BADLAAV
हो अगर बदलाव की ख्वाहिश तो खुद को भी बदलिये
खोल कर दिल के दरीचे इक नये रस्ते पे चलिये
आये कितने चारागर पर मर्ज़ ना समझा कोई भी
लुट रही तेरी विरासत , सोचिये, अब तो संभलिये
क्या नहीं तुझको रही पहचान अब अच्छे बुरे की
सिर्फ चेहरा देख कर मत गिरगिटी रंगों में ढलिये
जल रहा है ये जहां कब तक रहे मह्फूज़ दामन
सिर्फ बातों से नहीं कुछ पाओगे ,घर से निकलिये
Sunil_Telang/ 28/02/2015
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