Monday, September 30, 2013

FAISLA


फैसला 

देर आयद दुरस्त आयद मगर इक फैसला आया
हुकूमत पर असर फिर न्याय के पालक ने दिखलाया 
हुई शुरुआत अब शुद्धीकरण की आज से समझो 
गुनाहगारों के मन में खौफ सर से पाँव तक छाया 

Sunil_Telang/30/09/2013







MERA DESH MAHAAN


मेरा   देश  महान 

जोखिम  में  है  सबकी  जान 
फिर  भी   मेरा   देश  महान 

गिरते      पड़ते     नौनिहाल 
कौन   करे   भारत   निर्माण

कैसे      हम     स्कूल     चलें 
जन गण मन  का गायें गान 

गर्वित हों   किसकी  खातिर
आन  रही  ना  अपनी  शान  

संस्कृति     को    भूल   गये 
बना    इंडिया   हिन्दुस्तान 

Sunil _Telang 















Saturday, September 28, 2013

ANJAAM



अंजाम 

शहादत   तेरी    इक    तमाशा   बनी 
भुला    बैठे    हैं   सब   तेरे  नाम   को   
नुमाइंदगी    ये      नई     नस्ल    की  
ना    देखेगी   गुजरी   हुई   शाम   को 

ना  जज़्बात  हैं  ना   जुनूँ    रह   गया  
हुई सबको बस अपनी अपनी फिकर 
वतन  लुट   रहा   है   तो   लुटता  रहे 
नहीं    छोड़   पाते   हैं    आराम    को

मिली हमको आज़ादी  गैरों   से, अब  
यहाँ  राज  कहने  को  अपनों  का  है
अभी तुझको लेना  है  फिर से जनम 
कवायद  ये    पहुंचेगी    अंजाम   को 

Sunil_Telang/28/09/2013 











KUNDAN



KUNDAN

अभी तो है आग़ाज़  मंजिल नहीं है 
अभी तो बहुत दूर  हमको है चलना 
अभी जश्न  का कोई  अवसर नहीं है 
है  पहले  समूची व्यवस्था बदलना 

ये  ईमान  और  सब्र  का इम्तिहाँ है 
किसी मोड़ पर ये कदम रुक ना जायें
ये  कैसी लहर जागरूकता की फैली
तुझे आ गया अपने घर से निकलना 

ज़रा लोभ लालच  से नज़रें हटाओ 
ये  मुद्दे  धरम-जात  के भूल  जाओ 
नहीं ऐसा  अवसर दोबारा मिलेगा 
तुझे कोई पछतावा रह जाए कल ना 

ये आम आदमी तेरे  हक की  लड़ाई 
कवायद  तेरी  कैसी  रंगत ले  आई 
कभी  तेरी कुंदन  सी पहचान होगी 
ज़रा  सीख ले  धूप  में पहले जलना 

Sunil_Telang/27/09/2013





Wednesday, September 25, 2013

MUJHSE HOGI SHURUAAT



मुझसे होगी शुरुआत

ना  रिश्वत  देंगे, ना लेंगे, बस  तभी  बनेगी   कोई  बात 
ये  भ्रष्टाचार  ख़तम  करने  की  मुझसे   होगी  शुरुआत

जबसे  हमने ये होश सम्भाला  है  हमने  देखा अक्सर  
इस  लूट  तंत्र  ने  कर रक्खा है हम  सबका  जीना दूभर
हर छोटे  छोटे  कामों पर  भी रोज़ लगाते हम चक्कर  
कितनी भी मिन्नत करो नही होता है उन पर कोई  असर  

फिर मजबूरी में जेब गरम करके ही बन पाती है बात
ये  भ्रष्टाचार ख़तम  करने  की  मुझसे होगी  शुरुआत

कुछ चलन बना अब ऊंचे ऊंचे पदों की लगती है बोली 
फिर करती है जनता का शोषण रिश्वतखोरों की टोली 
कोई  सुनवाई  नहीं  कही  मिलती है लाठी और गोली 
सब साथ हैं ऊपर से नीचे तक  जैसे  दामन और चोली 

