MAUSAM
हर तरफ हैं बस वही ग़म के फ़साने
अब कहां वो खो गये मौसम सुहाने
उन के आने से तो ना आना ही अच्छा
दिल दुखाते और पुर्सिश के बहाने
हर तरफ हावी है बस मतलब परस्ती
अजनबी से हो गये अपने बेगाने
जब भी होता है कलंकित कोई दामन
दूसरों के पाप लगते हैं गिनाने
गुमशुदा सी हो गई ईमानदारी
हर कोई बैठा है सच को आजमाने
अपने ही घर में हुये जैसे पराये
देश की खातिर मिटे हैं जो दिवाने
Sunil_Telang/12/08/2015
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