Saturday, September 28, 2013

KUNDAN



KUNDAN

अभी तो है आग़ाज़  मंजिल नहीं है 
अभी तो बहुत दूर  हमको है चलना 
अभी जश्न  का कोई  अवसर नहीं है 
है  पहले  समूची व्यवस्था बदलना 

ये  ईमान  और  सब्र  का इम्तिहाँ है 
किसी मोड़ पर ये कदम रुक ना जायें
ये  कैसी लहर जागरूकता की फैली
तुझे आ गया अपने घर से निकलना 

ज़रा लोभ लालच  से नज़रें हटाओ 
ये  मुद्दे  धरम-जात  के भूल  जाओ 
नहीं ऐसा  अवसर दोबारा मिलेगा 
तुझे कोई पछतावा रह जाए कल ना 

ये आम आदमी तेरे  हक की  लड़ाई 
कवायद  तेरी  कैसी  रंगत ले  आई 
कभी  तेरी कुंदन  सी पहचान होगी 
ज़रा  सीख ले  धूप  में पहले जलना 

Sunil_Telang/27/09/2013





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