Sunday, May 31, 2015

CHUP BHI KAR



CHUP BHI KAR

लोग कहते हैं मुझ से चुप भी कर 
शुक्र  कर  ले  बचा   है  तेरा   घर 

उनकी किस्मत खराब थी शायद 
जिनपे ढाया खुदा  ने आज कहर 

तेरी    फ़रियाद   कौन  समझेगा 
कुछ वज़न रख के देख कागज़ पर 

ग़म हैं लाखों, खुशी नहीं मिलती 
ज़िन्दगी  मौत   से   हुई  बदतर 

बात उस से ज़मीं की मत करना 
उसकी  नज़रें  हैं  चाँद  तारों  पर 

अब तो रब भी  करम नहीं करता 
आह में  अब  नहीं  रहा वो असर 

Sunil_Telang/31/05/2015




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