नुमाइन्दे
ये कैसी आस्था रखते यहाँ के संविधानो में
शपथ लेते हैं ये ईमान की विधि के विधानों में
नहीं मंज़ूर इनको जो जुबां खोले खिलाफत की
छुपे बैठे रहो चुपचाप सब अपने मकानों में
नियम क़ानून तो बस सिर्फ जनता के लिये होंगे
इन्हें क्यों छेड़ कर गुस्ताखियाँ करते हो शानो में
मचाओ शोर कितना भी नहीं इन पर असर कोई
बने बेफिक्र बैठे हैं वो डाले तेल कानो में
नुमाइन्दे हैं जनता के बनेंगे ये सिकन्दर भी
करेंगे लोग शामिल नाम इनका भी महानों में
Sunil_Telang/05/08/2013
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