नगीने
मुझको नहीं है आदत बेवक्त मुस्कुराऊं
जब शाद होगा ये दिल खुद हँस पडूंगा मैं
अब और कोई ज़ुल्मत मुझको नहीं गंवारा
जब तक है सांस बाकी तब तक लडूंगा मैं
वो और लोग होंगे जो सोचते हैं अक्सर
इस देश का नतीजा अब कुछ न हो सकेगा
अब साथ मेरे कोई आये या लौट जाये
जब तक मिले ना मंजिल आगे बढूंगा मैं
ये प्यार ये मोहब्बत ही ज़िन्दगी नहीं है
यूँ व्यर्थ लुटाने को होती नहीं जवानी
भटके हुये युवा हैं बिखरी हुई है माला
एक एक नगीने को फिर से जडूंगा मैं
(शाद -Happy ) (ज़ुल्मत -Torment)
Sunil_Telang/01/09/2013
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