Kal
ki bahaaren shayad Na dekh payenge hum
Gulshan
ko yun hi foolon se Tum saja ke rakhna
UMMEED
कल की बहारें शायद
ना देख पायेंगे हम
गुलशन को यूँ ही फूलों
से तुम सजा के रखना
सींचा है इस चमन को
दे कर के खून अपना
इसकी महक को अपने
दिल से लगा के रखना
इंसानियत को घेरे
हैं हर तरफ लुटेरे
इन जालिमों से अपने
घर को बचा के रखना
रस्ता कठिन है लेकिन
पा के रहेंगे मंजिल
उम्मीद का ये दीपक
हरदम जला के रखना
Sunil _Telang/08/08/2013
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