Friday, November 30, 2012

SUKH DUKH


सुख दुःख 

जिसको अपना दुःख सुनाने मैं चला 
मुझसे भी ज्यादा दुखी मुझको मिला 

छुप  गई  हैं  राहतें  जाने   कहाँ 
दर्द का चारों तरफ है सिलसिला 

सुख की चाहत में गुजारें ज़िन्दगी 
दुःख से रहता है सदा शिकवा गिला 

किसलिए रहते हैं हम खुद से खफा 
हर किसी के साथ दुःख का काफिला 

जिसने दुःख हँसते हुये  अपना  लिया 
मन्त्र खुश रहने का बस  उसको मिला 

Sunil_Telang/30/11/2012

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