Saturday, August 31, 2013

HASTI


हस्ती 

मिलेगी हर  ख़ुशी  तुझको नये  सपने सजाने से 
ये  दुनिया रुक ना जायेगी किसी के दूर जाने से

ये  माना ज़िन्दगी तेरी  किसी के बिन अधूरी है
मोहब्बत में तड़प अच्छी  है ये हस्ती मिटाने से 

न जाने क्या थी  मजबूरी  हुआ वो बेवफा तुझसे 
मोहब्बत इम्तेहां लेती  है  शायद हर  दीवाने  से 

अँधेरे  से  निकल कर  देख तो बाहर ज़रा आ  के 
कोई पलकों में तुझको भी  लिये  बैठा ज़माने से

बस इक तू ही नहीं,हैं और भी नाकाम दुनिया में
हज़ारों  ज़िन्दगी  बदलीं मुक़ददर जाग जाने से 

Sunil_Telang/31/08/2013











Friday, August 30, 2013

ZARA PEHCHAAN


ज़रा पहचान 

कदम ना डगमगा जायें, तुम्हें खुद ही संभलना है 
अगर मंजिल को पाना है तो मिल कर साथ चलना है 

ना कोई हो बड़ा छोटा, मिले सबको बराबर हक 

रहें भयमुक्क्त, बस ये ख्वाब अब आँखों में पलना है 

उन्हें पैंसठ बरस के बाद अब तेरा ख़याल आया 

वही मौकापरस्ती फिर ,व्यवस्था ये बदलना है

तेरे दुःख दर्द सुनने की जिन्हें फुर्सत नहीं मिलती  
तुझे बस वोट जो समझें ,उन्हें अब हाथ मलना है  

ज़मीं अपनी, वतन अपना, मगर क्यों तू पराया है 
ज़रा पहचान अपनों को, न अब तुझको फिसलना है 

Sunil_Telang/30/08/2013


 

Wednesday, August 28, 2013

BESAHAARA


बेसहारा 

आदमी भी किस  कदर नादान  है 
अपनी ताक़त से बना अनजान है 
मान बैठा है तू  खुद को बेसहारा 
अपने हक पर भी न तेरा ध्यान है 

अब तलक ना तूने खुद को आजमाया 
वोट अपना कीमती यूँ ही गंवाया 
इसलिए खोया  तेरा सम्मान है 

आज तू  जनतंत्र का मतलब समझ ले 
देश का तू ही है मालिक अब समझ ले 
संग  तेरे  देश  का  संविधान  है  

गैर की बातों में अब तू फिर न आना 
लोभ लालच में न मौका ये गंवाना 
चुन उसे जिसकी तुझे पहचान है 

जब तू अपनी हैसियत दिखलायेगा 
ये जहां खुद तेरे पीछे आयेगा 
तेरे हाथों में ही तेरा मान है 

Sunil_Telang/28/08/2013

HE GIRDHAARI



हे गिरधारी 

रूपये  की कीमत गिरी, त्राहि त्राहि बाज़ार 
चारागर खुद  त्रस्त  हैं , कौन  करे  उपचार 

सोना  चांदी   हुआ  पहुँच से बाहर सब की 
जनता  झेले  मंहगाई  की  मार  ग़ज़ब की 

उठे    चरित्रों  पर  भी  उंगली   बारी  बारी 
कब  लोगे  अवतार  धरा  पर  हे गिरधारी 

