ये ज़िन्दगानी
तेरा दुनिया में नहीं है कोई सानी
तूने अपनी ही कदर अब तक ना जानी
तू अजब शहकार कुदरत का हुआ है
ये जनम तेरा बुजुर्गों की दुआ है
तेरी पैदाइश खुदा की मेहरबानी
हर कोई लाया यहाँ पर अपनी किस्मत
सारी दुनिया से अलहदा तेरी सूरत
ये अमीरी और गरीबी तो है फानी
दूसरों को देख कर रंजिश न करना
तू ज़रुरत से अधिक ख्वाहिश न करना
अपने कर्मों से तू कर दुनिया दीवानी
किसलिए तकदीर से रखता गिला है
वो भी काफी है अभी तक जो मिला है
काट ले हँसते हुए ये ज़िन्दगानी
Sunil_Telang/15/11/2012
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