Friday, June 19, 2015

AITBAAR



ऐतबार

ज़िक्र  खुशियों  का   बार बार  करें 
कुछ ग़मों से  भी  मगर प्यार करें 

जो मिला तुझ को तेरी किस्मत है
रश्क़   क्यों   दूसरों   से  यार  करें  

वक़्त  तो   हर  घडी  मुनासिब  है 
लोग   क्यों   रोज़   इन्तज़ार  करें

गर  ज़माने  को  कुछ   बदलना है 
अपनी  आदत  में  भी  सुधार करें 

मंज़िलें  भी  उन्हीं  को  मिलती हैं 
जो   सदा   खुद   पे   ऐतबार  करें 

Sunil_Telang/19/06/2015





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