Sunil_Telang/28/08/2013

Tuesday, August 27, 2013

PEHCHAAN





PEHCHAAN

ज़िन्दगी में तू कुछ ऐसा काम कर 
हो तेरी पहचान अपना नाम कर 

मूक बनकर बस तमाशा देख मत 
लुटने वाला है कभी तेरा भी घर 

अपने डर को जीत कर जो चल दिया 
उसने आसां कर ली अपनी हर डगर 

मुश्किलें हैं ज़िन्दगी का आइना 
ग़म को अपना ले खुशी को भूल कर 

अपनी दौलत पे गुरूर इतना न कर 
ये अमीरी ना रहेगी उम्र भर 

नाम रोशन उसने अपना कर दिया 
दूसरों का दर्द समझा जो बशर 

Zindagi me tu kuchh aisa kaam kar
Ho teri pehchaan apna naam kar

Mook bankar bus tamaasha dekh mat
Lutne wala hai kabhi tera bhi ghar


Apne dar ko jeet kar jo chal diya
Usne aasan kar li apni har dagar

Mushqilen hain zindagi ka aaina
Gham ko apna le khushi ko bhool kar

Apni daulat pe ghuroor itna na kar
Ye ameeri na rahegi umr bhar

Naam roshan usne apna kar diya
Doosron ka dard samjha jo bashar


Sunil_Telang/27/08/2013

Monday, August 26, 2013

AB SO JAAIYE



(हमारे देश के सभी जवान (60 +) राष्ट्रभक्त नेताओं को सादर समर्पित)

अब   सो   जाइये

ढल   गई    है   शाम,  अब   सो   जाइये 
ले  के  रब  का  नाम , अब   सो   जाइये 

कब तलक ढंक  पाओगे ,बालों  की रंगत 
मत    बनो   गुलफाम,  अब  सो  जाइये 

हर  समय  इस  देश की  चिंता न करिये  
और   भी   हैं   काम,   अब   सो   जाइये 

मंदिर-औ-मस्जिद के  झगडे, पेट  खाली 
आयेंगे   ना    राम,    अब    सो   जाइये 

ज़ब्त रख, मत खोलना अपनी  जुबां  को  
पाओगे      आराम ,    अब   सो   जाइये 

Sunil_Telang/26/08/2013

Sunday, August 25, 2013

SIRF BAATEN



सिर्फ   बातें

Sirf baaten,Aur baaten,Aur koi hal nahi
Chaar din ki hai ye chinta Fir koi hulchal nahi

Aayenge humdard ban ke Log kitne hi yahaan
Par zaroorat me teri Hoga koi sambal nahi

Lut gai duniya teri Unke liye hai bus khabar
Sirf wo denge nasihat Saamne koi hal nahi

Jis pe na guzri kabhi Wo dard kya samjhe yahaan
Chup bhi rahiye Aur ab bardaast hoga chhal nahi

Hausla rakhna Bura ye waqt bhi tal jaayega
Kaun hai jo teri himmat ka Abhi kaayal nahi

सिर्फ   बातें,  और  बातें, और  कोई   हल   नहीं 
चार दिन की है ये चिंता,फिर कोई हलचल नहीं 

आयेंगे   हमदर्द   बनके   लोग   कितने ही यहाँ 
पर  ज़रुरत   में  तेरी   होगा कोई  संबल   नहीं 

लुट गई दुनिया तेरी , उनके लिये  है बस  खबर
सिर्फ  वो  देंगे  नसीहत, सामने कोई  हल  नहीं  

जिसपे ना गुजरी कभी वो दर्द क्या समझे यहाँ 
चुप भी रहिये और अब बर्दाश्त होगा छल नहीं 

हौसला रखना, बुरा ये  वक़्त  भी  टल जायेगा 
कौन है जो  तेरी हिम्मत का अभी कायल नहीं

Sunil _Telang/25/08/2013

Friday, August 23, 2013

ZIKR TERA



जिक्र तेरा

जिक्र तेरा रात दिन घर घर चलेगा 
जीते जी पर न्याय ना तुझको मिलेगा

आयेंगे कुछ लोग सड़कों पे निकल  के 
कुछ गड़े मुर्दे उखड़ जायेंगे  कल के 
दो घडी को राज सिंहासन हिलेगा 

