Thursday, August 8, 2013

UMMEED



Kal ki bahaaren shayad Na dekh payenge hum
Gulshan ko yun hi foolon se Tum saja ke rakhna

UMMEED

कल  की  बहारें  शायद 
ना   देख  पायेंगे  हम
गुलशन को यूँ  ही फूलों 
से तुम सजा के  रखना

सींचा है  इस चमन को
दे  कर  के खून अपना
इसकी महक  को अपने
दिल  से लगा के रखना

इंसानियत   को   घेरे  
हैं   हर   तरफ  लुटेरे
इन जालिमों  से अपने 
घर को  बचा के रखना

रस्ता  कठिन है लेकिन 
पा   के  रहेंगे  मंजिल
उम्मीद  का  ये दीपक  
हरदम  जला के रखना

Sunil _Telang/08/08/2013


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