunil_Telang

Wednesday, July 22, 2015

HUM TO BUS CHUP HI RAHENGE



HUM TO BUS CHUP HI RAHENGE

जब तलक खुद पे ना बीते हम तो बस चुप ही रहेंगे 
कोई    हारे   कोई   जीते   हम तो बस चुप ही रहेंगे

आना  जाना  जीना  मरना रोज़  की  हैं आम  बातें 
उम्र  गुज़री  जेब  सींते  हम तो  बस चुप  ही  रहेंगे

पांच  बरसों  तक उन्हें ये राज  हमने  ही  दिया  है 
काटने  दो  उनको  फीते  हम तो बस चुप ही रहेंगे

हमको रोटी की फिकर उनको भी है कुर्सी की चिंता 
अपने अपने  हैं  सुभीते  हम तो  बस  चुप ही रहेंगे      सुभीते - Comforts , Conveniences )

हो  गया  है खून  पानी  घर  से  बाहर कौन निकले 
आप  बन  जायें पलीते  हम तो  बस चुप  ही  रहेंगे          पलीते  - Exploders )

Sunil_Telang/22/07/2015

Sunday, July 12, 2015

KAWAAYAD



कवायद

किसी की जान पर बन आई हम बस इक खबर समझे 
उसी   ने   राह   भटकाई    जिसे   हम   राहबर  समझे 

खड़ा   होने  भी  दो  अपने  ही  दम  पे  नौनिहालों  को
बिना  मेहनत  नहीं  होती  है  दुनिया  में  बसर समझे 

उड़ा    कोई    नहीं    पंछी    बिना   पंखों   को   फैलाये  
समझ  आ  जायेगी  ये  बात  भी  सबको अगर समझे 

नतीजा  अपने   कर्मों  का  तुझे  खुद  ही  भुगतना  है 
हमेशा  जीत  सच्चाई   की   ही   होगी   मगर  समझे 

करो  उनका  नमन  सर  पे  कफ़न  लेकर चले  हैं  जो 
कवायद  न्याय  पाने  की  न  अब  हो  बेअसर समझे 

Sunil _Telang / 12/07/2015  

Thursday, July 9, 2015

MAALOOM



MAALOOM

किसी रंजिश का जैसे सिलसिला मालूम होता है 
कि तू  मुझ सा  है फिर भी दूसरा मालूम होता है

कहाँ  से  लाये  हो  अंदाज़  इतने   मुस्कुराने  के 
तुम्हारा  दिल  मुझे  टूटा  हुआ  मालूम  होता है

मैं इस आलम-ए-तन्हाई में भी तन्हा नहीं ऐ दोस्त 
मुझे  हर  एक  आंसू  आशना   मालूम  होता  है

ज़रा  तबियत से देखो तो  खुदा बन्दे के अंदर है 
खुदा का  नाम लेने  भर से  क्या  मालूम होता है

न जाने किसकी उल्फत में हुये हालात इस दर्जा 
कि  सब-मालूम  ना-मालूम  सा  मालूम होता है

( N M ) /09/07/2015


Saturday, July 4, 2015

NASEEBA



NASEEBA 

कोई   उड़ता  है  ऊपर  आसमां   में 
कहाँ उनका  नसीबा  और  कहां  मैं 

सफर अपना ज़मीं से बस ज़मीं तक 

ठिकाना  और   नहीं  कोई  जहां  में 

हज़ारों   मर्तबा   मर मर  के   देखा 
ना  आया नाम  अपना  दास्तां  में 

खुदा  रक्खे  तेरी  हस्ती   सलामत 
कहीं  बिजली  गिरे ना  आशियां में 

Sunil _Telang/04/07/2015 






Tuesday, June 30, 2015

HAUSLA



HAUSLA

हौसला लड़ने  का खो  बैठे  हैं  हम 
इसलिये चारों तरफ मिलते हैं ग़म 

हो  रहा  अच्छा  बुरा  होने  भी  दो 

खुद  पे  गुज़रेगी  तभी जागेंगे हम 

रास्ता    कैसे    तुझे    दिखलायेंगे  

साथ चलते  भी  नहीं जो दो कदम 

मुश्किलों  में  साथ  ना  देगा  कोई 

दूर कर  ले  आज ये  अपना  भरम 

ज़िन्दगी  तो   नाम  है  संघर्ष  का

कर  दे  नामंज़ूर  दुनिया के अलम   
(अलम- Grief )

Sunil _Telang /30/06/2015


Sunday, June 28, 2015

SABOOR


SABOOR

दिन ढलेगा,  रात होगी,  सुबह भी  होगी ज़रूर 
तू ना हिम्मत हारना  चाहे तेरी  मंज़िल है  दूर 

कौन है  जिसका  मुसीबत से हुआ ना सामना 
रुक  गये  तेरे  कदम  तो  होगा ये  तेरा  कुसूर  

आग में तपकर ही बढ़ पाती है सोने की चमक  
तेरी मेहनत और लगन  लायेगी चारों ओर नूर

अपनी हस्ती से  खफा  होता है क्यों  तू  बारहा 
तुझमें भी है कुछ अलहदा बात ये समझो हुजूर 