ये  खेल हुआ  है अब ऐसा  तू डाल  डाल  मैं  पात पात 
ये  भ्रष्टाचार  ख़तम करने की  मुझसे  होगी  शुरुआत

आज़ादी से  अब  तक  जाने कितने  घोटाले  हुये दफ़न
सब  लूट तंत्र  में  एक  हुये अब  नहीं रहा कोई  दुश्मन 
कारप्शन को ताक़त देता जनता का रोज़ निकम्मापन 
उठ कर बैठो, हो जाओ खड़े, अब छोडो भी ये कायरपन  

कुछ त्याग और बलिदान करें तब ही पायेंगे हम निजात 
ये  भ्रष्टाचार  ख़तम  करने की   मुझसे होगी  शुरुआत

Sunil_Telang/24/07/2013

MUJHSE HOGI SHURUAAT

Na Rishwat denge, Na lenge, Bus tabhi banegi koi baat 
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat 

Jabse humne ye hosh sambhala hai Humne dekha aksar
Is Loot tantra ne kar rakkha hai Hum sab ka jeena doobhar
Har chhote chhote kaamon par bhi Roz lagaate hum chakkar
Kitni bhi minnat karo nahi hota hai Un par koi asar

Fir majboori me jeb garam kar ke hi ban paati hai baat 
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat 

Kuchh chalan bana ab Oonche oonche padon ki lagti hai boli
Fir karti hai janta ka shoshan Rishwat khoron ki toli
Koi sunwaai nahi kahin Milti hai laathi aur goli
Sab saath hain Oopar se Neeche tak jaise Daaman aur Choli

Ye khel hua hai ab aisa Tu daal daal Main paat paat 
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat 

Aazadi se ab tak jaane Kitne ghotale huye dafan
Sab Loot tantra me ek huye Ab nahi raha koi dushman
Corruption ko taakat deta Janta ka roz Nikammapan
Uth kar baitho, Ho jaao khade, Ab chhodo bhi ye Kaayarpan

Kuchh Tyaag aur Balidaan karen Tab hi paayenge hum Nijaat
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat 

Sunil_Telang/24/07/2013








Tuesday, September 24, 2013

HUNAR


हुनर

बहुत  खुश-रंग  अन्धेरे हैं जो  लगते  सहर हमको 
सताते   हैं अधूरे  ख्वाब अक्सर  रात  भर  हमको 

चला  आया  है लेकर  नाखुदा  मंझधार  में  कश्ती 
कोई  उम्मीद  बचने  की  नहीं  आती नज़र हमको 

वही   मौकापरस्ती   है   बदलता    है  जुबां अपनी 
यकीं  आता  नहीं   तेरी  किसी भी बात पर हमको 

लहू    के   रंग    में   डूबी    हुई   बदहाल  ये  बस्ती 
दवा   के  नाम  पर  ये  चारागर  देते  ज़हर हमको 

नहीं  उम्मीद  अब कोई यहाँ  जीना हुआ मुश्किल  
कोई सिखला दे ग़म में मुस्कुराने का हुनर हमको 


( सहर-Morning, नाखुदा-Boatman, चारागर -Doctor)

Sunil_Telang/24/09/2013





Monday, September 23, 2013

TERI ZID



TERI ZID
तेरी जिद ने आज कुछ ऐसा करिश्मा कर दिया 
हर युवा की धमनियों में रक्त फिर से भर दिया

चाहे छल हो या कि बल हो अब रुकेंगे ना कदम 
भ्रष्ट सत्ता की असलियत को उजागर कर दिया 

हो   गया   हर  नौजवां   तैयार  मरने   के  लिये 
अपने जीवन की कदर करने का इक अवसर दिया 

चाहे  अब  कोई  भी  हो  अंजाम  कोई  ग़म नहीं 
हाथ अब सरकार की दुखती रगों पर धर दिया 

हुक्मरानों सब्र का मत इम्तिहाँ  लेना कभी 
जब युवा जागा तो जो चाहा वो उसने कर दिया 

Teri zid ne aaj kuchh Aisa karishma kar diya
Har yuva Ki dhamniyon me Rakt fir se bhar diya

Chaahe chhal ho ya ke bal ho Ab rukenge na kadam
Bhrasht satta ki asaliyat Ko ujaagar kar diya

