Friday, November 30, 2012

SUKH DUKH


सुख दुःख 

जिसको अपना दुःख सुनाने मैं चला 
मुझसे भी ज्यादा दुखी मुझको मिला 

छुप  गई  हैं  राहतें  जाने   कहाँ 
दर्द का चारों तरफ है सिलसिला 

सुख की चाहत में गुजारें ज़िन्दगी 
दुःख से रहता है सदा शिकवा गिला 

किसलिए रहते हैं हम खुद से खफा 
हर किसी के साथ दुःख का काफिला 

जिसने दुःख हँसते हुये  अपना  लिया 
मन्त्र खुश रहने का बस  उसको मिला 

Sunil_Telang/30/11/2012

Thursday, November 29, 2012

IK BAAR UNHEN BHI DEKHO





इक बार उन्हें भी देखो 

हमने अपने शौक में ही ज़िन्दगी ये गुज़ार दी 
दो पलों की भी ख़ुशी ना बाँट कर इक बार दी 

रौशनी से जगमगाते रह गये  चौराहों को 
घर के कोने की अँधेरी कोठरी तो बिसार दी 

वक़्त की रंगीनियों में डूब कर हम रह  गये  
भूल बैठे उन को जिसने दुनिया हम पे वार दी 

बेरुखी से भी ना आई उनके माथे पर शिकन 
जीत की ख्वाहिश में अपनी  जिंदगी खुद हार दी 

उनको ठुकरा कर ना जीतेजी कभी मारो उन्हें 
सौ बरस तक जीने की जिसने दुआ हर बार दी 

Sunil_Telang/29/11/2012











Tuesday, November 27, 2012

KAISE RISHTE




कैसे रिश्ते 

वक़्त हर रिश्ते  को  कैसे,  अजनबी  सा  कर गया   
भूल कर अपनों को, कुछ गैरों को अपना कर गया 

ये    हवा  आई  कहाँ    से,   टिमटिमाते    हैं   दिये 
रौशनी    से    जगमगाता  घर अन्धेरा  कर  गया 

ये   अहम्  की  थी  लड़ाई  या  कोई  दौर-ए-खिजां 
जो  बहारों  में  चमन  को  पल  में सेहरा कर गया 

अपनी  ढपली,  राग  अपना,  अपने  अपने रास्ते 
क्या  मिलेंगे,  अब  तो पानी सर से भी ऊपर गया 

उम्र  भर  जीते  रहे  अपने  लिये   तो  क्या  जिये 
जो जिया औरों की खातिर बस वही जी कर गया 

दूरियां  इतनी  भी  ना  हों  जब  कोई  अपना कहे 
हमको क्या, शायद कहीं पर शख्स कोई मर गया 

Sunil_Telang/27/11/2012

Monday, November 26, 2012

CHHABBIS GYAARAH


छब्बीस ग्यारह

हादसे  तो   और  भी   होते  रहेंगे 
हम  अगर बेफिक्र  हो सोते रहेंगे 

जिसने  दुस्साहस  भरा  देखा नज़ारा 
आक्रमण था देश की अस्मत पे सारा 
कैसे    होता    देश भक्तों    को  गवारा 
हो  कोई  छब्बीस ग्यारह ना  दोबारा

देश   पर   कुर्बान   फिर   होते  रहेंगे  

Sunil_Telang/26/11/2012

Sunday, November 25, 2012

SWARNIM DESH




स्वर्णिम देश

सड़कें  मध्यप्रदेश  की  कहें  दुर्दशा   आप 
स्वप्न सुंदरी ने यहाँ आ के किया विलाप 
बड़े  शौक  से सोचा चल  के नृत्य दिखावें 
सड़कें  तो   पूरे   ही   रस्ते   नाच   नचावें 
दो   घंटे  के  बदले   छः   घंटा    चलवाया 
कैसे  कह दें  हम  ने  स्वर्णिम देश बनाया 

