बेसहारा
आदमी भी किस कदर नादान है
अपनी ताक़त से बना अनजान है
मान बैठा है तू खुद को बेसहारा
अपने हक पर भी न तेरा ध्यान है
अब तलक ना तूने खुद को आजमाया
वोट अपना कीमती यूँ ही गंवाया
इसलिए खोया तेरा सम्मान है
आज तू जनतंत्र का मतलब समझ ले
देश का तू ही है मालिक अब समझ ले
संग तेरे देश का संविधान है
गैर की बातों में अब तू फिर न आना
लोभ लालच में न मौका ये गंवाना
चुन उसे जिसकी तुझे पहचान है
जब तू अपनी हैसियत दिखलायेगा
ये जहां खुद तेरे पीछे आयेगा
तेरे हाथों में ही तेरा मान है
Sunil_Telang/28/08/2013
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