नारियों में माँ, बहन, बेटी  दिखेगी 
देश की संसद तेरा संज्ञान  लेगी 
फिर बहस  का एक और मुद्दा मिलेगा 

फिर कड़ी होगी सुरक्षा देश भर में 
मामला फिर भी रहेगा ये अधर में 
देश चलता है  यूँ  ही, यूँ  ही चलेगा 

Zikr tera raat din Ghar ghar chalega
Jeete ji par nyaay Na tujhko milega

Aayenge kuchh log Sadkon par nikal ke
Kuchh gade murde Ukhad aayenge kal ke
Do ghadi ko Raaj Sinhasan hilega

Naariyon me Maa, Bahan, Beti dikhegi
Desh ki sansad tera Sangyaan legi
Fir bahas ka ek aur Mudda milega

Fir kadi hogi suraksha Desh bhar me
Maamla fir bhi rahega Ye adhar me
Desh chalta hai yun hi , Yun hi chalega

Sunil _Telang/23/08/2013









Thursday, August 22, 2013

KAASH AISA HOTA





काश ऐसा होता  

तरसता  है बहुत  ये दिल 
मिले ऐसा जहां कोई 
जहां हर शाम सुबहा हो 
ख़ुशी के रंग  में खोई

ना कोई हो बड़ा छोटा 

अमीरी ना गरीबी हो 
मिले दो वक़्त की रोटी 
बना हो आशियाँ कोई   

न झगडा जात  धर्मों  का 

न रिश्वत का चलन कोई 
फरेब और झूठ का दिल में 
न हो नाम-ओ-निशाँ कोई 

कभी कुछ वक़्त मिल जाये 
पुराने  संगी साथी हों  
करें फिर याद बचपन की 
सुनायें  दास्ताँ कोई 

ज़माना आधुनिकता का 
ये कैसा आ गया भाई 
बने सब बोझ अपने भी 
नहीं अब मेहरबां कोई 

Sunil_Telang/22/08/2013


Tuesday, August 20, 2013

BUT-PARASTI



बुत-परस्ती

बुत-परस्ती का ज़माना आ गया है 
जादुई व्यक्तित्व कोई भा गया है 

आपसी छींटा कशी करते रहे हम 

खून से कोई ज़मीं नहला गया है 

धुल गये  सारे गुनाहों के वो धब्बे 

सब्ज़-बागों से कोई बहला गया है 

हर समय आव भगत अच्छी नहीं है
घर  पड़ोसी को भी तेरा भा गया है  

कब तलक ख़्वाबों की दुनिया में रहोगे 
वक़्त तेरे जागने का आ गया है 

Sunil_Telang/20/08/2013








Saturday, August 17, 2013

JAANE KYON



जाने क्यों 

ज़ख्म मिलते रहे , चोट खाते रहे 
दर्द में फिर भी हम मुस्कुराते रहे 

वो न समझे कभी धडकनों की जुबां 

उनकी तस्वीर दिल में छुपाते रहे 

दिल्लगी से कभी,दिल लगा के कभी 

उम्र भर वो हमें आजमाते रहे 

जाने क्यों दिल कहीं अब बहलता नहीं 

कितने जलवे हसीं दिल लुभाते रहे 

दर्द समझा नहीं कोई अपने सिवा  

लोग आते रहे, लोग जाते रहे 

Sunil_Telang/17/08/2013

Tuesday, August 13, 2013

DIN BA DIN



दिन ब दिन

दिन ब दिन वो दूर होते जा  रहे  हैं 
ज़ख्म ये नासूर  होते  जा रहे हैं 

एक तरफा इश्क की आदत बुरी है 

दिल से क्यों  मजबूर होते जा रहे हैं 

दो घडी अपना बना के भूल जाना 
इश्क के दस्तूर होते जा रहे हैं 

छोड़ दी उम्मीद अब अहदे वफ़ा की 
ग़म हमे मंज़ूर होते जा रहे हैं 

चैन आये, कुछ खबर उनकी मिले अब 
रात  दिन  बेनूर होते जा रहे हैं 

Sunil_Telang/13/08/2013

Sunday, August 11, 2013

JASHN-E-AAZADI





जश्ने आज़ादी 

जश्ने   आज़ादी   मै   देखूं   या  हकीकत  देश की 
आज   अपनों   से   हुई  कैसी  फजीहत  देश की 