Ho gaya har naujawan Taiyar marne ke liye
Apne jeewan ki kadar Karne ka ek awsar diya

Chaahe ab koi bhi ho Anjaam koi gham nahin
Haath ab sarkaar ki dukhti Ragon par dhar diya

Hukmraano sabr ka mat Imtihaan lena kabhi
Jab yuva jaaga to jo Chaaha wo usne kar diya

Sunil_Telang

Sunday, September 22, 2013

NEMAT


नेमत 

ज़िन्दगी  को  जियो  ज़िन्दगी  के लिये 
मुस्कुराओ  किसी   की  ख़ुशी  के  लिये

ज़िन्दगी ख्वाब  भी  है हकीकत  भी  है 

एक   नेमत   है   ये   आदमी   के   लिये 

किसलिये  खुद  से   इतना  परेशान  है 

ग़म की बारिश तो होती सभी  के लिये 

वक़्त  कैसा   भी  हो  हौसला  रख  सदा 

ज़ीस्त   तेरी  नहीं   ख़ुदकुशी   के  लिये 

दूसरों  से  अलग  अपनी  पहचान  कर        
तू  बने  इक  मसल हर किसी  के  लिये 

(नेमत -Blessing, Boon,ज़ीस्त-Life, मसल-Example)

Sunil_Telang/22/09/2013








Saturday, September 21, 2013

FURQAT


फ़ुरकत

कुछ लोग बिछड़ कर भी दिल के करीब होंगे 
आयेंगे   लौट  कर,  गर   अच्छे  नसीब  होंगे
महसूस   होगी  उनको  शायद  कमी  हमारी 
फ़ुरकत  के   दिन  हमारे  हमको हबीब होंगे 

(फ़ुरकत -Seperation, हबीब-Beloved)

Sunil_Telang /21/09/2013









  




  
                             
































MANZAR



मंज़र

हकीकत छुप गई  है सामने  कुछ और मंज़र  है 
ये अंधों और बहरों  की हुकूमत  बोझ सर पर है 
किसी का घर जला है  और  कोई  जां लुटा बैठा 
कहें किस से सियासतदारों के हाथों में खंजर है 

Sunil_Telang/21/09/2013

HAKIKAT




हकीकत

है दिल में बात कुछ उनके  जुबां कुछ और कहती है 
हकीकत   इसलिये  लोगों   से  अक्सर  दूर रहती  है
ये   झूठी   मुस्कराहट,  खोखले   वादे,  ये   हकलाहट 
यही   नाकामियों  का   दर्द  जनता   रोज़  सहती  है 

Sunil _Telang /21/09/2013





SIYASAT


सियासत

ये  कैसी  आग थी  जिसमें जला  हर आशियाना था 
जुनूं   ये   मज़हबी  था  या  फकत  कोई  बहाना  था 
उन्हें थी फ़िक्र बस इतनी  वो हिन्दू या मुसलमां था
लहू  का क्या ,सियासत  के लिये मौसम सुहाना था 

Sunil _Telang /21/09/2013


Friday, September 20, 2013

SUPRABHAAT

सुप्रभात 

भोर  की   किरनों    का   ये      पैग़ाम    है
हर    सुबह    उजली    सुहानी    शाम    है 
जाग  जा,  ग़म  के  अंधेरों  से  निकल  ले 
आज   का   दिन   फिर   ये   तेरे  नाम  है

Sunil_Telang/20/09/2013






Tuesday, September 17, 2013

KHANJAR


खंजर

ये   कैसी  रहगुज़र पर  लोग  चलते  जा  रहे हैं   
हवा  के  साथ   रुख  अपना बदलते  जा  रहे  हैं 

न  कोई नक़्शे-पा है, ना  कहीं  पर राहबर कोई   
भटक  के  रास्तों  से  हाथ   मलते   जा   रहे  हैं 

यकीं किस पर करें,ये मज़हबी मौकापरस्ती है 
तेरे  बनकर तेरा  दिल  लोग  छलते  जा  रहे हैं

मिटेगा सिर्फ इन्सां,चाहे हिन्दू या मुसलमां हो 
अमन के  नाम  पर खंजर   निकलते जा रहे हैं   

