Wednesday, August 28, 2013

BESAHAARA


बेसहारा 

आदमी भी किस  कदर नादान  है 
अपनी ताक़त से बना अनजान है 
मान बैठा है तू  खुद को बेसहारा 
अपने हक पर भी न तेरा ध्यान है 

अब तलक ना तूने खुद को आजमाया 
वोट अपना कीमती यूँ ही गंवाया 
इसलिए खोया  तेरा सम्मान है 

आज तू  जनतंत्र का मतलब समझ ले 
देश का तू ही है मालिक अब समझ ले 
संग  तेरे  देश  का  संविधान  है  

गैर की बातों में अब तू फिर न आना 
लोभ लालच में न मौका ये गंवाना 
चुन उसे जिसकी तुझे पहचान है 

जब तू अपनी हैसियत दिखलायेगा 
ये जहां खुद तेरे पीछे आयेगा 
तेरे हाथों में ही तेरा मान है 

Sunil_Telang/28/08/2013

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