मुस्कुराहट   आंसुओं   में   है  यहाँ   लिपटी  हुई 
बच्चियाँ  भयग्रस्त  माँ  की गोद में सिमटी हुई 
दिन ब दिन  होती  यहाँ  दयनीय हालत देश की 

देशभक्ति    के   तराने   अब   नहीं  करते   असर
दो घडी की है लहर फिर सबको है अपनी फिकर 
फिर  नये  वादों  में  छुप  जायेगी  रंगत देश की 

है वहीँ दो वक़्त की रोटी का मसला जस का तस  
योजनाओं  की  जुगत   में  गुज़रे  ये पैंसठ बरस 
सिर्फ  भाषण  से   नहीं  बदलेगी  सूरत  देश  की 

Jashn-e-Aazadi main dekhoon Ya hakikat desh ki
Aaj apno se hui Kaisi fazeehat desh ki

Muskurahat aansuon me hai Yahan lipti hui

Bachchiyan bhaygrast Maa ki god me simti hui 
Din ba din hoti yahan Dayneey haalat desh ki 

Deshbhakti ke taraane Ab nahi karte asar

Do ghadi ki hai lahar Fir sab ko hai apni fikar
Fir naye vaadon me Chhup jaayegi rangat desh ki

Hai wahin do waqt ki Roti ka masla jas ke tas

Yojnaaon ki jugat me Gujre ye painsath baras
Sirf bhaashan se nahi Badlegi soorat desh ki 

Sunil_Telang/11/08/2013






Friday, August 9, 2013

KHATA



KHATA

Meri hansi ke peechhe Kuchh dard bhi chhupa hai

Uski judaai ka gham Aankhon se jhalakta hai

Aansoo mere ye uski Ruswaai ban na jaayen

Har waqt muskurana Shayad meri khata hai


मेरी  हँसी  के  पीछे  कुछ  दर्द  भी  छुपा है 
उसकी जुदाई का ग़म आँखों से झलकता है 
आंसू  मेरे  ये उसकी रुसवाई  बन ना जायें 
हर  वक़्त  मुस्कुराना  शायद मेरी खता  है 

Sunil_Telang

EID MUBARAK


ईद मुबारक

ये  ईद  मुबारक  इक  त्यौहार  है  ख़ुशी  का 
इसमें  छुपा  है   कोई  एहसास   दोस्ती  का 
हिन्दू  हो  या  मुसलमां  सबको गले लगाओ 
मिल कर ख़ुशी मनाते ग़म बाँट लें सभी  का  

Sunil _Telang /09/08/2013

Thursday, August 8, 2013

UMMEED



Kal ki bahaaren shayad Na dekh payenge hum
Gulshan ko yun hi foolon se Tum saja ke rakhna

UMMEED

कल  की  बहारें  शायद 
ना   देख  पायेंगे  हम
गुलशन को यूँ  ही फूलों 
से तुम सजा के  रखना

सींचा है  इस चमन को
दे  कर  के खून अपना
इसकी महक  को अपने
दिल  से लगा के रखना

इंसानियत   को   घेरे  
हैं   हर   तरफ  लुटेरे
इन जालिमों  से अपने 
घर को  बचा के रखना

रस्ता  कठिन है लेकिन 
पा   के  रहेंगे  मंजिल
उम्मीद  का  ये दीपक  
हरदम  जला के रखना