Sunil_Telang/25/11/2012



Friday, November 23, 2012

DO PAL


दो पल 

दो पल जो तुम्हारे साथ कटे 
वो दर्द भी हैं  , वो दवा भी है 
तुम आओ  तो आ जाये सुकूं 
मौसम है, बादे-सबा   भी है  

जबसे तुम  मुझसे  दूर  हुये 
सारी   दुनिया   बे-नूर   हुई 
तू   मेरे  गीतों   की  सरगम 
तू  ही  मेरा  हमनवा  भी  है 

चलते  चलते    बदली    राहें 
मंजिल से पहले बिछड़ गये 
ये   है  दस्तूर मोहब्बत का 
या कुदरत का फैसला भी है

रुखसत से  पहले  एक  बार
तुम मुझसे अगर मिले होते 
तुमको भी शिकायत ना होती 
कुछ थोडा मुझको गिला भी है 

Sunil _Telang 

Do pal jo tumhare saath kate
Wo dard bhi hain Wo dawa bhi hain
Tum aao to aa jaaye sukoon
Mausam hai Baad-e-saba bhi hai

Jab se tum door huye mujhse 
Saari duniya be-noor hui
Tu mere geeton ki sargam
Tu hi mera hamnawa bhi hai

Chalte chalte raahen badli
Manzil se pahle bichhad gaye
Ye hai dastoor mohabbat ka
Ya kudrat ka faisla bhi hai 

Rukhsat se pahle ek baar 
Tum mujhse agar mile hote
Tumko bhi shikaayat na hoti
Kuchh thoda mujhko gila bhi hai

Sunil_Telang








TERI SOORAT


तेरी सूरत

मुझसे कहते हो भूल जाओ मुझे 
तुम ज़रा भूलकर दिखाओ मुझे 

सामने आ के तुम मिलाओ नज़र 
दूर रहकर ना आजमाओ  मुझे 

तोडना दिल किसी का ठीक नहीं 
है ये मुमकिन कि फिर ना पाओ मुझे 

तेरी  सूरत  नज़र  नहीं  आये 
कोई  ऐसा  जहां  बताओ  मुझे 

ज़िन्दगी  तो तुम्हारे नाम लिखी 
तुम संवारो या फिर मिटाओ  मुझे 

सारी दुनिया में कोई तुमसा नहीं 
दूसरा  कौन  है  बताओ  मुझे 

Sunil_Telang/23/11/2012

TERI SOORAT

Mujhse kahte ho bhool jaao mujhe
Tum zara bhoolkar dikhaao mujhe

Saamne aake tum milaao nazar
Door rahkar na aajmaao mujhe 

Todna dil kisi ka theek nahin
Hai ye mumkin ki fir na paao mujhe

Teri soorat nazar nahi aaye 
Koi aisa jahaan bataao mujhe

Zindagi to tumhaare naam likhi
Tum sanwaro ye fir mitao mujhe

Saari duniya me koi tumsa nahi
Doosra kaun hai bataao mujhe

Sunil_Telang












Wednesday, November 21, 2012

SUBAH O SHAAM



सुबह ओ शाम

क्या क्या खयाल  जी से गुज़रते  हैं सुबह ओ शाम 
कुछ  ज़ख्म नये दिल में उभरते हैं सुबह ओ शाम 

सदियाँ गुज़र गई हैं तुम्हें बा-वफ़ा हुये
हम याद तुम्हें आज भी करते हैं सुबह ओ शाम 

रह रह के ,चौंक चौंक के ,मैं नींद से जागूं
सज सज के मेरे सपने बिखरते हैं सुबह ओ शाम 

