NUKTA CHEENI
क्यों तुझे आती हँसी हर बात पर
नुक्ताचीनी छोड़, अपना काम कर
जाति मज़हब पर सदा उलझे रहो
भूख मंहगाई गरीबी भूलकर
दुश्मनों की दोस्ती भाने लगी
राजनीति का यही तो है हुनर
क्या कहा और क्या किया मत पूछना
झूठे वादों का न लब पे ज़िक्र कर
हादसों का क्या ये दुनिया है बड़ी
हर खबर से खुद को कर ले बेखबर
छोड़ दे अच्छे दिनों का इंतज़ार
छोड़ दे अच्छे दिनों का इंतज़ार
बीत जायेगी तेरी सारी उमर
Sunil_Telang/09/01/2015
Sunil_Telang/09/01/2015
No comments:
Post a Comment