हुकुमरानों  को  फिर इक बार तेरी याद आई है    
तेरा  ग़म  देख , उनके  दिल पिघलते जा रहे हैं  

Sunil_Telang/17/09/2013





Monday, September 16, 2013

SOCH



सोच 

जो  लोग अपने  घर से बाहर नहीं निकलते
देखेंगे   कैसे  अपनी   तकदीर   को  बदलते 

ग़म  को  छुपाते  रहते  हैं  ओढ़ कर मुखौटे  

कटते हैं रात और दिन गिरते कभी सँभलते 

हर  रोज़ की बहस का अंजाम कुछ नहीं है

घर   में  रहेंगे  टी वी चैनल  को बस बदलते 

जो  सोचते  हैं  अक्सर  होता नहीं  है वैसा 

रह   जाते  हैं  अधूरे  आँखों  में ख्वाब पलते

बदलोगे सोच अपनी दुनिया बदल सकोगे 

कुछ कह रही है तुझसे  ये  रात ढलते ढलते 

Sunil_Telang/16/09/2013



















SWARAAJ


स्वराज 

बहुत   होंगे    तेरे    हमदर्द   फिर    भी  तुझको  रोना है 
तुझे   ये   ज़िन्दगी    का   बोझ   अपने   आप   ढोना  है 

ये   दुनिया   पैसे   वालों  की, तेरी  पहचान  ही  क्या  है 
तेरा   अस्तित्व   सत्ता   के  लिये   बस  इक  खिलौना है 

ज़मीं   तेरी,   वतन   तेरा,  तेरा    ही   राज   है   कायम 
मगर  अपने  ही  हक  का फिर  तुझे  मोहताज़ होना है 

बहुत  कुछ  सह लिया, मिलकर लड़ें हक की लड़ाई अब 
मिले   "स्वराज" ना  जब तक, नहीं  दिन रात सोना है 

Sunil-Telang/16/09/2013


Sunday, September 15, 2013

AADMI




आदमी


किसकी  खातिर  जी  रहा  है  आदमी

इक   तमाशा    ही    रहा   है   आदमी 


भूख     मँहगाई     गरीबी     से   घिरा 

जेब    अपनी    सीं   रहा   है   आदमी 


हुक्मरानों    की   नज़र   में  उम्र  भर 

एक     फरियादी   रहा    है    आदमी


खो   गयी  इंसानियत  इस  भीड़   में 

खून    अपना    पी    रहा  है  आदमी 


ज़ुल्म  की  है  इन्तेहा  कुछ  याद  कर

इन्किलाबी    भी    रहा    है   आदमी 


Sunil_Telang

Friday, September 13, 2013

MALHAM



MALHAM

Abhi malham laga hai Zakhm bharna hai abhi baaki 
Chhupi haiwaniyat ko Khatm karna hai abhi baaki 
Koi dushkarmi ab kaliyon ka Bachpan raund na paaye
Gunahgaron ke dil me Dar thaharna hai abhi baaki

Sunil_Telang

मलहम 

अभी  मलहम लगा है ज़ख्म भरना  है  अभी बाकी 
छुपी  हैवानियत   को  ख़त्म करना  है  अभी बाकी 
कोई दुष्कर्मी अब कलियों का बचपन रौंद ना पाये 
गुनाहगारों  के  दिल  में  डर ठहरना  है अभी बाकी 

Sunil_Telang/13/09/2013


Thursday, September 12, 2013

DEEDAAR



दीदार 

वही  जो   दर्द   देते   हैं  वही  गमख्वार  होते  हैं
मोहब्बत में सितमगर भी  दिले-बीमार होते हैं 
कभी  परदे  के  पीछे   से  नुमायां  होते  रहते हैं 
कभी  महफ़िल  में  भी ना रूबरू  दीदार  होते हैं 

