Wednesday, February 27, 2013

KEEMAT


कीमत

अब कोई कीमत रही ना आदमी की जान की 
मर गई इंसानियत, हरकत है  ये शैतान  की 

एक छोटी सी खता पे मिट गयी इक ज़िन्दगी 
बूढी आँखों में  चिता जलती  रही अरमान की 

आ गये हैं हम  कहाँ  खुदगर्ज़ियों  के  दौर  में 
भावना  कोई बची ना अब किसी सम्मान की 

चैन ना मिल पायेगा इन कलयुगी संतानों को  
हैं यही  माता पिता  मूरत  किसी भगवान की 

Sunil _Telang/27/02/2013

No comments:

Post a Comment