Main koi kavi ya shaayar nahin hoon, Bus jo bhi apne aas paas dekhta hoon ya apne saath ghat raha hai, usko shabdon me dhaalne ki koshish karta hoon.
Monday, September 30, 2013
Saturday, September 28, 2013
ANJAAM
अंजाम
शहादत तेरी इक तमाशा बनी
भुला बैठे हैं सब तेरे नाम को
नुमाइंदगी ये नई नस्ल की
ना देखेगी गुजरी हुई शाम को
ना जज़्बात हैं ना जुनूँ रह गया
हुई सबको बस अपनी अपनी फिकर
वतन लुट रहा है तो लुटता रहे
नहीं छोड़ पाते हैं आराम को
मिली हमको आज़ादी गैरों से, अब
यहाँ राज कहने को अपनों का है
अभी तुझको लेना है फिर से जनम
कवायद ये पहुंचेगी अंजाम को
Sunil_Telang/28/09/2013
KUNDAN
KUNDAN
अभी तो है आग़ाज़ मंजिल नहीं है
अभी तो बहुत दूर हमको है चलना
अभी जश्न का कोई अवसर नहीं है
है पहले समूची व्यवस्था बदलना
ये ईमान और सब्र का इम्तिहाँ है
किसी मोड़ पर ये कदम रुक ना जायें
ये कैसी लहर जागरूकता की फैली
तुझे आ गया अपने घर से निकलना
ज़रा लोभ लालच से नज़रें हटाओ
ये मुद्दे धरम-जात के भूल जाओ
नहीं ऐसा अवसर दोबारा मिलेगा
तुझे कोई पछतावा रह जाए कल ना
ये आम आदमी तेरे हक की लड़ाई
कवायद तेरी कैसी रंगत ले आई
कभी तेरी कुंदन सी पहचान होगी
ज़रा सीख ले धूप में पहले जलना
Sunil_Telang/27/09/2013
Wednesday, September 25, 2013
MUJHSE HOGI SHURUAAT
मुझसे होगी शुरुआत
ना रिश्वत देंगे, ना लेंगे, बस तभी बनेगी कोई बात
ये भ्रष्टाचार ख़तम करने की मुझसे होगी शुरुआत
जबसे हमने ये होश सम्भाला है हमने देखा अक्सर
इस लूट तंत्र ने कर रक्खा है हम सबका जीना दूभर
हर छोटे छोटे कामों पर भी रोज़ लगाते हम चक्कर
कितनी भी मिन्नत करो नही होता है उन पर कोई असर
फिर मजबूरी में जेब गरम करके ही बन पाती है बात
ये भ्रष्टाचार ख़तम करने की मुझसे होगी शुरुआत
कुछ चलन बना अब ऊंचे ऊंचे पदों की लगती है बोली
फिर करती है जनता का शोषण रिश्वतखोरों की टोली
कोई सुनवाई नहीं कही मिलती है लाठी और गोली
सब साथ हैं ऊपर से नीचे तक जैसे दामन और चोली
ये खेल हुआ है अब ऐसा तू डाल डाल मैं पात पात
ये भ्रष्टाचार ख़तम करने की मुझसे होगी शुरुआत
आज़ादी से अब तक जाने कितने घोटाले हुये दफ़न
सब लूट तंत्र में एक हुये अब नहीं रहा कोई दुश्मन
कारप्शन को ताक़त देता जनता का रोज़ निकम्मापन
उठ कर बैठो, हो जाओ खड़े, अब छोडो भी ये कायरपन
कुछ त्याग और बलिदान करें तब ही पायेंगे हम निजात
ये भ्रष्टाचार ख़तम करने की मुझसे होगी शुरुआत
Sunil_Telang/24/07/2013
MUJHSE HOGI SHURUAAT
Na Rishwat denge, Na lenge, Bus tabhi banegi koi baat
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat
Jabse humne ye hosh sambhala hai Humne dekha aksar
Is Loot tantra ne kar rakkha hai Hum sab ka jeena doobhar
Har chhote chhote kaamon par bhi Roz lagaate hum chakkar
Kitni bhi minnat karo nahi hota hai Un par koi asar
Fir majboori me jeb garam kar ke hi ban paati hai baat
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat
Kuchh chalan bana ab Oonche oonche padon ki lagti hai boli
Fir karti hai janta ka shoshan Rishwat khoron ki toli