Sunil _Telang /12/09/2013



LAADLI



लाडली

निर्भया   हो,  दामिनी  हो  या  कोई  हो 
आज  से  भयमुक्त  सबकी   लाडली  हो 

बेटियां    कोई    खिलौना   तो   नहीं  हैं
जो  तेरे  बहलाव  की  खातिर  बनी  हो 

ऐ   गुनाहगारो  खुदा   का  खौफ  खाओ 
तेरे  घर  में  भी  ये  हरकत  ना कहीं हो 

कुछ  सज़ा उनके   लिये  ऐसी   बनाओ 
मौत से बदतर अब उनकी ज़िन्दगी हो 

डर  गुनाहगारों  में  कुछ ऐसा बिठा दो
हादसा   ऐसा  न   कोई   फिर  कहीं  हो 

Sunil_Telang/12/09/2013
















SWARAAJ


स्वराज 

अधूरे  हैं  कई  सपने, बहुत  कुछ  काम  करना है 
मिले स्वराज ना जब तक, नहीं आराम करना है  

हुये   आज़ाद  हम   कुर्बानियां  देकर  शहीदों  की 

यही  जज़्बा  रहे   कायम  ये  इंतजाम  करना  है

तेरा हक छीन कर कोई  तुझी  पर राज करता है
व्यवस्था ये बदलने में  ही सुबहो-शाम  करना है 

ज़रा पहचान अपनों को  तेरे हाथों में शासन हो 
तुझे  हर ओर  जन जन  में यही पैग़ाम करना है 

Sunil_Telang/12/09/2013

   

Tuesday, September 10, 2013

JAZBAAT


जज़्बात

चल, मोहब्बत  से ज़रूरी और भी  कुछ काम हैं 
इश्क  में  मरने  से अच्छा  देश की खातिर मरें

है बहुत उम्मीद पर हमने अभी तक क्या दिया 
एक  दिन  खुद  से  ये  सवालात  भी पूछा  करें 

ना  चलेंगे  साथ   ना  बढ़ने  दें  कोई  काफिला 
बैठ के हर  शाम सुबहा बस गिला शिकवा करें

और तो कुछ काम हमको ना नज़र आया कभी 
आग  लगने  पर  तमाशा  रोज़  बस  देखा  करें 

सोच  ये  अपनी  पुरानी  कुछ न बदलेगी यहाँ 
कुछ  नये जज़्बात अपने दिल में अब पैदा करें 

Sunil_Telang/10/09/2013




HAASIL




हासिल

अब  तो  जीना और भी  मुश्किल हुआ 
इश्क   में  नाकाम  जब  से  दिल  हुआ 
दो  घडी  का  चैन  और  ग़म  उम्र  भर 
हर किसी  को  और  क्या हासिल हुआ 

Sunil_Telang/10/09/2013







Monday, September 9, 2013

CHINGARI



चिंगारी 

सितम  होते  रहेंगे जब तलक खामोश हम होंगे 
घरों   में   बैठने  से  हादसे  ऐसे   ना   कम   होंगे 
ज़लायेगी तेरा दामन भी ज़ुल्मत की ये चिंगारी 
निशाने पर कभी इन्सां, कभी दैर-ओ-हरम होंगे 

Sunil _Telang /09/09/2013

ज़ुल्मत-  (पीड़ा ) ,
दैर-ओ- हरम  (पूजा स्थल ) 

Saturday, September 7, 2013

IMTIHAAN


इम्तेहां 

नहीं   उम्मीद  अब  कोई  नुमाइंदों  से  बाकी  है 
सहेंगे और कब तक  सब्र  की अब इन्तेहा की है 
ये  खामोशी  नहीं, बदलाव की शुरुआत  है देखो 
घडी  ये  आज  तेरे   हौसले और इम्तेहां  की  है 

Sunil_Telang/07/09/2013





AARZOO


आरज़ू 

किसी  की आरज़ू बनकर,  किसी  का प्यार तुम पाओ 
किसी का ख्वाब बनकर, उसकी आँखों में समा जाओ 
कभी  जोर-ओ-ज़ुल्म  से दिल  ना  कोई  जीत पाओगे 
कभी उसकी रज़ा  को  भी समझकर ज़ब्त दिखलाओ 

 (रज़ा -Wish, ज़ब्त -Control, Toleration)

