Friday, November 29, 2013

AJNABEE


अजनबी

छुपाते क्यों हो ज़ख्म अपने निकल कर सामने आओ 
मिलेगा  फिर  ना  ये  मौका  वही  ग़लती  न दोहराओ

किया ना काम कुछ ऐसा कि जिस पर गर्व हो तुझको 
करो कुछ नाम अपना भी न अब खुद पर तरस खाओ 

फना  होने  के  मौके   खुशनसीबों  को   ही  मिलते  हैं
वतन के वास्ते कुछ कर सको  ये  दिल को  समझाओ

ज़मीं अपनी वतन अपना  मगर  इक अजनबी  सा तू 
ये अपनों  में  पराये  कौन  हैं  दुनिया  को  दिखलाओ 

Sunil_Telang/29/11/2013


Thursday, November 28, 2013

SAANI


सानी

ज़माना कुछ भी  कहता हो तेरा  कोई नहीं सानी 
कोई  तो  बात  है  तुझमे हुई  जनता  ये  दीवानी 

बड़ी  उम्मीद  लेकर  ताकते  सब  तेरे  चेहरे  को
हज़ारों  साज़िशें  और  रंजिशें   हैं  आज  बेमानी 

लड़ाई न्याय और अन्याय की लड़ने  चला  है  तू  
डिगा सकता नहीं  कोई जो  तूने मन में  है ठानी 

नहीं हिम्मत किसी में जो मुकाबिल आ सके तेरे 
तेरे  इस  हौसले  को  देख   दुश्मन  मांगते  पानी 

खुदा है साथ तेरे वक़्त वो  भी  आयेगा  इक दिन 
तेरे  स्वराज  की  लौ   से  जहां  होगा  ये  नूरानी 

Sunil_Telang/28/11/2013






MUSKAAN


मुस्कान 

समझ कर इक बुरा सपना ग़मों को तुम भुला डालो 
उजाले  की  किरण  को  देख कर फिर हौसला पालो
अँधेरा  हो  घना  कितना  सुबह  को  रोक  ना  पाया
लबों  पर  इक नयी मुस्कान रख कर  दर्द अपना लो 

Sunil_Telang/28/11/2013












Wednesday, November 27, 2013

AAZAD


आज़ाद

रोज़   बस   आरोप  प्रत्यारोप  का है सिलसिला 
कोई  तो  देखे यहाँ हमको अभी तक क्या मिला 

रोज़ी  रोटी  की  फिकर  में  कट रहे दिन रात हैं
हर  ख़ुशी  के साथ चलता है  ग़मों  का काफिला
 

हम  ग़रीबों  के  लिये   कितने  बजट  बनते रहे  
घर  ना  दे  पाये  बने  उनके  महल  बहुमंज़िला 

लोग  बस  आते  रहे   हम  पर  तरस  खाते  रहे
छीन  कर  के  हक़  हमारा राज ये उनको मिला 

लोग  कहते  हैं  वतन  आज़ाद  अपना  हो  गया   
लूटते  अपने  यहाँ  अब क्या करें शिकवा गिला 

Sunil_Telang/27/11/2013








Tuesday, November 26, 2013

SABAK



सबक

अभी  थक   कर ना  यूँ  बैठो 
बहुत  कुछ  काम  करना  है 
ना आये जब तलक  मंज़िल 
नहीं    आराम     करना    है 

अगर गिरते  हो   उठ  जाना
लगे   ठोकर   संभल   जाना 
रुकेंगे   अब  ना   ये   एलान 
खुल्ले -आम       करना     है  

बढ़ो आगे सबक सिखला दो
अब    फिरका-परस्तों    को 
जिन्हें  मतलब  की  खातिर 
ये  वतन  नीलाम करना  है 

डगर    सच्चाई    नेकी    की 
कभी    आसां     नहीं    होती 
नये       रस्ते      बनाने    में 
ये    सुबहो  शाम   करना  है

Sunil _Telang/26/11/2013





Saturday, November 23, 2013

JIMMEDARI



जिम्मेदारी

गुमशुदा  सच्चाई  और  ईमानदारी  हो   गई  है 
छल  कपट  की राजनीति आज तारी हो गई  है 

कोई  उपलब्धि नहीं, लब पे नया है बस बहाना
दूसरों  को  कोसने  की  इक  बीमारी  हो गई है 

रोज़ होती मीडिया पर  इक दिखावे  की  लड़ाई 
अन्दरूनी   आपसी   इक  राज़दारी  हो   गई  है 

मान  बैठे  आज धनबल, बाहुबल  ही  रास्ता है 
आम जन  को  बरगलाने  की  तैयारी हो गई है 

