Monday, August 5, 2013

NUMAAINDE



नुमाइन्दे

ये   कैसी  आस्था  रखते  यहाँ   के  संविधानो  में 
शपथ लेते हैं  ये  ईमान  की  विधि के  विधानों में 

नहीं  मंज़ूर इनको  जो  जुबां खोले खिलाफत की
छुपे  बैठे  रहो   चुपचाप  सब   अपने  मकानों  में 

नियम क़ानून तो  बस सिर्फ जनता के  लिये होंगे 
इन्हें क्यों छेड़ कर गुस्ताखियाँ करते हो शानो में 

मचाओ शोर कितना भी नहीं इन  पर असर कोई 
बने   बेफिक्र   बैठे    हैं  वो   डाले   तेल  कानो  में 

नुमाइन्दे  हैं  जनता  के  बनेंगे  ये  सिकन्दर  भी    
करेंगे  लोग  शामिल नाम  इनका भी महानों  में 

Sunil_Telang/05/08/2013




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