Monday, November 5, 2012

HARJAAI


हरजाई 

क्यों बने बैठे हो तमाशाई 
चोट तुमने भी थी कभी खाई

आज जलता है गर किसी का घर
कल है बारी तेरी, मेरे भाई

दोष सिस्टम को कब तलक दोगे
सब ने मिल कर ये लूट करवाई

काटते देखा जो बोया अपना
आँख क्यों आज तेरी भर आई

किसकी खातिर बनाई ये दौलत
होगी इक रोज़ ये भी हरजाई 

देख ले इक नज़र गरीबों को 
शायद हो जाये  तेरी भरपाई 

Sunil_Telang/05/11/2012

No comments:

Post a Comment