ज़िन्दगी में जो भी पाया कर खुदा का शुक्रिया 
चैन उसको ही मिला है  जो जिया बन के सबूर 

(बारहा -Often, अलहदा-Different, सबूर - Patient)

Sunil_Telang/28/06/2015

Friday, June 19, 2015

AITBAAR



ऐतबार

ज़िक्र  खुशियों  का   बार बार  करें 
कुछ ग़मों से  भी  मगर प्यार करें 

जो मिला तुझ को तेरी किस्मत है
रश्क़   क्यों   दूसरों   से  यार  करें  

वक़्त  तो   हर  घडी  मुनासिब  है 
लोग   क्यों   रोज़   इन्तज़ार  करें

गर  ज़माने  को  कुछ   बदलना है 
अपनी  आदत  में  भी  सुधार करें 

मंज़िलें  भी  उन्हीं  को  मिलती हैं 
जो   सदा   खुद   पे   ऐतबार  करें 

Sunil_Telang/19/06/2015





Saturday, June 13, 2015

APNA PARAAYA


अपना पराया 

किसे   अपना  कहें, किसको पराया 
मुसीबत  में,  न  कोई   काम  आया 

मिले हम  तो  सभी  से  मुस्कुराकर 
ज़माने   ने    हमें   दुश्मन    बनाया 

मिला जो भी खुशी से भर ली झोली 
कभी लब पर कोई शिकवा न आया 

लिखा किस्मत में जो, हो कर रहेगा 
ये कल की फ़िक्र में क्यों जी जलाया 

हज़ारों   इम्तेहां    हैं   ज़िन्दगी  में 
जिया वो, ग़म में भी जो मुस्कुराया 

Sunil _Telang /13/06/2015

Sunday, May 31, 2015

CHUP BHI KAR



CHUP BHI KAR

लोग कहते हैं मुझ से चुप भी कर 
शुक्र  कर  ले  बचा   है  तेरा   घर 

उनकी किस्मत खराब थी शायद 
जिनपे ढाया खुदा  ने आज कहर 

तेरी    फ़रियाद   कौन  समझेगा 
कुछ वज़न रख के देख कागज़ पर 

ग़म हैं लाखों, खुशी नहीं मिलती 
ज़िन्दगी  मौत   से   हुई  बदतर 

बात उस से ज़मीं की मत करना 
उसकी  नज़रें  हैं  चाँद  तारों  पर 

अब तो रब भी  करम नहीं करता 
आह में  अब  नहीं  रहा वो असर 

Sunil_Telang/31/05/2015




Friday, May 29, 2015

SAAHIR




SAAHIR

लोग  कुछ  ऊपर उठे  लेकिन नज़र से गिर गये 
भूल कर  वादे  सभी  वो   भी  जुबां  से फिर गये 

जिनको फुर्सत ही नहीं,  देखें बुरा अच्छा है क्या 
दिन ब दिन वो सर उठाती मुश्किलों में घिर गये 

भाईचारा  और मोहब्बत लोग वो  सिखला  गये 
जो  न  मस्ज़िद  देख  पाये  ना कभी मंदिर गये 

नाम  उनका  भी  किताबों  से  जुबां  पर  लाइये 
अपनी आज़ादी की खातिर जो कटा के सिर गये 

चाहिये लोगों  को क्या, इतना समझ पाये  नहीं 
रास्ते   से  जाने   कितने  चारागर, साहिर  गये 
चारागर- Doctor , साहिर- Magician, Enchanter)

Sunil_Telang/29/05/2015










Saturday, May 16, 2015

ASAR



ASAR 

आँखों  पर  परदे पड़े हैं कुछ नज़र आता नहीं 
है  अभी  भी बुतपरस्ती  का असर,जाता नहीं 

लोग चलते जा  रहे  हैं  मंज़िलों  की  आस मैं 
गाँव   भी छूटा, मगर  कोई  शहर आता  नहीं

हर  गली  चौराहों  को  करते  रहे रोशन मगर 
राह ये  कैसी  चुनी  है अपना  घर  आता नहीं 

ताज  पाकर  आसमां  में  रोज़ जो  उड़ता रहा 
एक दिन गिरना है तय ये कोई समझाता नहीं 

कब तलक जीये हकीकत से कोई मुंह मोड़कर 
हमको ग़म  में मुस्कुराने का  हुनर आता नहीं 

Sunil_Telang/16/05/2015











Wednesday, April 29, 2015

GUZRA ZAMAANA



GUZRA ZAMAANA

चलो कुछ बात करलें आज  फिर गुज़रे ज़माने की 
कभी हमको भी थी आदत  हमेशा  मुस्कुराने  की 

सुबह और शाम अक्सर दोस्तों से रोज़  मिलते ही 
रसोई घर  में  जाकर  ढूँढना  कुछ  चीज़  खाने की 

न तेरा कुछ, न कुछ मेरा, मिले जो  बाँट कर खाना 
बड़े  कुनबे से  ही, रहती  थी रौनक, आशियाने की 