जब जब तेरी यादों की घटा दिल पे छाई है
आँखों से अश्क बरसा  करते  हैं सुबह ओ शाम

पल पल मैं देखता हूँ तेरी राहगुज़र को
तेरी झलक को तरसा  करते हैं सुबह ओ शाम

इक बार छुआ था तेरे फूलों से बदन को
खुशबू से तेरी महका करते हैं सुबह ओ शाम 

Sunil_Telang/21/11/2012


Sunday, November 18, 2012

BALA




 बाला 

 तूने इस धरती से ही नभ की बुलन्दी को छुआ है  
 तेरे जाने से लगा अवसान सूरज का हुआ है  
 शेर दिल,जांबाज और निर्भीकता में तू निराला 
 अश्रु पूरित भाव से करते विदा हम तुमको बाला 

 Sunil_Telang/18/11/2012

Saturday, November 17, 2012

AAS PAAS


आस पास 

दूर रहकर भी  तेरे पास हूँ मैं 
तुझको मालूम है उदास हूँ  मैं 

रात दिन तेरे साथ रह्ता  हूँ
एक  मासूम सा एहसास हूँ  मैं 

चाहने वालों की कमी तो नहीं 
फिर भी तेरे लिये कुछ ख़ास हूँ मैं

देखकर भी तुझे न देख सके 
जो न बुझ पायेगी वो प्यास हूँ मैं 

हो  ज़रुरत तो याद कर लेना 
हर समय तेरे आसपास हूँ मैं 

मिल ना पाये तो फिर जनम लेंगे 
जो ना पूरी हुई वो आस हूँ मैं 

Sunil_Telang/17/11/2012




Thursday, November 15, 2012

ZINDGAANI



ये ज़िन्दगानी


तेरा दुनिया में नहीं है कोई सानी 
तूने अपनी ही कदर अब तक ना जानी 

तू अजब शहकार कुदरत का हुआ है 
ये जनम तेरा बुजुर्गों की दुआ है
तेरी पैदाइश खुदा की मेहरबानी 

हर कोई लाया यहाँ पर अपनी किस्मत 
सारी  दुनिया से अलहदा  तेरी सूरत
ये अमीरी और गरीबी तो है फानी 

दूसरों को देख कर रंजिश न करना 
तू ज़रुरत से अधिक ख्वाहिश न करना 
अपने कर्मों से तू कर दुनिया दीवानी 

किसलिए तकदीर से रखता गिला है 
वो भी काफी है अभी तक जो मिला है 
काट ले हँसते हुए ये ज़िन्दगानी

Sunil_Telang/15/11/2012

Wednesday, November 14, 2012

GUZAR GAYI DEEWALI


गुज़र गई दीवाली

गुज़र गई दीवाली रोशनी लुटाते हुये 
उम्मीदों के फिर से  सपने दिखाते हुये 
सतरंगी जगमग और मस्ती में सब डूबे 
अँधेरे में लिपटे ग़मों को भुलाते हुये 

इक तरफ दिखावा था शान और शौकत का 
झूठे   आडम्बर से भरपूर  दौलत का 
जिनकी उजली रातें अक्सर गुज़रती है
अपनी काली कमाई  धुंये  में उड़ाते हुये 

दूसरी  तरफ डूबी अन्धेरों में वो  बस्ती 
जिसके लिए ख्वाब त्योहारों की मस्ती 
जिनकी दीवाली है दो वक़्त की रोटी
रातें गुज़रती हैं तारे  गिनवाते हुये  

कब तलक अमीरी  गरीबी में जंग  होगी 
असमानता में ये  जिंदगी बदरंग होगी 
आयेगा वो दिन कब जब भूखा न सोये कोई 
देखेंगे कब हम सब राम राज्य आते हुये 

Sunil_Telang/14/11/2012



Sunday, November 11, 2012

DEEPAWALI















दीपावली 

दीप कितने भी जलाना दिल किसी का ना जले 
घर को इतना ही सजाना दूसरों को ना खले 

है ख़ुशी उल्लास का त्यौहार ये दीपावली 
एक दूजे में बढाता  प्यार ये दीपावली 
प्रेम और सौहार्द का ये सिलसिला चलता चले 

धन की देवी लक्ष्मी यूँ ही विराजे सबके घर 
रिद्धि सिद्धि की कृपा से जगमगाये  हर नगर  
अन्न का भण्डार हो कोई भी भूखा ना  पले 