Sunil_Telang/07/09/2013

Friday, September 6, 2013

RAAH-E-MANZIL


राहे-मंजिल

आईने   से  बात  कर   के   देखिये 
अपनी तहकीकात कर के  देखिये 

लीक पर चलना सदा  अच्छा नहीं 
कुछ नये ख्यालात  कर के देखिये 

कौन  अपना  है  तेरे दुःख  दर्द  में 
कुछ तो मालूमात  कर  के देखिये 

मुश्किलें तो  ख़त्म ना होंगी कभी 
वश  में  ये  हालात कर  के देखिये 

बढ़  चले  हैं राहे-मंजिल पर कदम 
एक  अब  दिन रात कर के देखिये 

Sunil_Telang/06/09/2013


GATHRI


गठरी 

ज़िन्दगी   की   आस    में  जीते   रहे    मरते     रहे 
पेट  अपना  काट  कर  लोगों   का   घर  भरते  रहे 

उम्र भर हमने  न  जाना   अपना हक होता है क्या 

जो मिला किस्मत समझ कर बस  सबर करते रहे 

चल  दिये  अपने  कदम  भी  रहनुमा  की  राह पर 

पाई  ना  मंजिल  कभी   यूँ  ही    सफ़र  करते  रहे 

माँ  बहन बेटी  का अब है मान क्या सम्मान क्या 

लोग  मजलूमों  पे  भी  तिरछी  नज़र   करते  रहे

लोग   हँसते   हैं  यहाँ    गठरी    गुनाहों  की  लिए  

हम  तो  नाहक  आइना  ही   देख  कर  डरते   रहे

Sunil_Telang/06/09/2013 


Zindagi ki aas me Jeete rahe Marte rahe
Pet apna kaat kar Logon ka ghar bharte rahe

Umr bhar hum ne na jaana Apna hak hota hai kya 
Jo mila kismat samajhkar Bus sabar karte rahe 

Chal diye apne kadam bhi Rehnuma ki raah par
Paai na manzil kabhi Yun hi safar karte rahe 

Maa Bahan Beti ka ab hai Maan kya Samman kya 
Log mazloomon pe bhi Tirchhi nazar karte rahe

Log hanste hain yahaan Gathri gunaahon ki liye
Hum to naahak aaina hi Dekh kar darte rahe 

Sunil_Telang/06/09/2013





Wednesday, September 4, 2013

SHIKWA




शिकवा 

क्यों तुझे शिकवा  सदा  रहता  है अपनी  ज़िन्दगी  से 
हाल-ए -दिल बतला के बा-उम्मीद रहता हर किसी से 

है   बड़ी   खुदगर्ज  दुनिया,  सबको बस  अपनी फिकर 
आदमी   भी   किस   कदर  बेज़ार   रहता  आदमी   से 

Sunil_Telang/03/09/2013 



Sunday, September 1, 2013

JAZBAA

जज़्बा 

मुझे  खामोश   करने   से  ज़माना  चुप   ना   बैठेगा 
लहू  का  एक  एक  कतरा  जहां   में  रंग  भर  देगा

ये   चिंगारी  उठी   है   आसमां  में  देख  ले  दुनिया 

ये  कुर्बानी का जज़्बा  फिर चमन गुलज़ार कर देगा  


Sunil_Telang/01/09/2013

NAGEENE


नगीने 

मुझको   नहीं  है  आदत  बेवक्त  मुस्कुराऊं 
जब  शाद होगा ये  दिल खुद हँस पडूंगा मैं 
अब और कोई ज़ुल्मत मुझको नहीं गंवारा 
जब तक है सांस बाकी  तब तक लडूंगा  मैं 

वो  और लोग  होंगे जो  सोचते  हैं अक्सर
इस देश का नतीजा अब कुछ न हो सकेगा
अब  साथ  मेरे  कोई  आये  या  लौट जाये  
जब  तक  मिले  ना मंजिल आगे बढूंगा मैं 

ये  प्यार ये  मोहब्बत ही  ज़िन्दगी नहीं है 
यूँ   व्यर्थ  लुटाने  को  होती  नहीं  जवानी
भटके  हुये  युवा  हैं  बिखरी हुई  है  माला 
एक  एक  नगीने   को  फिर  से  जडूंगा मैं 

(शाद -Happy ) (ज़ुल्मत -Torment)

Sunil_Telang/01/09/2013