पतन
उसका बस जो चले, बेच डाले वतन
भूल बैठा है इंसान अपना करम
सिर्फ पैसा बना आज उसका धरम
बेच कर अपना ईमां, कमाता है धन
अब तो क़ानून का भी कोई डर नहीं
भ्रष्ट लोगों का गठजोड़ है हर कहीं
बच ना पाये कोई लाख कर ले जतन
कलयुगी दौर में सद्पुरुष अब कहाँ
जो बचे हैं उन्हें काटता ये जहां
काम करते हैं वो मार कर अपना मन
बैठ जाना नहीं, यूँ ही थक हार कर
आज लड़ना ज़रूरी है हो के निडर
रख यकीं , देश फिर से बनेगा चमन
Sunil _Telang /12/02/2013
अब तो क़ानून का भी कोई डर नहीं
भ्रष्ट लोगों का गठजोड़ है हर कहीं
बच ना पाये कोई लाख कर ले जतन
कलयुगी दौर में सद्पुरुष अब कहाँ
जो बचे हैं उन्हें काटता ये जहां
काम करते हैं वो मार कर अपना मन
बैठ जाना नहीं, यूँ ही थक हार कर
आज लड़ना ज़रूरी है हो के निडर
रख यकीं , देश फिर से बनेगा चमन
Sunil _Telang /12/02/2013
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