विदाई
देख कर कोई तर्के - बयां हम करें
अपनी सरकार को ना खफा हम करें
हर कदम उठ रहा है प्रगति के लिये
आंकड़ों पे न कोई गुमां हम करें
लेना देना ज़माने का है इक चलन
ख़त्म घोटालों की दास्ताँ हम करें
राज इनको मिला त्याग, बलिदान से
इनकी कुर्बानी का हक़ अदा हम करें
कोई कुछ भी कहे, कुछ ना बोलेंगे वो
हुक्मरानों पे हम फक्र क्यों ना करें
जो ना समझे कभी तेरे दुःख दर्द को
एक दिन घर से उनको विदा हम करें
Sunil _Telang /16/02/2013
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