Koi sunwaai nahi kahin Milti hai laathi aur goli
Sab saath hain Oopar se Neeche tak jaise Daaman aur Choli
Ye khel hua hai ab aisa Tu daal daal Main paat paat
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat
Aazadi se ab tak jaane Kitne ghotale huye dafan
Sab Loot tantra me ek huye Ab nahi raha koi dushman
Corruption ko taakat deta Janta ka roz Nikammapan
Uth kar baitho, Ho jaao khade, Ab chhodo bhi ye Kaayarpan
Kuchh Tyaag aur Balidaan karen Tab hi paayenge hum Nijaat
Ye Bhrashtachar khatam karne ki Mujhse Hogi Shuruaat
Sunil_Telang/24/07/2013
Tuesday, September 24, 2013
HUNAR
हुनर
बहुत खुश-रंग अन्धेरे हैं जो लगते सहर हमको
सताते हैं अधूरे ख्वाब अक्सर रात भर हमको
चला आया है लेकर नाखुदा मंझधार में कश्ती
कोई उम्मीद बचने की नहीं आती नज़र हमको
वही मौकापरस्ती है बदलता है जुबां अपनी
यकीं आता नहीं तेरी किसी भी बात पर हमको
लहू के रंग में डूबी हुई बदहाल ये बस्ती
दवा के नाम पर ये चारागर देते ज़हर हमको
नहीं उम्मीद अब कोई यहाँ जीना हुआ मुश्किल
कोई सिखला दे ग़म में मुस्कुराने का हुनर हमको
( सहर-Morning, नाखुदा-Boatman, चारागर -Doctor)
Sunil_Telang/24/09/2013
Monday, September 23, 2013
TERI ZID
TERI ZID
तेरी जिद ने आज कुछ ऐसा करिश्मा कर दिया
हर युवा की धमनियों में रक्त फिर से भर दिया
चाहे छल हो या कि बल हो अब रुकेंगे ना कदम
भ्रष्ट सत्ता की असलियत को उजागर कर दिया
हो गया हर नौजवां तैयार मरने के लिये
अपने जीवन की कदर करने का इक अवसर दिया
चाहे अब कोई भी हो अंजाम कोई ग़म नहीं
हाथ अब सरकार की दुखती रगों पर धर दिया
हुक्मरानों सब्र का मत इम्तिहाँ लेना कभी
जब युवा जागा तो जो चाहा वो उसने कर दिया
हर युवा की धमनियों में रक्त फिर से भर दिया
चाहे छल हो या कि बल हो अब रुकेंगे ना कदम
भ्रष्ट सत्ता की असलियत को उजागर कर दिया
हो गया हर नौजवां तैयार मरने के लिये
अपने जीवन की कदर करने का इक अवसर दिया
चाहे अब कोई भी हो अंजाम कोई ग़म नहीं
हाथ अब सरकार की दुखती रगों पर धर दिया
हुक्मरानों सब्र का मत इम्तिहाँ लेना कभी
जब युवा जागा तो जो चाहा वो उसने कर दिया
Teri zid ne aaj kuchh Aisa karishma kar diya
Har yuva Ki dhamniyon me Rakt fir se bhar diya
Chaahe chhal ho ya ke bal ho Ab rukenge na kadam
Bhrasht satta ki asaliyat Ko ujaagar kar diya
Ho gaya har naujawan Taiyar marne ke liye
Apne jeewan ki kadar Karne ka ek awsar diya
Chaahe ab koi bhi ho Anjaam koi gham nahin
Haath ab sarkaar ki dukhti Ragon par dhar diya
Hukmraano sabr ka mat Imtihaan lena kabhi
Jab yuva jaaga to jo Chaaha wo usne kar diya
Sunil_Telang
Sunday, September 22, 2013
NEMAT
नेमत
ज़िन्दगी को जियो ज़िन्दगी के लिये
मुस्कुराओ किसी की ख़ुशी के लिये
ज़िन्दगी ख्वाब भी है हकीकत भी है
एक नेमत है ये आदमी के लिये
किसलिये खुद से इतना परेशान है
ग़म की बारिश तो होती सभी के लिये
वक़्त कैसा भी हो हौसला रख सदा
ज़ीस्त तेरी नहीं ख़ुदकुशी के लिये
दूसरों से अलग अपनी पहचान कर