दबाना  पाँव  दादी  के, मिले  कुछ  जेब  का  खर्चा 
बड़ी  कीमत  हुआ  करती  थी  पहले एक आने की 

समय बदला, हुये अपने पराये , लोग  पढ़ पढ़  कर
बनी मोबाइल और टीवी की आदत दिल लगाने की 

गया जो वक़्त,अच्छा या बुरा था,सोचना अब क्या 
बनायें  मुस्कुराहट  को  दवा, हर  ग़म  भुलाने  की    

Sunil_Telang/29/04/2015






Tuesday, April 21, 2015

ZAKHM


ज़ख्म

अभी तक कुछ नहीं बदला सिवा तारीख और दिन के 
अँधेरी  रात   कटती  है  सितारे  रोज़  गिन  गिन  के 

नई  उम्मीद  थी , कितने  नये  अरमान  थे  दिल  में 
हुये  वो  अजनबी   हम  भी  कभी  शैदाई  थे  जिनके   

सितम  ये  है  यहां  लूटा  है  अपनों  ने  वतन अपना 
मुसाफिर खाने  जैसे   हो  गये   घर बार  साकिन  के 

छुपाये  बैठे   हैं  दिल  में  हज़ारों ज़ख्म  जो अब तक 
बनेंगे  एक   दिन  तूफां  इन्हें  समझो  नहीं   तिनके 

Sunil_Telang / 21/04/2015



Sunday, March 29, 2015

THIKAANA



THIKAANA

ज़रूरी   तो   नहीं   जो  चाहते   हों  हम,  वही   पायें 
मिले  थोड़ा  बहुत जो भी, उसी को हँस  के अपनायें 

रहेंगी   ख्वाहिशें   बाकी   तेरी   ताउम्र   मरने  तक 

जो अपने पास है, काफी है अपने दिल को समझायें

मुसीबत  में  जो   अपने  हैं,  नहीं  अपने  तेरे   होंगे 

ये  दौलत,  ये  खजाने  किस लिये  भरते चले जायें 

सुना  है रब  का  होता  है  ठिकाना, दीन दुखियों में 

मिटाकर  झोपडी,  ऊंचे  महल  क्यों  लोग  बनबायें

जिया  औरों  की खातिर जो, करेगा नाम दुनिया में 
मिली है चार दिन की ज़िंदगी,  मिल बाँट कर खायें 

Sunil _Telang/29/03/2015 



Wednesday, March 18, 2015

DEKHTE RAHIYE


देखते रहिये 

बहुत कुछ हो रहा है देश मेँ , लेकिन  न  कुछ  कहिये 
यही अच्छा है अब आँखों  को रखिये बंद , चुप रहिये 

मुसीबत  मेँ  अगर  हैं  अन्नदाता   तो   तुझे  क्या  है 
अभी  किरकिट  का  मौसम  है तमाशा  देखते रहिये 

चला जो  लीक  से  हट  के  वो  अपनी  जां  लुटा बैठा 
ये  रोना  दो  घडी  का  है  यूँ  जज़्बातों  में  ना बहिये 

बड़ी   उम्मीद  से   हमने  बिठाया  है  उन्हें   सर  पर  
मिलेगा  चैन  भी  शायद  अभी  कुछ  दर्द  ही  सहिये 

Sunil_Telang/18/03/2015

Friday, February 27, 2015

BADLAAV


BADLAAV

हो  अगर बदलाव की ख्वाहिश तो खुद को भी बदलिये 
खोल कर  दिल  के  दरीचे  इक  नये  रस्ते  पे  चलिये 

आये  कितने  चारागर  पर  मर्ज़ ना  समझा  कोई  भी 

लुट  रही  तेरी  विरासत , सोचिये,  अब  तो  संभलिये 

क्या  नहीं   तुझको   रही पहचान  अब अच्छे  बुरे  की 

सिर्फ  चेहरा  देख कर  मत  गिरगिटी रंगों   में  ढलिये 

जल  रहा  है  ये  जहां  कब  तक   रहे  मह्फूज़  दामन  

सिर्फ  बातों  से  नहीं  कुछ  पाओगे ,घर  से  निकलिये 

Sunil_Telang/ 28/02/2015

Friday, January 9, 2015

NUKTA CHEENI


NUKTA CHEENI

क्यों  तुझे  आती  हँसी  हर  बात  पर 
नुक्ताचीनी  छोड़,  अपना   काम   कर 

जाति  मज़हब  पर  सदा  उलझे  रहो 
भूख     मंहगाई     गरीबी     भूलकर 

दुश्मनों   की   दोस्ती    भाने     लगी  
राजनीति  का   यही    तो   है    हुनर 

क्या कहा और क्या किया मत पूछना 
झूठे  वादों  का न  लब  पे  ज़िक्र  कर 

हादसों  का  क्या  ये  दुनिया  है  बड़ी 
हर  खबर से खुद  को  कर  ले बेखबर 

छोड़   दे   अच्छे   दिनों   का  इंतज़ार 

बीत   जायेगी    तेरी     सारी     उमर 

Sunil_Telang/09/01/2015