अपना पराया
किसे अपना कहें, किसको पराया
मुसीबत में, न कोई काम आया
मिले हम तो सभी से मुस्कुराकर
ज़माने ने हमें दुश्मन बनाया
मिला जो भी खुशी से भर ली झोली
कभी लब पर कोई शिकवा न आया
लिखा किस्मत में जो, हो कर रहेगा
ये कल की फ़िक्र में क्यों जी जलाया
हज़ारों इम्तेहां हैं ज़िन्दगी में
जिया वो, ग़म में भी जो मुस्कुराया
Sunil _Telang /13/06/2015
No comments:
Post a Comment