वक़्त आया  है  करें फिरकापरस्तों से किनारा 
ये कवायद अब सभी  की जिम्मेदारी हो गई है 

Sunil_Telang/23/11/2013

Friday, November 22, 2013

VAZOOD


वज़ूद

तन  है  नंगा , पेट  खाली, ना  मिला  रहने  को घर 
फेर    लेते    हैं   निगाहें    लोग   हमको   देख   कर 
उम्र  बीती , वोट   की   खातिर  रहा   अपना  वज़ूद 
और   भी   मुद्दे   ज़रूरी   हैं  मगर   किसको फिकर 

Sunil_Telang/21/11/2013


Thursday, November 21, 2013

SHOHRAT


शोहरत 

तिलमिलाहट  बौखलाहट अब नज़र आने  लगी 
आप   की   मौज़ूदगी  अब  रंग   दिखलाने  लगी 

उड़  गई  मुस्कान  लब  से  राज़  सारे  खुल  गये

रोज़    झूठे    मामलों   पर  बहस  गरमाने  लगी  

भाईचारा आपसी  कुछ  इस  कदर  कायम हुआ

एक  सुर   में   गीत   हर   इक  पार्टी  गाने  लगी 

आड़   लेकर  दुष्प्रचारों    की   गिला  करने  लगे 
जब   लगा   सत्ता  ये  उनके  हाथ  से  जाने  लगी 

मूल  मुद्दे  भूल  कर  जब  तिकड़में  चलने   लगी 
आप ताक़त और शोहरत दिन ब दिन पाने लगी 

Sunil_Telang/21/11/2013





Wednesday, November 20, 2013

SOCH


सोच 

वोटरों   को   फिर   मनाने   आ   गये 
अपनी  किस्मत  आजमाने  आ  गये 

क्या किया इतने बरस बतलायें क्या 
लब   पे   फिर   झूठे   बहाने  आ  गये 

भूल     कर    बेशर्मियां    नाकामियां 
ख्वाब   सतरंगी   दिखाने   आ    गये 

दिल  में  डर  है  चेहरे पे  फीकी  हंसी 
फिर   भी  हमदर्दी   जताने   आ  गये 

अब  हुई  है  आम जनता की  फिकर 
पैकिजों   से    दिल लुभाने   आ  गये 

वक़्त  बदला  सोच  ना  बदली  मगर 
फिर   वही   चेहरे   पुराने    आ    गये

Sunil_Telang/20/11/2013

Saturday, November 16, 2013

ALVIDA SACHIN


अलविदा सचिन

आयेंगे  कितने  खिलाड़ी,  जायेंगे  हो  के विदा 
पर  सचिन  तेरा  कोई  सानी  नहीं  तेरे  सिवा

इक  नये  युग  की  हुई  शुरुआत  सबके देखते 
रच  दिये  कितने  नये   इतिहास हँसते खेलते
तेरे आगे  चाँद सूरज  का  भी  कद  बौना  हुआ 

अश्रुपूरित  नयनों   से   दी   है  विदाई  देश   ने 
तेरे  कारण  नाम  शोहरत  आज  पाई  देश  ने
मानता  आदर्श  तुझ  को  देश  का  हर नौजवां  

Sunil_Telang/16/11/2013

Friday, November 15, 2013

BAHAS



बहस 


भूल   कर   मुद्दे   ज़रूरी    इक  बहस  होती  रही 
भूख  से  व्याकुल  गरीबी  रात  दिन  रोती  रही 

हर किसी  को  फ़िक्र थी  शालीनता  भाषा में हो 
पर   जुबानी   जंग    मर्यादा  वहीं   खोती    रही 

आपसी    छींटाकशी   में  वक़्त  सारा  ढल  गया 
बुत परस्ती   नफरतों  के  बीज  बस  बोती  रही

सिर्फ "मैं" का ज़िक्र है जागी है सता  की  ललक 
लूट ,  भ्रष्टाचार,    मंहगाई     कहीं    सोती    रही

आम  जन   से   दूर  जनता   के   नुमाइन्दे   हुये 
इतने  बरसों  तक ये जनता बोझ  बस ढोती रही

Sunil_Telang/15/11/2013 







Thursday, November 14, 2013

SIRF EK VOTE


सिर्फ एक वोट 

सिर्फ  इक  मुस्कान  से  शुरुआत होती दोस्ती की 
एक   मीठी    बात   से   दीवार  टूटे     दुश्मनी  की 
दूर  कर  देती अँधेरा  इक  किरन  बस रौशनी की 
एक  हस्ती  से  बदल  जाती रवानी  ज़िन्दगी  की 

