Saturday, June 13, 2015

APNA PARAAYA


अपना पराया 

किसे   अपना  कहें, किसको पराया 
मुसीबत  में,  न  कोई   काम  आया 

मिले हम  तो  सभी  से  मुस्कुराकर 
ज़माने   ने    हमें   दुश्मन    बनाया 

मिला जो भी खुशी से भर ली झोली 
कभी लब पर कोई शिकवा न आया 

लिखा किस्मत में जो, हो कर रहेगा 
ये कल की फ़िक्र में क्यों जी जलाया 

हज़ारों   इम्तेहां    हैं   ज़िन्दगी  में 
जिया वो, ग़म में भी जो मुस्कुराया 

Sunil _Telang /13/06/2015

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