Friday, May 29, 2015

SAAHIR




SAAHIR

लोग  कुछ  ऊपर उठे  लेकिन नज़र से गिर गये 
भूल कर  वादे  सभी  वो   भी  जुबां  से फिर गये 

जिनको फुर्सत ही नहीं,  देखें बुरा अच्छा है क्या 
दिन ब दिन वो सर उठाती मुश्किलों में घिर गये 

भाईचारा  और मोहब्बत लोग वो  सिखला  गये 
जो  न  मस्ज़िद  देख  पाये  ना कभी मंदिर गये 

नाम  उनका  भी  किताबों  से  जुबां  पर  लाइये 
अपनी आज़ादी की खातिर जो कटा के सिर गये 

चाहिये लोगों  को क्या, इतना समझ पाये  नहीं 
रास्ते   से  जाने   कितने  चारागर, साहिर  गये 
चारागर- Doctor , साहिर- Magician, Enchanter)

Sunil_Telang/29/05/2015










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