कतरा कतरा बूँद का मिल कर बना देता है सागर 
ज़र्रे   से   ज़र्रा   मिला  है  तब बना सेहरा धरा पर 
इक  सिकन्दर  के  अनूठे  हौसले ने दुनिया जीती
एक   तेरे  वोट   से  बदलेगी  इक  दिन  राजनीति  

आज अपने आप को पहचान तू कुछ नाज़  कर ले 
वोट की  ताक़त दिखा के आज अपना राज कर ले
ठान   लो   इस   बार   भ्रष्टाचारियों   को  चोट  देंगे 
चाहे  कुछ  भी  काम आये  सबसे  पहले  वोट  देंगे  

Sunil_Telang/14/11/2013 


Wednesday, November 13, 2013

BAAJIGAR



बाजीगर

क्या   हुआ  हमसे  खफा  वो इस कदर होने लगे 
आम जनता   के   ये   मुद्दे   दर्दे - सर  होने लगे 

हमने बस इतना ही पूछा क्या किया इतने बरस
आंकड़ों  के   खेल   के   वो   बाजीगर  होने  लगे 


दल  बदल कर आ ज फिर उतरे हैं  वो मैदान में
फिर किसी  घोटाले का ना अब ज़िकर होने लगे

कुछ  नये  मुद्दे  भी  शामिल  घोषणा-पत्रों  में है
लूट    भ्रष्टाचार   तो   अब   बे-असर  होने  लगे

सामने   जब  पार्टियों   की  हक़ीक़त  खुल  गई
उनके   तीरों   के  निशाने "आप"  पर होने लगे 


Sunil_Telang/09/11/2013

Tuesday, November 12, 2013

MAJAAL


मजाल

उपलब्धियां नही  है अब कैसे  मुंह  दिखायें 
अच्छा  है दूसरों की कमियों को ही गिनायें 

लोगों को फिर मिलेगा ताज़ा बहस का मुद्दा 
झूठे   हों   चाहे   सच्चे  आरोप  मढ़ते  जायें  

जनता तो है भुलक्कड़ भूलेगी पिछली बातें 
कुछ लोक लुभावन फिर करते  हैं घोषणायें 

हम  तो  हैं लोक सेवक जनता  के  हैं  दुलारे 
किसकी मजाल है जो  कुछ हमसे पूछ पायें

आई   हैं   कुछ    जमातें   ईमान   के   सहारे
क्या   देश   चलायेंगी   अब  आप  ही बतायें 

Sunil_Telang/12/11/2013






VOTE DENGE






वोट देंगे


नाक में दम कर दिया है लूट भ्रष्टाचार ने 

तोड़ डाली है कमर मंहगाई की इस मार ने 


बाँट रखा है दिलों को धर्म की दीवार ने 


तंत्र पंगु कर दिया है वोट के व्यापार ने 


तू ज़रा पहचान ले अब कौन है अपना तेरा 


वक़्त आया है हकीकत ये बने सपना तेरा 


देश में अब हर किसी को वोट का अधिकार है 


वोट दो  हर हाल में  ये  कह रही सरकार है 


आज अपने वोट की तू अहमियत पहचान ले


चाहे कुछ हो वोट देंगे  आज मन में ठान ले 

Sunil_Telang/12/11/2013

Sunday, November 10, 2013

VISHWAAS



विश्वास

नाक  में  दम  कर दिया  है  लूट भ्रष्टाचार ने 
तोड़ डाली है कमर मंहगाई की  इस मार ने 

बाँट  रखा  है  दिलों  को  धर्म  की  दीवार ने 
तंत्र  पंगु  कर  दिया  है  वोट  के व्यापार  ने 

आदमी जब  बेबसी में  बैठा  हिम्मत हारने 
सामने  आया कोई   बन  के  मसीहा  तारने 

तू  ज़रा पहचान ले अब कौन  है अपना तेरा 
वक़्त आया  है  हकीकत ये  बने सपना तेरा 

इस  निराशा के भंवर में "आप" ही की आस  है 
"आप" के  ऊपर  टिका  इस देश का विश्वास है 

Sunil_Telang/10/11/2013

  



Thursday, November 7, 2013

MEHARBANI



मेहरबानी

परेशानी  अगर  है  फिर  मेहरबानी  क्यों  करते  हैं 
समझ  के, बूझ  के  भी  लोग नादानी क्यों  करते हैं 