दौर है मंहगाई का कुछ खर्च पर हो नियंत्रण 
व्यर्थ में ही बम पटाखे को ना देना निमंत्रण 
आज से बस फुलझड़ी ,चकरी , अनारदाना चले 

कुछ अमीरों के लिए खुशरंग है दीपावली 
पर गरीबों के लिए कुछ तंग है दीपावली  
है दुआ, सबका अन्धेरा दूर हो, दीया जले 

Sunil_Telang/11/11/2012

Saturday, November 10, 2012

KIS KE LIYE



किस के लिये 

जिंदगी गुजरी फकत दौलत कमाने के लिये 
दो घड़ी फुर्सत ना मिल पायी  ज़माने के लिये 

अब कहाँ वो संगी साथी,अब कहाँ वो अपना घर 
रोज़ी रोटी के लिये बदले गली, कूचे,  शहर 
बस गये  परदेस में  कुछ काम पाने के लिये 

शहर की रंगीनियों में खो गए सपने कहीं 
भीड़ चारों  और है,पर लोग हैं अपने नहीं 
रोज़ करते हैं व्यसन कुछ चैन पाने के लिये 

वक़्त बदला,सोच बदली,आधुनिकता आ गई 
संस्कारों को नयी ये जेनरेशन  खा गई 
हो रही परिवार में मुश्किल निभाने के लिये 

कम्पटीशन में न जाने हाल क्या हो जायेगा 
तेरा मेरा करते करते  सब फना हो जायेगा 
कोई ना बच  पायेगा आंसू बहाने के लिये 

