Thursday, July 9, 2015

MAALOOM



MAALOOM

किसी रंजिश का जैसे सिलसिला मालूम होता है 
कि तू  मुझ सा  है फिर भी दूसरा मालूम होता है

कहाँ  से  लाये  हो  अंदाज़  इतने   मुस्कुराने  के 
तुम्हारा  दिल  मुझे  टूटा  हुआ  मालूम  होता है

मैं इस आलम-ए-तन्हाई में भी तन्हा नहीं ऐ दोस्त 
मुझे  हर  एक  आंसू  आशना   मालूम  होता  है

ज़रा  तबियत से देखो तो  खुदा बन्दे के अंदर है 
खुदा का  नाम लेने  भर से  क्या  मालूम होता है

न जाने किसकी उल्फत में हुये हालात इस दर्जा 
कि  सब-मालूम  ना-मालूम  सा  मालूम होता है

( N M ) /09/07/2015


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