भुला  देते  हैं  वो  ज़ुल्मो सितम, वो हादसों का दौर 

कलेजे  में  धधकती  आग  को  पानी  क्यों करते हैं 

वही  फिर जात धर्मों का छलावा, लोभ और लालच

उलझ कर जाल  में, उनकी कदरदानी क्यों करते हैं 

रहो   चुपचाप,   घर    बैठे   तमाशा   देखते    रहिये 
हमेशा  ज्ञान  की  बातें   ये  अज्ञानी  क्यों  करते  हैं 



Sunil _Telang /07/11/2013








Wednesday, November 6, 2013

BHAROSA



Wahi chehre, Wahi hulchal,Wahi ummeed wari hai
Bhula kar haadse, Rassa kashi  ka  khel  jaari hai

भरोसा

तरस  उन  पर  नहीं  आता  खड़े   हैं  जो चुनाव में 
गिला  उनसे   हमें   है  जो  पड़े  हैं  इनके  पांव  में 

चढ़ा रखा है सर  पर  मान  के  इनको खुदा अपना 
तपिश खुद झेलते रहते  हैं  इनको रख के छाँव में 

बहुत खुशहाल लगते एक फोटो साथ खिंचवा कर 
तरसते   रोजी  रोटी   को  शहर  में हों या गाँव में 

भरोसा कर  के  अक्सर  नाखुदा  पर  डूबते  हैं  वो 
नज़र आते नहीं जिनको  हैं  कितने  छेद  नाव  में  

Sunil_Telang/06/11/2013


MANZIL



मंज़िल

लोगों की जुबां का  क्या  है रोज़ ही कुछ कहना 
बेकार  की   बातों   से  बस  दूर  ही  तुम  रहना 
भटका  ना  सकेंगे तेरे कदमों को वो मंज़िल से 
सच्चाई के  रस्ते  पर  पड़ता  है   बहुत   सहना

Sunil_Telang/05/11/2013


Monday, November 4, 2013

KAISI DEEWALI

कैसी दीवाली 
इक  ओर  थी  उजालों  में  क़ायनात  खोई 
इक  ओर  भूखा प्यासा  बैठा हुआ था कोई 
ये  कैसी दीवाली  थी जिसमें ख़ुशी भी रोई 

जो  भी  हुई   थी  सारे परिवार  की कमाई 

इक सरफिरे पिता  ने मय खाने  में लुटाई 
माँ  बाप  में  हुई  थी  फिर  रात भर लड़ाई 
ना  कोई  बम  पटाखे  ना आ सकी मिठाई 

अँधेरी  कोठरी   में   दीपक  जला  न  कोई 

बेटा   डरा    था,  सहमी  बेटी  उदास  सोई 
ये  कैसी दीवाली  थी जिसमें ख़ुशी भी रोई 

कुछ  लोग जी रहे  हैं दिल  में  लिये  बुराई 
हर रोज़ की नसीहत उन को  ना रोक पाई 
ये जुआ  शराब की लत  करती है  बेवफाई 
दो पल की है ये मस्ती बाकी है जग हँसाई

जिसने भी अपने घर में विष की ये बेल बोई 
जीते हुये  भी  उसने  पहचान  अपनी  खोई  
ये  कैसी  दीवाली  थी  जिसमें ख़ुशी भी रोई 

Sunil _Telang /04 /11 /2013 







Saturday, November 2, 2013

CHIKNE GHADE





चिकने  घड़े 

चिकने  घड़ों  पे   कोई  होता  असर  नहीं   है 
मौसम  बदल  गया  है  उनको  खबर  नहीं है 

तुम  लड़  रहे लड़ाई जनता के न्याय हक़ की 
वो    सोचते   कवायद  ये   कारगर   नहीं   है 

जनता  तो  है भुलक्कड़, भूलेगी सब घोटाले 
ठुकरायेगी किसी दिन इसका भी डर नहीं है 

हिम्मत  नहीं किसी  में  आये तेरे मुक़ाबिल 
लब पर हँसी है फीकी  लेकिन जिगर नहीं है 

मानें वो  या ना मानें  इतना मगर  समझ लें 
ये   अंधे, गूंगे , बहरों  का अब  शहर  नहीं  है 

Sunil_Telang/02/11/2013







Friday, November 1, 2013

INSAANIYAT


इंसानियत

जो मिलता है बहुत होगा अगर मिल  बाँट कर खायें
कभी    छोटे   परिंदे  जीव  भी कुछ   सीख   दे   जायें 
वो  ही  इन्सां  हैं जो  इंसानियत को  दिल में रखते हैं 
मिले  सच्ची  ख़ुशी  जब    दूसरों    के   दर्द  अपनायें 

Sunil_Telang/01/11/2013