Thursday, November 26, 2015

NAYE SAPNE



NAYE SAPNE

नये   सपने  सजायें , अपने कुछ  अंदाज़   को   बदलें               
बदल जायेगा अपना कल  अगर  हम आज को बदलें                          

वतन अपना है हिन्दुस्तां तो हिन्दू और मुस्लिम क्या 
यहां   इंसानियत  से  बढ़  के  ना  हो फिर कोई जज़्बा 
बनायें    कुछ   नये   ऐसे   तराने ,  साज़    को   बदलें 

जहां  में   प्रेम  हो,  सदभाव   हो   और  भाई  चारा  हो
रहे    अब    ना   कोई   भूखा   न   कोई   बेसहारा   हो 
करें मेहनत सफल अंजाम तक,  आग़ाज़   को   बदलें 

किसी ने क्या कहा. किसको कहा. क्या फर्क  पड़ता है 
समर जीवन  का  हर  इंसान  अपने  दम  पे लड़ता है 
अगर  छूना  है  हमको  आसमां, परवाज़   को   बदलें 

Sunil_Telang/ 26/11/2015


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