तू बने इक मसल हर किसी के लिये
(नेमत -Blessing, Boon,ज़ीस्त-Life, मसल-Example)
Sunil_Telang/22/09/2013
Friday, September 20, 2013
Tuesday, September 17, 2013
KHANJAR
खंजर
ये कैसी रहगुज़र पर लोग चलते जा रहे हैं
हवा के साथ रुख अपना बदलते जा रहे हैं
न कोई नक़्शे-पा है, ना कहीं पर राहबर कोई
भटक के रास्तों से हाथ मलते जा रहे हैं
यकीं किस पर करें,ये मज़हबी मौकापरस्ती है
तेरे बनकर तेरा दिल लोग छलते जा रहे हैं
मिटेगा सिर्फ इन्सां,चाहे हिन्दू या मुसलमां हो
अमन के नाम पर खंजर निकलते जा रहे हैं
हुकुमरानों को फिर इक बार तेरी याद आई है
तेरा ग़म देख , उनके दिल पिघलते जा रहे हैं
Sunil_Telang/17/09/2013
Monday, September 16, 2013
SOCH
सोच
जो लोग अपने घर से बाहर नहीं निकलते
देखेंगे कैसे अपनी तकदीर को बदलते
ग़म को छुपाते रहते हैं ओढ़ कर मुखौटे
कटते हैं रात और दिन गिरते कभी सँभलते
हर रोज़ की बहस का अंजाम कुछ नहीं है
घर में रहेंगे टी वी चैनल को बस बदलते
जो सोचते हैं अक्सर होता नहीं है वैसा
रह जाते हैं अधूरे आँखों में ख्वाब पलते
बदलोगे सोच अपनी दुनिया बदल सकोगे
कुछ कह रही है तुझसे ये रात ढलते ढलते
Sunil_Telang/16/09/2013
SWARAAJ
स्वराज
बहुत होंगे तेरे हमदर्द फिर भी तुझको रोना है
तुझे ये ज़िन्दगी का बोझ अपने आप ढोना है
ये दुनिया पैसे वालों की, तेरी पहचान ही क्या है
तेरा अस्तित्व सत्ता के लिये बस इक खिलौना है
ज़मीं तेरी, वतन तेरा, तेरा ही राज है कायम
मगर अपने ही हक का फिर तुझे मोहताज़ होना है
बहुत कुछ सह लिया, मिलकर लड़ें हक की लड़ाई अब
मिले "स्वराज" ना जब तक, नहीं दिन रात सोना है
Sunil-Telang/16/09/2013
Sunday, September 15, 2013
Friday, September 13, 2013
MALHAM
MALHAM
Abhi malham laga hai Zakhm bharna hai abhi baaki
Chhupi haiwaniyat ko Khatm karna hai abhi baaki
Koi dushkarmi ab kaliyon ka Bachpan raund na paaye
Gunahgaron ke dil me Dar thaharna hai abhi baaki
Sunil_Telang
मलहम
अभी मलहम लगा है ज़ख्म भरना है अभी बाकी
छुपी हैवानियत को ख़त्म करना है अभी बाकी
कोई दुष्कर्मी अब कलियों का बचपन रौंद ना पाये
गुनाहगारों के दिल में डर ठहरना है अभी बाकी
Sunil_Telang/13/09/2013
Thursday, September 12, 2013
LAADLI
लाडली
निर्भया हो, दामिनी हो या कोई हो
आज से भयमुक्त सबकी लाडली हो
बेटियां कोई खिलौना तो नहीं हैं
जो तेरे बहलाव की खातिर बनी हो
ऐ गुनाहगारो खुदा का खौफ खाओ
तेरे घर में भी ये हरकत ना कहीं हो
कुछ सज़ा उनके लिये ऐसी बनाओ
मौत से बदतर अब उनकी ज़िन्दगी हो
डर गुनाहगारों में कुछ ऐसा बिठा दो
हादसा ऐसा न कोई फिर कहीं हो
Sunil_Telang/12/09/2013
SWARAAJ
स्वराज
अधूरे हैं कई सपने, बहुत कुछ काम करना है
मिले स्वराज ना जब तक, नहीं आराम करना है
हुये आज़ाद हम कुर्बानियां देकर शहीदों की
यही जज़्बा रहे कायम ये इंतजाम करना है
तेरा हक छीन कर कोई तुझी पर राज करता है
व्यवस्था ये बदलने में ही सुबहो-शाम करना है
ज़रा पहचान अपनों को तेरे हाथों में शासन हो
तुझे हर ओर जन जन में यही पैग़ाम करना है
Sunil_Telang/12/09/2013
Tuesday, September 10, 2013
JAZBAAT
जज़्बात