Sunil _Telang/08/08/2013


JAAGO MOHAN PYAARE


जागो मोहन प्यारे 

हो  रहा  बेड़ा  गर्क  लेकिन जुबां  खुलती नहीं 
हुक्मरानों की मिसालें इस तरह मिलती नहीं 
इस कदर लाचारगी  बेचारगी किस काम की 
देखते  रहने   से  कोई   आपदा   टलती  नहीं 

Sunil_Telang


Monday, August 5, 2013

NUMAAINDE



नुमाइन्दे

ये   कैसी  आस्था  रखते  यहाँ   के  संविधानो  में 
शपथ लेते हैं  ये  ईमान  की  विधि के  विधानों में 

नहीं  मंज़ूर इनको  जो  जुबां खोले खिलाफत की
छुपे  बैठे  रहो   चुपचाप  सब   अपने  मकानों  में 

नियम क़ानून तो  बस सिर्फ जनता के  लिये होंगे 
इन्हें क्यों छेड़ कर गुस्ताखियाँ करते हो शानो में 

मचाओ शोर कितना भी नहीं इन  पर असर कोई 
बने   बेफिक्र   बैठे    हैं  वो   डाले   तेल  कानो  में 

नुमाइन्दे  हैं  जनता  के  बनेंगे  ये  सिकन्दर  भी    
करेंगे  लोग  शामिल नाम  इनका भी महानों  में 

Sunil_Telang/05/08/2013




Friday, August 2, 2013

CYBER YUG



साइबर  युग 

हैं   बहुत   मुद्दे   ज़रूरी   ज़िक्र   करने    के   लिये 
पर अभी  खुलती जुबां  बस पर कतरने के  लिये 

वो  तो हैं जनता के सेवक, आपकी औकात क्या 
आये   हैं  ये   इस  धरा  पर  राज  करने  के लिये 

और  घोटालों  को  भी तो याद कुछ कर लीजिये 
पांच  वर्षों  में  मिला  क्या  पेट  भरने   के  लिये 

साइबर  युग   है, नज़ारा   देखिये  मोबाइल   पर 
लोग क्यों आते  सड़क पर रोज   मरने  के  लिये 

देश है अपना  बड़ा  संपन्न, डर  किस  बात  का 
है  अभी  बाकी  बहुत कुछ  कर गुजरने के लिये 

Sunil_Telang /02/08/2013

Hain bahut mudde zaroori Zikr karne ke liye
Par abhi khulti jubaan bus Par katarne ke liye 

Wo to hain janta ke sewak Aap ki aukaat kya
Aaye hain ye is dhara par Raaj karne ke liye

Aur ghotalon ko bhi to Yaad kuchh kar leejiye
Paanch varshon me mila kya Pet bharne ke liye

Cyber yug hai nazaara Dekhiye mobile par
Log kyon aate sadak par Roz marne ke liye

Desh hai apna bada sampann Dar kis baat ka
Hai abhi baaki bahut kuchh Kar guzarne ke liye

Sunil_Telang/02/08/2013











Thursday, August 1, 2013

JIMMEDARI



जिम्मेदारी

बना  के रोज़ इक  मुद्दा,बहस  का खेल जारी है 
हुए सब  व्यस्त चर्चा में , जुनूँ सा एक तारी  है   

कहीं वर्चस्व का झगडा, कहीं  हैं  धर्म की बातें 
गरीबी, भूख   हैं   गायब ,   कहाँ  बेरोज़गारी है 

कहीं कुदरत कहर ढाती, कहीं वीरान है बस्ती   
कहीं  दुश्चक्र  में  फंस कर  हुई कुर्बान  नारी  है 

वही आरोप  प्रत्यारोप में गुज़रेगा ये  दिन भी 
तमाशा  देखना हर रोज़  मजबूरी हमारी है 

कभी बेबस,बेचारों की हकीकत भी समझ लेना 
वही ग़लती न दोहरायें,ये सबकी जिम्मेदारी है 

Sunil_Telang/01/08/2013