Sunil_Telang/10/11/2012

MAZAA LEEJIYE





मज़ा लीजिये 

दर्द-ए -दिल को  भुला  दीजिये 
हर घड़ी का मज़ा लीजिये 

चार दिन की है ये जिंदगी 
हँसते हँसते बिता दीजिये 

जो तेरे हैं वो तेरे नहीं 
क्यों किसी से गिला कीजिये 

जो मिलें अपना दिल खोलकर 
उनको अपना बना लीजिये 

इतनी दौलत न काम आयेगी 
कुछ दुआ भी कमा लीजिये 

प्यार पर है ये दुनिया थमी 
प्यार में जां लुटा दीजिये 

Sunil_Telang/10/11.2012

SEEKH LE




सीख ले


दर्द में भी मुस्कुराना सीख ले
गीत कोई गुनगुनाना सीख ले 

जो  मिलें तुझसे ज्यादा गमज़दां  
उनको सीने से लगाना सीख ले 

चलते रहना जिंदगी का मंत्र है 
जो गया उसको भुलाना सीख ले 

तेरे गम से लोग पायेंगे खुशी 
अश्क आँखों में छुपाना सीख ले 

जिंदगी में गम हैं ज्यादा कम ख़ुशी  
जो मिले उसको निभाना सीख ले 

दिल के ही जज़्बात हैं ये शायरी 
लफ्ज़ तू भी शायराना सीख ले 

Sunil_Telang/10/11/2012

SEEKH LE

Dard me bhi Muskurana seekh le
Geet koi Gungunana seekh le

Jo milen tujhse zyada Ghamzadaan

Unko seene se Lagana seekh le

Chalte rahna Zindagi ka mantra hai

Jo gaya usko Bhulana seekh le 

Tere gham se Log paayenge khushi

Ashq aankhon me Chhupana seekh le

Zindagi me gham hain Zyada kam khushi

Jo mile usko Nibhana seekh le

Dil ke hi jazbaat Hain Ye shaayari

Lafz tu bhi Shaayrana seekh le 

Sunil_Telang






Monday, November 5, 2012

HARJAAI


हरजाई 

क्यों बने बैठे हो तमाशाई 
चोट तुमने भी थी कभी खाई

आज जलता है गर किसी का घर
कल है बारी तेरी, मेरे भाई

दोष सिस्टम को कब तलक दोगे
सब ने मिल कर ये लूट करवाई

काटते देखा जो बोया अपना
आँख क्यों आज तेरी भर आई

किसकी खातिर बनाई ये दौलत
होगी इक रोज़ ये भी हरजाई 

देख ले इक नज़र गरीबों को 
शायद हो जाये  तेरी भरपाई 

Sunil_Telang/05/11/2012

Saturday, November 3, 2012

AA GAYA WAQT




आ गया वक्त 

हमने देखी फिजा बिगड़ते हुये 
हसरतों का चमन उजड़ते हुये 

भाईचारे औ प्रेम की बातें 
कैसे समझाएं लोग लड़ते हुये 

बीत  जायेंगे पांच वर्ष यूँ ही 
रोज़ आरोप नये  मढ़ते हुए

कैसा क़ानून और किसका डर 
बिक गया है ये तंत्र सड़ते हुये 

लूट की रेस चल रही कबसे 
कोई रह जाए ना पिछड़ते हुये 

किस धरातल में देश जा पहुंचा 
देखना चाहते थे बढ़ते  हुये 
आ गया वक्त , खड़े हो जायें 
हाथ में हाथ को पकड़ते हुये 


Humne dekhi fiza bigadte huye
Hasraton ka chaman ujadte huye

Bhaai-chaare o prem ki baaten
Kaise samjhayen log ladte huye

Beet jaayenge paanch varsh yun hi
Roz aarop naye madhte huye

Kaisa kanoon aur kiska dar
Bik gaya hai ye tantr sadte huye

Loot ki race chal rahi kabse
Koi rah jaaye na pichadte huye

Kis dharatal me desh ja pahuncha
Dekhna chaahte the badhte huye 

Aa gaya waqt khade ho jaayen
Haath me haath ko pakadte huye

Sunil_Telang/03/11/2012

Friday, November 2, 2012

HUMSAFAR


हमसफ़र 

टूटता जा रहा है यकीं 
तेरा हमदर्द कोई नहीं 


लोग अपने पराये हुये 
कितने चेहरे हुये अजनबी 

जीते हैं लोग अपने लिये 
मतलबी हो गई दोस्ती 

दर्द अपना सुनायें  किसे 
सबकी अपनी तरह ज़िन्दगी 

रोज़ मरते हैं जीते हुये 
जाने कितनी उमर  है अभी 

रह गये  हैं तेरे हमसफ़र 
बस यही आसमां , ये ज़मीं 

Sunil_Telang/02/11/2012

Thursday, November 1, 2012

MAJBOORI


Majboori

Dekh kar majbooriyan sarkaar ki
Fir lagi chinta humen ghar baar ki

Haath me inke raha kuchh bhi nahi
Ab rahi garima kisi pad ki nahi
Kho gai hai haisiyat adhikaar ki

Baat ye  na samajh aai desh ko
Roz dete kyon safaai desh ko
Ban rahe kyon surkhiyaan akhbaar ki

Dard apna kisko batlaayen yahan
Kisko fursat hai sune jo daastaan
Fir rulaati hai khata har baar ki 

Sunil_Telang/01/11/2012


मजबूरी 

देख  कर  मजबूरियां  सरकार  की  
फिर  लगी  चिंता  हमें  घर बार  की 

हाथ  में  इनके  रहा  कुछ  भी  नहीं 
अब  रही  गरिमा  किसी  पद  की  नहीं 
खो  गई  है  हैसियत  अधिकार  की 

बात  ये   ना समझ  आई   देश  को 
रोज़   देते  क्यों  सफाई  देश  को 
बन  रहे   क्यों  सुर्खियाँ   अखबार  की 

दर्द  अपना  किसको  बतलायें  यहाँ 
किसको  फुरसत  है  सुने  जो  दास्ताँ 
फिर  रुलाती  है  खता  हर  बार  की  

Sunil_Telang/01/11/2012