चल, मोहब्बत से ज़रूरी और भी कुछ काम हैं
इश्क में मरने से अच्छा देश की खातिर मरें
है बहुत उम्मीद पर हमने अभी तक क्या दिया
एक दिन खुद से ये सवालात भी पूछा करें
ना चलेंगे साथ ना बढ़ने दें कोई काफिला
बैठ के हर शाम सुबहा बस गिला शिकवा करें
और तो कुछ काम हमको ना नज़र आया कभी
आग लगने पर तमाशा रोज़ बस देखा करें
सोच ये अपनी पुरानी कुछ न बदलेगी यहाँ
कुछ नये जज़्बात अपने दिल में अब पैदा करें
Sunil_Telang/10/09/2013
Monday, September 9, 2013
Friday, September 6, 2013
RAAH-E-MANZIL
राहे-मंजिल
आईने से बात कर के देखिये
अपनी तहकीकात कर के देखिये
लीक पर चलना सदा अच्छा नहीं
कुछ नये ख्यालात कर के देखिये
कौन अपना है तेरे दुःख दर्द में
कुछ तो मालूमात कर के देखिये
मुश्किलें तो ख़त्म ना होंगी कभी
वश में ये हालात कर के देखिये
बढ़ चले हैं राहे-मंजिल पर कदम
एक अब दिन रात कर के देखिये
Sunil_Telang/06/09/2013
GATHRI
गठरी
ज़िन्दगी की आस में जीते रहे मरते रहे
पेट अपना काट कर लोगों का घर भरते रहे
उम्र भर हमने न जाना अपना हक होता है क्या
जो मिला किस्मत समझ कर बस सबर करते रहे
चल दिये अपने कदम भी रहनुमा की राह पर
पाई ना मंजिल कभी यूँ ही सफ़र करते रहे
माँ बहन बेटी का अब है मान क्या सम्मान क्या
लोग मजलूमों पे भी तिरछी नज़र करते रहे
लोग हँसते हैं यहाँ गठरी गुनाहों की लिए
हम तो नाहक आइना ही देख कर डरते रहे
Sunil_Telang/06/09/2013
Zindagi ki aas me Jeete rahe Marte rahe
Pet apna kaat kar Logon ka ghar bharte rahe
Umr bhar hum ne na jaana Apna hak hota hai kya
Jo mila kismat samajhkar Bus sabar karte rahe
Chal diye apne kadam bhi Rehnuma ki raah par
Paai na manzil kabhi Yun hi safar karte rahe
Maa Bahan Beti ka ab hai Maan kya Samman kya
Log mazloomon pe bhi Tirchhi nazar karte rahe
Log hanste hain yahaan Gathri gunaahon ki liye
Hum to naahak aaina hi Dekh kar darte rahe
Sunil_Telang/06/09/2013
Wednesday, September 4, 2013
Sunday, September 1, 2013
JAZBAA
जज़्बा
मुझे खामोश करने से ज़माना चुप ना बैठेगा
लहू का एक एक कतरा जहां में रंग भर देगा
ये चिंगारी उठी है आसमां में देख ले दुनिया
ये कुर्बानी का जज़्बा फिर चमन गुलज़ार कर देगा
Sunil_Telang/01/09/2013
मुझे खामोश करने से ज़माना चुप ना बैठेगा
लहू का एक एक कतरा जहां में रंग भर देगा
ये चिंगारी उठी है आसमां में देख ले दुनिया
ये कुर्बानी का जज़्बा फिर चमन गुलज़ार कर देगा
Sunil_Telang/01/09/2013
NAGEENE
नगीने
मुझको नहीं है आदत बेवक्त मुस्कुराऊं
जब शाद होगा ये दिल खुद हँस पडूंगा मैं
अब और कोई ज़ुल्मत मुझको नहीं गंवारा
जब तक है सांस बाकी तब तक लडूंगा मैं
वो और लोग होंगे जो सोचते हैं अक्सर
इस देश का नतीजा अब कुछ न हो सकेगा
अब साथ मेरे कोई आये या लौट जाये
जब तक मिले ना मंजिल आगे बढूंगा मैं
ये प्यार ये मोहब्बत ही ज़िन्दगी नहीं है
यूँ व्यर्थ लुटाने को होती नहीं जवानी
भटके हुये युवा हैं बिखरी हुई है माला
एक एक नगीने को फिर से जडूंगा मैं
(शाद -Happy ) (ज़ुल्मत -Torment)
Sunil_Telang/01/09/2013
Subscribe to:
Posts (Atom)